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BROKENBOY
मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले... तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख... तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस... मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख... मैं कहता हूं इश्क़❤️ ही हो जायेगा मुझसे... तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख... है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख... तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख..... ©BROKENBOY #Exploration मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा म
BROKENBOY
मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले... तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख... तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस... मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख... मैं कहता हूं इश्क़❤️ ही हो जायेगा मुझसे... तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख... है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख... तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख..... ©BROKENBOY #Chess मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले.
gudiya
रोवहु सब मिलि के आवहु भारत भाई। हा! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई॥ 😭😭 आज भारतेंदु जी की बहुत याद आई वो जीवित न होकर भी अपनी रचनाओं के माध्यम से हमारे साथ रहे, और जब आज अभ्यर्थियो की स्थितियां वही दिन दिखलाने को बाध्य करती है। जब शिक्षक परेशान हो रहा तो वो दिन दुर नही जब आम आदमी की शिक्षा पराजित होगी। साधारण लोग अपने स्तर से और निन्म अवस्था में आ जायेंगे । जो कुछ हो रहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षक होना महज़ रोजगार हासिल करना नही होता, यह संस्कार होता है जो व्यक्ति रोज़ बूँद-बूँद कर के खुद में समाहित करता है और अपना चारित्र और व्यक्तित्व गढ़ता है, ताकी अगली पीढ़ी को मानसिक और अन्य रुप से सुदृढ़ और सशक़्त कर सेक, लेकिन अरमानो पर पानी फेरने का कार्य मौजूदा सरकार ने किया अभ्यर्थियो को ठगा । शिक्षक वेवक़ुफ नही होता ,वह अपनी मर्यादा और गरिमा के कारण भुगत रहा और पीड़ित है। इससे आगे आने वाले भवि शिक्षक जिनलोगो ने यह सब देखा उनकी नैतिकता का स्तर गिरेगा इसमें कोई दो राय नही है और नैतिकता का पतन समाज़ के लिये अच्छी बात नहीं है । सरकार को कम से कम शिक्षा के मामले में संवेदनशील होना चाहिये यह बेहद नाज़ुक विषय है । "सबसे गन्दा यह हुवा की झासा देकर गुमराह किया गया, सरकार ने अभ्यर्थियो से लगातार कहा हम STET2019 को तत्काल बहली अंतर्गत रखते हैं, और जितनी सीटे हैं रिज़ल्ट उतना ही आयेगा, फिर रिजल्ट को "मेरिट" और "नोट मेरिट" मे बाटा गया, यानी फुट डालो और राज करो ; फिर आज, कल परसो कर कर उलटे पलते बयानबाज़ी करके बहाली को 4 सालों तक लटका कर रक्खा गया। आम अभ्यर्थी जिनको सिर्फ शिक्षक बनने में रुचि थी वो किसी तरह गुज़ारा करते रहे और नतीज़ा सबके सामने है। पहले पढ़ाई कर के सारी अहर्ताये पूरी किजीये और सालों आंदोलन किजीये जब उम्र40 साल के हो जाये तो फिर से सरकार फरमान जारी कर देगी। । आम अभ्यर्थी ; जो पहले से नियोजित शिक्षक हैं वो और नये अभ्यर्थि सारे लोग एक ही पेपर देंगे और तो और इनको PRT/ TGT/ PGT कुछ समझ नही आता सारे लोग एक ही पेपर देंगे ये कौन सी बुद्धि है इनको ही पता होगा।" इसलिये मैने दोहराया है टेक सेर भाजी टेक सेर खाजा"। मज़ाक चल रहा है शिक्षकों जिनको सिर्फ शिक्षक बनने में रुचि थी वो किसी तरह गुज़ारा करते रहे और नतीज़ा सबके सामने है पहले पढ़ाई कर के सारी अहर्ताये पूरी किजीये और सालों आंदोलन किजीये जब उम्र40 साल के हो जाये तो फिर से सरकार फरमान जारी कर देगी सारी आहर्तायें