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srikant singh
White आपने परखा इसलिए बुरे लगे हम... शायद समझने कि कोशिश करते तो समझ आते हम! ©srikant singh #मेरी_कहानी
"Meri baatein"
White "कुछ इस तरह से टूट गए रिश्ते उनसे.. ना उन्होंने हमसे बात किया, ना हमने उनसे.. दिन ढलते चले गए और फिर साल गुजरते गए और हम यूं तन्हा रह गए" ©"Meri baatein" #मेरी_कहानी
gumnaam_writer011
में कल रहूं या ना रहूं... मेरे लिखें बोल, मेरी लिखीं कहानी याद रखना... असल तो मुझे कभी अपना ना सके तुम... मगर हो सके तो मुझे एहसासों और जज्बातों मे याद रखना ।। ©gumnaam_writer011 #मेरी_कहानी
Sarita gautam
जब से अपने दिल की सुनने लगे याकि मानों यारों चेन से रहने लगे गम_ए_तन्हाई क्या है भूल गए जब से सब अनसुना करने लगे।। मैं मैं हो गया हर सितम भूलकर अब तो कीचड़ में भी फूल खिलने लगे देखकर जो कभी फेर लेते थे नजारे अब वही हमारे लिए आहे भरने लगे।। सरिता🍂...✍🏼 ©Sarita gautam #जब #मैं#मेरी_कहानी
अgni
आज से कुछ तीन साल पहले, मैं अपनी आदत के मुताबिक रात को खाना खाने के बाद छत पर गाने गुनगुनाते हुए टहल रही थी की तभी टाँगों पर किसी की छुअन का एहसास हुआ, मैंने फौरन पलट कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। ये पहली बार था जब उसने मुझे छुआ था और पता नहीं क्यों मैं उस छुअन को मैं समझ नहीं पाई उस वक़्त या शायद समझ कर भी भरोसा नहीं कर आया रही थी। मैंने उससे पूछा "क्या हुआ?" उसने जवाब में उसी मुस्कुराहट के साथ कहा "कुछ नहीं।" मैं छत के दूसरे कोने में चली गयी, उसे नजरअंदाज करने के लिए और वो वहीं बैठा रहा उस मुस्कुराहट के साथ, कुछ देर बाद मैं नीचे आ गयी छत पर जो हुआ उसके बारे में सोचा और फिर खुद को समझाया कि शायद मैं गलत समझ रही हूँ उसे, बचपन से जानती हूँ उसे फिर भी। दो-चार दिन बाद मेरे बाथरूम के बाहर कोई स्पर्म छोड़ गया था, उस वक़्त वहाँ उस मंजिल पर अकेली थी मैं और ये बात वो शख़्स जानता था। उस लम्हे ने झकझोर दिया था मुझे अंदर तक, कुछ पल को जैसे पत्थर हो गयी थी मैं, ऐसा नहीं है कि बदतमीजी पहले कभी नहीं हुई, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था। मेरे आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और पहली बार मुझे अपने ही घर में डर लग रहा था। मम्मी और भाई घर आए तो समझ नहीं आया उन्हें क्या बताऊँ, फिर कोशिश करके मम्मी को बताया लेकिन....न किसी को आते देखा न जाते तो इल्ज़ाम भी किस पर लगाती। रोकर शांत हो गयी लेकिन मन में ख़ौफ़ बैठ गया था इस बात का की अगले कुछ घंटों या मिनटों में पता नहीं क्या हो जाएगा। कुछ देर के लिए भी अकेले रहने से डर लगने लगा था। कुछ दिन और बीते फिर, जब एक दिन मैं छत पर अपने बालों को सुखा रही थी तब वो भी छत पर आ गया, मैंने चाहा कि नीचे वापस चली जाऊँ लेकिन तभी उसने कहा "दीदी एक बात कहूँ?" मुझे लगा शायद जो मैं सोच रही हूँ वो गलत है, फिर मैंने वहीं सीढ़ियों पर बैठते हुए कहा "हाँ बोल क्या हुआ" मेरे इतना कहते ही जिस तरह वो मेरे करीब आने लगा मुझे सब साफ़ समझ आ गया। पीछे हटते हुए मैंने कहा "पूछ" मैं उसके मुँह से सुनना चाहती थी कि वो क्या कहता है ताकि उसके माता पिता को बताने के लिए मेरे पास उसके शब्द हों। उसने कहा "तुम मुझे बहूत पसंद हो, मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी?" उस वक़्त वो जिन नज़रों से मुझे देख रहा था वो किसी प्रेमी की नहीं बल्कि धाक लगाए बैठे किसी गिद्ध की तरह थी। इतना सुनते ही बीते दिनों में