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Dheeraj saini dheer
मान मिला सम्मान मिला गुरुजनों का वरदान मिला धन्य हुआ मैं पाकर ऋषि-मुनियों की पावन तपोभूमि जीवन मैं जिस शख्स से जो भी ज्ञान मिला हर उस शख्स को मेरा चरण वंदन प्रणाम... धीरज सैनी धीर... मान मिला सम्मान मिला गुरुजनों का वरदान मिला धन्य हुआ मैं पाकर ऋषि-मुनियों की पावन तपोभूमि जीवन मैं जिस शख्स से जो भी ज्ञान मिला हर उस शख्
D Gurjar
kavi manish mann
एक ख़्वाब की ख़ुशबू में डूब जाने को जी चाहता है। भारत को विश्वगुरु बनाने को जी चाहता है। जिसकी महक से महक उठे जहांँ सारा। वो फूल उगाने को जी चाहता है। इस बाग - ए - बहिश्त को जो उजाड़ना चाहते हैं। उन्हें सबक सिखाने को जी चाहता है। सारे मुल्कों से प्यारा है मुल्क अपना। इसे और प्यारा बनाने को जी चाहता है। चरक, सुश्रुत, कणाद, विवेकानंद जैसे इस महामानवों की ज़मीं में। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय बनाने को जी चाहता है। आप सभी हमेशा स्वस्थ सुखी और खुशहाल रहें। यही ईश्वर से मंगलकामना है। हम और आप ही इस तपोभूमि के उद्धारक हैं। इस भारत भूमि के प्रत्येक व्यक्ति
Rajendra Prasad Pandey Kavi
संगीत कुमार
कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी है। संस्कार की तु तरणी है।। देवो की तु भूमि है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। तपोभूमि की स्थली है। मंदिर और घाटी की नगरी है।। सरिता और तालावो से परिपूर्ण। कर्मवीर हम भारत माँ के। आयुर्वेद की स्थली है। जड़ी -बूटी से भरापड़ा ।। हिमालय की गोद मे बैठा। कर्मवीर हम भारत माँ के। गंगा, यमुना की धारा वहती चहुँदिस है। जंगल-झार से हरा - भरा मैदान है।। फूलो की घाटी से सुगंधित भारत महान है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। ( संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी ह
संगीत कुमार
कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी है। संस्कार की तु तरणी है।। देवो की तु भूमि है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। तपोभूमि की स्थली है। मंदिर और घाटी की नगरी है।। सरिता और तालावो से परिपूर्ण। कर्मवीर हम भारत माँ के। आयुर्वेद की स्थली है। जड़ी -बूटी से भरापड़ा ।। हिमालय की गोद मे बैठा। कर्मवीर हम भारत माँ के। गंगा, यमुना की धारा वहती चहुँदिस है। जंगल-झार से हरा - भरा मैदान है।। फूलो की घाटी से सुगंधित भारत महान है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। ( संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी ह
शुभी
गुफ़ा (पूरी रचना अनुशीर्षक में) वो गुफा, योगियों की तपोभूमि, जहाँ होता है अंधेरा, मैं और मेरे विचार। वो एकांत का समावेश, जो रखता है मुझ को मेरे समीप। इस गुफा का अकेलापन मुझ
संगीत कुमार
कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी है। संस्कार की तु तरणी है।। देवो की तु भूमि है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। तपोभूमि की स्थली है। मंदिर और घाटी की नगरी है।। सरिता और तालावो से परिपूर्ण। कर्मवीर हम भारत माँ के। आयुर्वेद की स्थली है। जड़ी -बूटी से भरापड़ा ।। हिमालय की गोद मे बैठा। कर्मवीर हम भारत माँ के। गंगा, यमुना की धारा वहती चहुँदिस है। जंगल-झार से हरा - भरा मैदान है।। फूलो की घाटी से सुगंधित भारत महान है। कर्मवीर हम भारत माँ के।। ( संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 कर्मवीर हम भारत माँ के। करते सदा तुझे प्रणाम।। वीर की ये धरती है। ज्ञानी और ऋषि की स्थली है।। कर्मवीर हम भारत माँ के। सभ्यता की जननी ह
Arun Prajapati
"साज लो कृपाण अंधकार हो गया।" ( कैप्शन ) साज लो कृपाण अंधकार जो गया। तरकशों में तीर फुफकारने लगे, बेड़ियों में वीर अब गुहारने लगे, कांपती धरा है नभ भी काँपने लगे, खोल कर जटा को शम्भ
ARUN KUMAR PRAJAPATI
"साज लो कृपाण अंधकार हो गया।" ( कैप्शन ) साज लो कृपाण अंधकार जो गया। तरकशों में तीर फुफकारने लगे, बेड़ियों में वीर अब गुहारने लगे, कांपती धरा है नभ भी काँपने लगे, खोल कर जटा को शम्भ