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हिमांशु Kulshreshtha
White तुम जो साथ हो तब भी मौसम ए हिज्र है इस तो बेहतर है कि बिखर जाएं हम ©हिमांशु Kulshreshtha बिखर जाये
बिखर जाये
read moreदक्ष आर्यन
White कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर ©दक्ष आर्यन #Sad_Status कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर
#Sad_Status कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर
read moreNeel
यूं ही नहीं आँखें सीप सी बन जाती हैं, यूं ही नहीं उनसे अनमोल मोती झरते हैं। 🍁🍁🍁 ©Neel #अनमोल मोती 🍁
#अनमोल मोती 🍁
read moredilkibaatwithamit
White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!! ©dilkibaatwithamit मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग
read moreKiran Chaudhary
सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।। ©Kiran Chaudhary सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।।
सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।।
read morePrakash writer05
White मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये निहारना चाहते हैं , मेरे नयनों के मनके , कोई बस मेरी , तस्वीर लेना चाहता है , कोई मुझ से अपनी , दिल की बातें कहना चाहता है , पर जो मैं बेच रही हूँ , उसके ख़रीददार कम हैं , अब इस दुनियां में , इज्जतदार कम हैं ! ©Prakash writer05 Monalisa मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये नि
Monalisa मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये नि
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White होंगे औजार और कोई अपनी जीत के, हम तो अपनी हार के हथियार हैं। माला मृतक की बड़ी तस्वीर पे, हार मेरे गले वही फूल ,हार हैं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #माला
नवनीत ठाकुर
ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में शिकायत क्या थी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में श
#नवनीतठाकुर ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में श
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash इश्क़ के बाज़ार में हर कोई खरीदार नहीं होता, कुछ तो टूटे दिल लिए मुफ्त ही बिखर जाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इश्क़ के बाज़ार में हर कोई खरीदार नहीं होता, कुछ तो टूटे दिल लिए मुफ्त ही बिखर जाते हैं।
#नवनीतठाकुर इश्क़ के बाज़ार में हर कोई खरीदार नहीं होता, कुछ तो टूटे दिल लिए मुफ्त ही बिखर जाते हैं।
read moreनवनीत ठाकुर
White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़। अपहरण के धंधे अब आम हो गए, अपराधी खुलेआम इनाम हो गए। छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं, इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं। यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत? जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत। ©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
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