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White zindagi jeena aasan nahi hota hai bahut taklif r khusi r gam sab chalta hai ©ss ss zindagi
zindagi
read moreNews by Prashant
White न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है। ©News by Prashant #love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
#love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
read moredilkibaatwithamit
White कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. ©dilkibaatwithamit कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
read moreamar gupta
White जमकर मौज काटी है जिंदगी ने मेरी ... जब मुझे मौका मिला तो, मैने भी जिन्दगी की धज्जियां उड़ा दी । ©amar gupta #Zindagi
Priya Sharma
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset Zindagi or hume ek hi kaam mila hai..... zindagi humko ro leve hum zindagi ko ro leve...... ©Priya Sharma # Zindagi
# Zindagi
read moreDeepak Kumar 'Deep'
टुकड़ों में जिंदगी जी रहे है हम! अधूरा सा मैं, और अधूरे से तुम!! ©Deepak Kumar 'Deep' #Zindagi
Isha Jain
Unsplash हैरान कर दिया है तूने ज़िन्दगी कभी ख़ुशी देती है कभी गम कभी हँसाती है कभी रुलाती है कभी ठुकराती है कभी अपनाती है कभी प्यार जताती है कभी तड़पाती है ना जाने पल भर मे क्या खेल खेल जाती है प्यार भरे दिल को एक पल मे तोड़ जाती है सपनो की उड़ान को जमीं पे ले आती है खाकर ठोकर सम्हल जाती है मुझे अपनी मंजिल की और नई दिशा दिखाती है हर मोड़ पर मुझे हैरान कर जाती है हर पल नया अहसास कराती है ©Isha Jain #Zindagi
Sarvesh kumar kashyap
🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional
read moreहिमांशु Kulshreshtha
धीरे धीरे अंतस का सारा शोर थम जाता है.. सारी पीड़ाएं,सारे दुख सुन्न से हो सो जाते हैं.. फिर कुछ भी हैरान नहीं करता, कुछ भी परेशान नहीं करता.. पीछे मुड़कर देखने पर लगता है जिस जिंदगी को जीया, भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा सब बचकाना था सब कुछ बेमानी था.... जिस को जाना था वो चला ही जाता है ख़ामोशी से बस, अपने निशाँ छोड़ कर धीमे धीमे जिदगी फ़िर ढर्रे पर आने लगती है किसी के बिना जी न पाने का डर कम होता जाता है बस.. कभी कभी सीने में एक आग सी उठती है एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है ©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...
धीरे धीरे...
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