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एक इबादत
आज सुबह होगी मेरी देश के अलमस्त शहर में... अलमस्त यानि...बेफिक्री का शहर! तो चलो बीकानेर में सूर्य उदय के साथ एक कप चाय पिया जायें किसी नुक्कड़ पर बैठकर.. सफ़र पर हूँ आज अपने वतन के अलमस्त शहर के हाँ सही सुना अलमस्त शहर यानि की बेफिक्री का शहर जहां लोग बेफि़क्र होकर बिंदास जीवन जीते है राजस
Divyanshu Pathak
मुक़द्दर में तेरे क्या है सितारे क्या बताएंगे ! भंवर में जोर कितना है किनारे क्या बताएंगे ! 'हार-जीत' की बातें किनसे पूछता है तू "पाठक" जो 'खुद' को जीत नहीं सकते वो हारे हुए क्या बताएंगे ! :🍫☕🍀🌱☘Good evening ji ☕☕☕☕☕🍫🍎🍎☕☕🍀🌱☘🍧🙋 चंद्रकांता की कहानी में जो तिलिस्म आपने पढ़ा या देखा होगा कुछ कुछ वैसा ही लगा मुझे मेरे राजस्थान का "जू
KHINYA RAM GORA
#अंदाज कुछ अलग ही हैं मेरे # सोचने 🤔 का, सब को # मंजिल का शौक है और मुझे #रास्ते का....😎 खींयाराम गोरा!! ये राजस्थान के ग्राम थावरिया जिला बीकानेर का निवासी हैं। पिता धन्नाराम जी गोरा,माता मघी देवी।। इन्होंने 12 पास 2019 में को ये अभी AGRI. SUPERVISOR की तैयारी कर रहे है। कन्या भ्रूण हत्या भूमिका विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष वर पक्ष को उपहार के रूप में जो भेंट दी जाती है। उसे " दहेज " कहते है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही है। आज यह बुराई का रूप धारण कर चुकी है। परंतु मूल रूप से यह बुराई नही है। बुराई आखिर दहेज को हम बुरा कैसे कह सकते है विवाह के समय प्रेम का उपहार देना बुरा कैसे हैं क्या एक पिता अपनी कन्या की खाली हाथ विदा कर दे ? अपनी प्यारी बिटिया के लिए धन,सामान, वस्त्र आदि देना प्रेम का प्रतीक है। परंतु यह भेंट प्रेमवंश दी जानी चाहिए, धाक जमाने के लिय नहीं। दुसरी बात दहेज अपनी सक्ति के अनुसार दी जानी चाहिए, मजबूरी से नहीं। तीसरी बात दहेज दिया जाना ठीक हैं मांगा जाना ठीक नही । दहेज को बुराई वहा कहा जाता है जहां मांग होती है दहेज प्रेम का उपहार है। जबरदस्ती खींच ली जाने वाली संपति नही। दुर्भाग्य से आजकल दहेज की जबरदस्ती मांग की जाती है। दुल्हो के भाव लगते है बुराई की हद यहां तक बढ़ गई है। की जितना शिक्षित दुल्हा हो, समझदार हो उसका भाव उतना ही अधिक है। आज डॉक्टर, इंजिनियर, आई. ए. एस, आई. पी. एस इन सभी का भाव सिर चढकर बोलता है ऐसे में कन्या के पिता क्या करें वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए इतना सारा धन कहां से आए वैसे यहीं से शुरू होती है। दुष्परिणाम दहेज प्रथा के दुष्परिणाम अनेक है या तो कन्या को लाखो का दहेज देने के लिए घुस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, काला–बाजारी आदि का सहारा लेना पड़ता है नहीं तो खुद की बेटियां है अयोग्य वरो के मत्थे मढ दी जाती है। आज हम हर रोज समाचार पत्रों में पढ़ते हैं की दहेज के लिए युवती के रेल के नीचे कट कर मरी, किसी बहू को ससुराल वालों ने जिंदा जला कर मार डाला, किसी बहन बेटी ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ली । ये सभी घिनौने परिणाम दहेज रूपी दैत्य के ही है। रोकने के उपाय हालांकि देश की बुराई को रोकने के लिए समाज के अनेक संस्था बनी है युवकों का प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाए गए है। परंतु समस्या ज्यों का त्यों है, इसके कोई सुधार नहीं हुआ है, सरकार के दहेज के दोषी को कड़ा दंड देने का विधान रखा है। परंतु आवश्यकता है जन– जागृतिकी जब तक युवा देश का बहिष्कार नहीं करेंगे, और युवतियां दहेज–लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेगी तब तक यह कोढ चलता रहेगा। हमारे साहित्यकारों और कलाकारों को चाहिए कि वे युवकों को हदय मे दहेज के प्रति तिरस्कार जगाए। प्रेम विवाह को प्रोत्साहन देने से भी यह समस्या दूर हो सकती है सरकार को चाहिए कि दूसरे जातियों में शादी संबंधी बने। ताकि दहेज प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंक सके ©KHINYARAM ( LADLA) GORA #अंदाज कुछ अलग ही हैं मेरे # सोचने 🤔 का, सब को # मंजिल का शौक है और मुझे #रास्ते का....😎 खींयाराम गोरा!!
राकेश रोसन
#Demonetization काला धन निकले या ना निकले बस काले दिल निकाल दो ताकि पुलिस एस्टेसन पर एक आम आदमी की भी उतनी सुने जितनी पैसे वालो की चलती है 🙏 (आम आदमी ) R K बीकानेर पुलिस
Sandeep Beniwal
#Pehlealfaaz कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है | # राजस्थान एग्री बीकानेर