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Anju
मुहब्बत की निशानी थी बो तेरी घड़ी मेरे पास कुछ यूं गुम हुई कभी दुबारा न मिली बो बताना चाहती थी मुझे की मेरी मुहब्बत गुमने बाली हैं इस दुनिया की भीड़ में न समझ थी में जो ये बात न समझ सकी ©Anju एहसास ए अंजुली
Mehfuza
White हमेशा याद रहेगा यह दौर-ए-जहाँ हमको, क्या तरसाया है जहाँ ने उस शख़्स-ए-ग़ैर के लिए! ©Mehfuza #nightthoughts हमेशा याद रहेगा यह दौर-ए-जहाँ हमको, क्या तरसाया है जहाँ ने उस शख़्स-ए-ग़ैर के लिए! Meaning-
Anju
एहसास ए अंजुली ******************** कहा इस्तहार दे दू मे अपने हाल ए दिल का जो खबर पहुचे तुम तक , तुम तो बडे नादान बने बैठे हो, ओर सांसे टूटने लगी है अब मेरी, कसम से बहुत याद आने लगे हो!!!! 😊😊💕🥺🥰 ©Anju एहसास ए अंजुली
हिमांशु Kulshreshtha
क्या खबर थी इस तरह रो उठेगा आसमाँ भी हम ने तो बस अपना दास्ताँ ए दर्द बयां किया है ©हिमांशु Kulshreshtha दास्ताँ ए दर्द..
Gurudeen Verma
शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखक
पथिक..
मेरी हस्ती, इतनी सस्ती नहीं की, टूट जाऊँ जरा सा गम खाकर, मेरी हस्ती तो जिंदगी को जीती है, हर गम मुस्कराकर, गम हार जाता है, मैं जीत जाता हूँ, जिंदगी जीना सिखाती है, और मैं सीख जाता हूँ. ©पथिक.. #उसूल ए ज़िंदगी
Anju
एहसास ए अंजुली सोचा एक रोज दिल ने भी क्यों न उससे बदला लिया जाए फिर याद आया बो तो मेरी नजरो से पहले ही गिर चुका फिर क्यों और उसे गिराया जाय 😏😏😏😏😏😏😏 ©Anju एहसास ए अंजिली
Neha Bhargava (karishma)
Village Life क्या खूब दिल लगाया है... क्या खूब दिल लगाया है... लूटे भी हम और इल्जाम भी हमीं पर लगाया है दिल्लगी समझकर बैठे रहे हम और उसने हर तीर साजिश का चलाया है उसकी निगाह में कभी मोहब्बत थी नही उसने तो मुझे गलत बताकर, साबित करने को प्यार बताया है हर कदम उसका एक साजिश था जिसे मैंने प्यार और परवाह बताया है क्या खूब दिल लगाया है... क्या खूब दिल लगाया है... समझौता भी हमारा हुआ और बुरा भी हमे ही बनाया है... बुरा भी हमे ही बनाया है.... ©Neha Bhargava (karishma) #प्यार ए साजिश