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Stories related to मेरी जान जाए वतन के लिए lyrics

Pravin Mishra

#love_shayari pyari मोहब्बत के लिए...

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White yaha taklif bhi hai our shor bhi 
mujhme himmat bhi hai hun kamjor bhi 
aise toh tum mujhe kho dogi
tumhe mai bhi chahiye? our fir koi our bhi..... *___💔💔🖤❤‍🔥

©Pravin Mishra #love_shayari pyari  मोहब्बत के लिए...

Jay Shri Ram

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

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Krisswrites

फरीदाबाद के बीके अस्पताल के बाहर कई दिनों धरना पर बैठे हैं बाबा चाहते हैं की छोटी-मोटी बीमारियों के लिए ना किया जाए दिल्ली रेफर

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Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

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Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi #lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

usFAUJI

ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji

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White आज-कल समाज में भाई-भाई आपस में लड़ते रहते हैं 
जिससे उन्हें सिर्फ समाज शर्मिंदगी मिलती हैं 

लड़ना ही हैं तों वतन के लिए लड़ो 
मर भी गये तों तिरंगा 🇮🇳 मिलेगा कफ़न के लिए
🇮🇳 जय हिंद जय भारत 🇮🇳

©usFAUJI ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji #Nojoto

Kavi Himanshu Pandey

वतन.. #beingoriginal Hindi

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Mohit Sharma

#love_shayari जान जान कह के वो जान ले गई #इश्क #Pyar #Mohbbat #Pyari #nojohindi #treanding #treandingsayari #Shayari

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Rahul Varsatiy Parmar

#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #

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सुबह के 5 बज चुके है तो

जमाने ए बंदिश

खैर एक खयाल एक गजल देखिए
रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है
हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है
ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी
अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी
(मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना)
 नही है रही अब फितरत हमारी
मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी
हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से
क्यों हया-ए- आबरू  खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी

(मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) 

इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे  इसे बेफिकर होकर जियो
निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार

©Rahul Varsatiy Parmar #foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#किसके हिस्से वतन

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तेरा चिंतन मनन, अब पूछता कौन है 
अच्छे बुरे व्यसन,अब पूछता कौन है 

बेईमानी के धंधों में इजाफा बहुत है 
ईमानों का पतन अब पूछता कौन है..

दर्द देने की आदत शुमार है जमाना 
दर्द का कारण क्या अब पूछता कौन है 

जुल्मो सितम से आसमाँ फटा जाता है 
फूलों से कोमल मन अब पूछता कौन है 

दिलों में शहादत की लौ ही बुझ गई  
शहीदों को नमन अब कौन पूछता है..

ये जमीं बँट गई आसमां लुट गया फिर 
किसके हिस्से वतन, अब पूछता कौन है 

राहे वतन पे बिछना तेरी शान थी गुल 
बिखरा किस बदन अब पूछता कौन है...

जाने कहाँ मशगूल हो रहीं जिंदगियाँ 
अपना ही घर आँगन अब पूछता कौन है..

जब आँखों की शर्मो हया ही मर गई 
मुँह ताकता दर्पण अब पूछता कौन है...

©अज्ञात #किसके हिस्से वतन

tanvi(^_^)

मुबारक हो मेरी जान💔

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