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singer narendra charan jaisalmer
सफ़र की इब्तिदा बस इतनी सी हो, तुम्हें सुनने वाले यार उबाऊ न हो। #सफ़र #यार #इब्तिदा #उबाऊ
Parasram Arora
स्मृतियों के दंश चुभने लगे है अब क्योंकि ज़ो अतीत मे हो चुका है मेरे साथ और ज़ो कुछ मैंने किया था पिछले दिनों मे वो सब अब मै पुनः दोहरा न पाऊंगा न वो सुखद मासूम सा बचपन न वो मधुमय यौवन ही कभी लौट पायेगा फिर से अब तो वार्धकय और प्रौढ़ता का उबाउ उजाला मेरे साथ. साथ चल रहा है ज़ो अंत तक मेरे साथ रहने वाला है सोचता हूँ यमराज कि नगरी मे प्रवेश करने से पहले अपनी बसती के अंतिम दर्शन कर लेता और अपनी भूलो के लिये क्षमा प्रार्थनकर पश्चाताप के दो आसू भी बहा लेता ©Parasram Arora वार्धकय और प्रौढ़ता का उबाऊ उजाला
BSagar
"बहुत ज्यादा तकलीफ हो जाती है तो उस दिन आंख से आंसू नही निकलता है साधारण परिस्थिति में आंसू निकलता है और जिस दिन बहुत भयानक तकलीफ होगी न उस दिन आंसू नही निकलेगा उस दिन इंसान शांत हो जाता है ! ©NSagar स्थिति
Shubham Tripathi
रे मनुज किस बात से ऐंठा हुआ है किसकी कुपित आशा लिए बैठा हुआ है जिंदगी की झंझावाटों को देखकर भी हाथ पर रख हाथ क्यों बैठा हुआ है रे मनुज किस बात से ऐंठा हुआ है किसने कर दी है तेरी पुरषार्थ छोटी क्यों नहीं मिलता किसानो को ही रोटी सोच करके ठान ले अपने ह्रदय में मेहनत ही है हाथों की तेरी लकीरें किस बात से गर्वित हुए बैठा हुआ है रे मनुज किस बात से ऐंठा हुआ है कर्जा वर्जा लेकर अपने साथ में धोती कुर्ता लेकर अपने हाथ में जेठ की तपती हुई इस धूप में बारिश की आशा लिए बैठा हुआ है रे मनुज किस बात से ऐंठा हुआ है पेट पीठ हो गए समकोण है किसी बात की गुमान में नेता हुआ है चुनकर भेजा जिसे वो सोता हुआ है सत्ता के कुर्सी पर तेरे मेहनत का मसलन लगाये सीने पर चढ़ कर तेरे बैठा हुआ है रे मनुज किस बात से ऐंठा हुआ है स्थिति
rekha jain
अजीब स्थिति पहले लोग मरते थे आत्मा भटकती थी अब आत्मा मर चुकी है लोग भटक रहे हैं। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद ©rekha jain #अजीब स्थिति
भारद्वाज
आथिर्क स्थिति कितनी भी अच्छी क्यों ना हो, जिंदगी का मजा लेने के लिए, तो मानसिक स्थिति का अच्छा होना ही जरूरी होता हैं। Bhardwaj DS....writer #मानसिक# स्थिति
Roshan Mishra
कई बार कई आयामों में अपने आप को माँ की ही जैसी स्थिति पे पाता हूँ, कभी कभी लगता है मेरा जीवन काल भी अल्प ही रहने वाला है । #०२ स्थिति
ऋषि"संत"
बिक गया मीडिया छीन लिए अधिकार फिर किसलिए बना रहे हो मानवाधिकार? वर्तमान स्थिति