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Janmejay Yadav
सचिन यादव ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशी चाका
Pratik Patil Patu
या जगात पूर्णतः सक्षम कोणीच नाही तरीही काही ठराविक लोकांनाच अक्षम संबोधलं जातं ! हे सत्य पाहण्यासाठी देखील एक क्षमता असावी लागते ती तुमच्यात आहे का ? ज्याला पोहता येत नाही, तो पोहण्यात सक्षम नाही म्हणजेच अक्षम आहे ज्याला झाडावर चढता येत नाही तो या गोष्टींमध्ये अक्षम आहे पण अशा अनेक अक्षमता
Rutuja Dorwat
sandy
अघटित रात्र बरीच झाली होती... बाईकवरून मी आपल्या घरी जायला निघालो... काही दिवसांपूर्वीच मला ही नवी नोकरी लागली होती... कधी दिवसपाळी तर
Vikas Sharma Shivaaya'
दशहरा के मंत्र रावनु रथी बिरथ रघुबीरा-देखि बिभीषन भयउ अधीरा।। अधिक प्रीति मन भा संदेहा-बंदि चरन कह सहित सनेहा।। रावण को रथ और श्रीराम को पैदल देखकर बिभीषन अधीर हो गए और प्रभु से स्नेह अधिक होने पर उनके मन में संदेह आ गया कि प्रभु कैसे रावण का मुकाबल करेंगे। श्रीराम के चरणों की वंदना कर वो कहने लगे। नाथ न रथ नहि तन पद त्राना-केहि बिधि जितब बीर बलवाना॥ सुनहु सखा कह कृपानिधाना-जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना॥ हे नाथ आपके पास न रथ है, न शरीर की रक्षा करने वाला कवच और पैरों में पादुकाएं हैं, इस तरह से रावण जैसे बलवान वीर पर जीत कैसे प्राप्त हो पाएगी? कृपानिधान प्रभु राम बोले- हे सखा सुनो, जिससे जय होती है, वह रथ ये नहीं कोई दूसरा ही है॥ सौरज धीरज तेहि रथ चाका-सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका ॥ बल बिबेक दम परहित घोरे-छमा कृपा समता रजु जोरे ॥ इस चौपाई में श्रीराम ने उस रथ के बारे में बताया है जिससे जीत हासिल की जाती है। धैर्य और शौर्य उस रथ के पहिए हैं। सदाचार और सत्य उसकी मजबूत ध्वजा और पताका हैं। विवेक, बल, इंद्रियों को वश में करने की शक्ति और परोपकार ये चारों उसके अश्व हैं। ये क्षमा, दया और समता रूपी डोरी के जरिए रथ में जोड़े गए हैं। ईस भजनु सारथी सुजाना-बिरति चर्म संतोष कृपाना ॥ दान परसु बुधि सक्ति प्रचंडा-बर बिग्यान कठिन कोदंडा ॥ इस चौपाई में प्रभु ने सारथी के बारे में बताया है। जो रथ को चलाता है। ईश्वर का भजन ही रथ का चतुर सारथी है । वैराग्य ढाल है और संतोष तलवार है। दान फरसा है, बुद्धि प्रचण्ड शक्ति है, श्रेष्ठ विज्ञान धनुष है। अमल अचल मन त्रोन समाना-सम जम नियम सिलीमुख नाना ॥ कवच अभेद बिप्र गुर पूजा-एहि सम बिजय उपाय न दूजा ॥ पाप से मुक्त और स्थिर मन तरकस के समान है। वश में किया हुआ मन, यम-नियम, ये बहुत से बाण हैं। ब्राह्मणों और गुरु का पूजन अभेद्य कवच है। इसके समान विजय का दूसरा उपाय नहीं है। सखा धर्ममय अस रथ जाकें-जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें ॥ हे सखा (बिभीषन) यदि किसी योद्धा के पास ऐसा धर्ममय रथ हो तो उसके सामने शत्रु होता ही नहीं, वो हर क्षेत्र में जीत हासिल करता है। महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।। हे धीरबुद्धि वाले सखा सुनो, जिसके पास ऐसा दृढ़ रथ हो, वह वीर संसार (जन्म मरण का चक्र) रूपी महान दुर्जय शत्रु को भी जीत सकता है,फिर रावण को जीतना मुश्किल कैसे हो सकता है। सुनि प्रभु बचन बिभीषन हरषि गहे पद कंज एहि मिस मोहि उपदेसेहु राम कृपा सुख पुंज ।। प्रभु श्रीराम के वचन सुनकर बिभीषन प्रफुल्लित हो गए और उन्होंने प्रभु के चरण पकड़कर कहा, हे प्रभु, आपने इस युद्ध के बहाने मुझे वो महान उपदेश दिया है जिससे जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजय पाने का मार्ग मिल गया है। ये मंत्र पाकर मैं धन्य हो गया 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' दशहरा के मंत्र रावनु रथी बिरथ रघुबीरा-देखि बिभीषन भयउ अधीरा।। अधिक प्रीति मन भा संदेहा-बंदि चरन कह सहित सनेहा।। रावण को रथ और श्रीराम
sandy
काल सोनाराच्या दुकानात गेले होते तेथे कोणाचा तरी फोन होता तो ठेवल्यानंतरचा तेथील संवाद ऐकला एक जण म्हणत होती अग त्यांचा दागिना तयार आहे न