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M.K Meet
दिल को पत्थर बनाने की कशमकश में हूं! के वह बार-बार तोड़े,और मुझे दर्द भी न हो . ©M.K Meet दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
read moreAnjali Singhal
"सुनो...दिल को जो ये प्यार तुम पर आता है! पागल है ये थोड़ा सा इसे पागल ही भाता है!!" #AnjaliSinghal love #loveshayari #Shayari shayarista
read moreAjay Tanwar Mehrana
पागल हूं क्योंकि प्यार पाया है मैंने तुम सयाने तो बहुत कुछ खो बैठे । शौला हूं क्योंकि शौर्य पाया है मैंने तुम शीतल बर्फ बेवजह पिघल बैठे । गंवार हूं क्योंकि शहर गंवाया है मैंने तुम तो गांव को छोड़ शहर जा बैठे । रुग्ण हूं क्योंकि वो रोग पाया है मैंने जिसे सब लोग अपराध कह बैठे । जिद्दी हूं क्योंकि जिस्म पाया है मैंने तुम सहज शील खुद को ही खो बैठे । ©Ajay Tanwar Mehrana poetry in hindi पागल हूं मैं
poetry in hindi पागल हूं मैं
read moreVEER NIRVEL
आधा कप चाए बनाई है फ़क़त और उसमें से इन्हें भी चाहिए.. #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL आधा कप चाए बनाई है फ़क़त और उसमें से इन्हें भी चाहिए
आधा कप चाए बनाई है फ़क़त और उसमें से इन्हें भी चाहिए
read moreMahesh Patel
White सहेली..... दिल की चोट किसी को ना दिखाई दे.. यही मेरे लिए अच्छा है.. वरना लोग पूछेंगे.. अरे पागल है यह कैसे हो गया.. लाला....... ©Mahesh Patel सहेली... पागल... लाला....
सहेली... पागल... लाला....
read moreShashi Bhushan Mishra
बे-दखल चाहत हुई है, भावना आहत हुई है, प्रेम का मरहम लगाया, तब कहीं राहत हुई है, बेवज़ह बेचैन हो मन, समझ लो उल्फ़त हुई है, देखता हरबार मुड़कर, जब कोई आहट हुई है, ध्यान में बैठे हो जबसे, फिर कहां फ़ुर्सत हुई है, हो मनोरथ सिद्ध अपना, ऐसी कब किस्मत हुई है, मुस्कुराकर भूल जाना, अपनी तो आदत हुई है, याद तड़पाती है 'गुंजन', घर गये मुद्दत हुई है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #बे-दखल चाहत हुई है#
#बे-दखल चाहत हुई है#
read moreMahesh Patel
White सहेली..... उनकी आंखों में वह दीवानगी थी.. वह हमने दिल से पढ़ ली थी.. सब कुछ छोड़ कर हमसे मिलना चाहती थी.. सहेली न जाने क्यों इतनी पागल होती थी.. लाला...... ©Mahesh Patel सहेली... पागल... लाला...
सहेली... पागल... लाला...
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