पूरी करने परीक्षाएँ पास कर चूकने के बाद इनको फिर से परीक्षा दिजीये का फिर सभी का अपना अपना विषय होता है सबका अपना लेवल होता है व्यवस्था और सरकार को इंन सबसे कोई मतलब नही है लड़ते हुये जवानी बिताइये और बुदापा से पहले बीमारी तो वेलकम करने के लिये कब से तैयार बैठी है। यानी ये की सराफत की दुनिया खत्म। नेता बनिये या नेता के घर पैदा होइये ,4 टाईम मलाई मारिये और 2 टाईम जनता को बर्गलाइये । विदेश घुमिये और एश किजीये। ❤😭 भारतेंदु बहुत याद आये🙏 अंधेर नगरी चौपट राजा ,टके सेर भाजी टके सेर खाजा ! बिहार के शिक्षक भर्ती सन्दर्भ में चरितार्थ होता वाकया !! ©gudiya #hand रोवहु सब मिलि के आवहु भारत भाई। हा! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई॥ 😭😭 आज भारतेंदु जी की बहुत याद आई वो जीवित न होकर भी अपनी रचनाओं के
Prashant Mishra
एक वाकया तोड़ गया इस रिश्ते को और वो कहती थी झगड़ने से प्यार बढ़ता है --प्रशान्त मिश्रा "एक वाकया"
Poonam Ritu Sen
ज़िन्दगी जितनी आसान हमारे लिए है जरूरी नहीं कि, हर किसी के जीवन में सूरज की रोशनी हो और उनमें कोई भी अंधकार ना हो। वाकयी वो एक बहुत खूबसूरत वाकया था, जिसने अपनी महक से मेरे दिल के बेजान बाग को खूबसूरत रूप से सिंचित किया था। ( एक खूबसूरत वाक़ये को जानने के लिये caption पढ़ें ) सुबह के 6 बज चुके थे और मैं अब तक सो रही थी,कुछ 3-4 अलार्म को बंद कर फिर से अपने सपनों में खो ही रही थी,तभी मम्मी ने खिड़की से पर्दा हटाते ह
Ratan Singh Champawat
फा़सलों से फै़सला होता नहीं वाकया ऐसा कभी देखा नहीं मर गया मैं प्यास के मारे मगर बुलबुले से वास्ता रक्खा नहीं ✍🏻✍🏻 शेष अनु शीर्षक में.. #dilkideharise ❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 फा़सलों से फै़सला होता नहीं वाकया ऐसा कभी देखा नहीं
Shree
भोला-सा, धुंधला-सा बचपन /अनुशीर्षक उधर बालकनी के रोशनदान में से चिड़ियां अपने बच्चों के लिए दाना लेने जाने लगती तो सारे चूज़े एक साथ चिड़िया के पंखों की सरसराहट की आवाज के साथ
Rupam Jha
व्यथित मन से कर रही हूं पुकार, ये कैसा प्रलय झेल रहा है बिहार, पहले सुखाड़ तत्पश्चात विकराल बाढ़, मासूमों को छीन गया पहले ही चमकी बुखार, दंश लू का चला ऐसा,जाने कितनी चली गयी, रोई बिलखी माँओ की आँचल बस भींग के रह गयी, कोई न सुना दुखड़ा, उनकी गोद सूनी हो गयी, इलाज़ के अभाव में बच्चों को बेमौत मौत मिल गयी, जाने क्या गलती हुई,क्यों कर रहा प्रकृति खिलवाड़, और नेत्र मूंदे सत्ता पर मौन बैठी है यहां की सरकार, जनता की कोई सुध नहीं है करती नहीं कोई प्रतिकार, बच्चे-बूढ़े तड़प रहे हैं,मिल न रहा है उनको आहार, सुशासन बाबू आत्ममुग्ध हो गए,अब आस ही न किया जाएं, सोये रहने दे उन्हें,उनके तंद्रा को न भंग न किया जाएं, बस प्रार्थना अब तुमसे करती हूं भगवन,दुःख मासूमों का सुना जाएँ, बहुत हो गया इम्तेहान अब कुछ रहम भी तो किया जाएं!🙏 आत्ममुग्धता के मारे क्या किसी की सुधि लेंगे,वो तो बस सत्ता की लिप्सा से ग्रसित हैं,बाकी भाषणबाजी जितना कर लें!पहले लू और अब बाढ़ की चपेट में
saurabh
मैं कहां गलत हूं ये मेरा सच बयां करेगा तुम्हें वो कहां सही है ये उसका वाकया बताता है मरासिम - रिस्तेदार, जानने वाला वो हर दफा कहता है यही रास्ते पर चलते रहो तुमसे यह नहीं कहता कि मैंने यही रास्ता बनाया है तुम्हारे बड़ों न
vasundhara pandey
श्री गजानन हिँय धरौं, सुमिरूँ शारदा माय। यह पाती अति गोप है, बांचियो ह्रदय लगाय।। वीरन मेरे पहिचानियो ,यामेंही प्रीति अपार । केहू दिन राखी ना मिले दूजे घर सम्हारात।। जानियो ना बंधन सूत को, एतनोही संदेस रखो सम्हारि ।। सखा तुम्हहिं हौं का कहउँ, तू दीपक हौं छाँह। जिम जिम ज्योति लौ लसे, जिमि तम तल गेहराहि।। " मैं परायी कब हुई" जियत राम को नाम ल्यूँ, मरत राम के धाम। जब लौं ये जीवन चले राखूँ दया धरम को मान।। कशी में विश्वनाथ बसें, द्वारे नंदी सं