मेरे साथ हुई एक एक चीज़ कड़ी से बँध गयी, जी चाहा कि उसके गालों पर एक ज़ोरदार तमाचा लगा दूँ लेकिन नहीं लगा पाई, घिन आ रही थी मुझे उससे। मैं तुरंत नीचे आई और क्योंकि दिन रविवार का था तो घर में कुछ मेहमान आए हुए थे, मैं उनके जाने का इंतजार करने लगी लेकिन गुज़रे दिनों जिन भयानक लम्हों को मैंने जिया था उन्हें सोच कर डर से पहली बार मेरे हाथ पैर काँप रहे थे। मैं कमज़ोर नहीं हूँ लेकिन इतनी मज़बूत भी नहीं कि सब झेल जाऊँ। मेहमानों के जाते ही मैंने रोते रोते घर में सबकुछ बताया, माँ-पापा उसके घर गए, वहाँ जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि उसने तो कुछ किया ही नहीं। कुछ देर बाद उसकी माँ घर आई, मुझसे पूछा क्या हुआ था, मैंने भी सबकुछ बताया उन्हें और कहा कि मेरे सामने अपने बेटे से पूछिए। मेरे कहने पर उसके पापा उसे मेरे घर लाए और मैंने उससे सवाल करना शुरू किया, बहुत देर की चुप्पी के बाद उसने स्वीकारा लेकिन जब मैंने वो बाथरूम वाली हरकत के लिए उससे जवाब माँगा तो वो चुप था। हाँलाकि ये सब समझ गए थे कि वो सभी हरकतें उसी ने की थी, फिर भी उसकी माँ ने मुझे कहा "तूने ही कुछ किया होगा, मेरा बेटा यूँ ही तो ऐसा नहीं करेगा।" आसान शब्दों में वो मुझे "चरित्रहीन" कह रही थी, सुनने हैं आसान सा शब्द है लेकिन यक़ीन मानिए जिस पल इस शब्द को कोई आपके लिए इस्तेमाल करता है, उस पल जो चोट लगती है दिल पर वो कभी भरती नहीं है। ये वो शब्द थे जिन्हें मैं आख़िरी साँस तक भूल नहीं पाऊँगी। जिस चरित्र पर कभी एक तिनका भी नहीं उठा था, उस दिन मेरे उस चरित्र को गाली दी गयी थी जिसने सीधा आत्मा को जख़्मी किया था। उस दिन मैं इस सच से रूबरू हुई कि, मैं जिस समाज में रह रही हूँ वहाँ पुरुष चाहे जितनी भी बड़ी ग़लती करे लेकिन दोषी हर बार स्त्री को ही ठहराया जाएगा। ©अgni #life #ज़िन्दगी #चरित्रहीन #मेरी_कहानी #अग्नि
#Life #ज़िन्दगी #चरित्रहीन #मेरी_कहानी #अग्नि
read moreमरजानो_मनोजियो (The GamePlanner)
एक उदास का चेहरा देखने लायक नहीं होता । अपने दिनों से , अपनी स्थितियों से जूझ रहे , लड़ रहे आदमी का हाथ , कोई नहीं पकड़ना चाहता । हर रोज मर रहे आदमी के अंदर कोई उम्मीद नहीं भरना चाहता । उदास रहते हुए , लड़ते हुए और मरते हुए मैंने जाना है कि हँसते हुए जीने का संघर्ष , दुनिया मे किसी और संघर्ष से बहुत बड़ा है। अभिनय की इस दुनिया में तुम सभी किरदारों का सम्मान करना । तुम एक उदास आदमी का चेहरा देखने , एक लड़ते हुए आदमी का हाथ पकड़ने और मरते हुए आदमी में उम्मीद भरने से कभी मत भागना ..... ©#मरजानो_मनोजियो #मेरी_कहानी Swati Tyagi
#मेरी_कहानी Swati Tyagi
read moreniharika nilam singh
हर रोज मेरे दिन की बस यही कहानी है होंठो से हंसना है आंखों में पानी है ©niharika nilam singh #मेरी_कहानी #दर्द #Broken #love for #nojotohindi #nojotolucknow #rain
#मेरी_कहानी #दर्द #Broken love for #nojotohindi #nojotolucknow #rain
read moreSamEeR “Sam" KhAn
तुम, साथ थे तो हर रोज ही जिंदगी जन्नत सी लगती थी। एक तुम्हारे फोन के इंतजार में हम अपने हर दिन के कई बेहतरीन पलों को खो दिया करते थे। जानते थे हम की तुम्हें हमारे खोते पलों की कोई कद्र ही नहीं होती थी। तुम उन्हें मेरा खालीपन का तोहफा समझते थे। तुम्हें हमारी भावनाएं किसी घर में रखे रद्दी की तरह लगते थे। हमने कई दफा कोशिश की तुम्हें समझाने की पर तुम्हें समझाना और समझना हमारे समझ से परे था। तुम्हारे जाने के साथ ही हमने समझा कि प्रेम समर्पण का नाम तो जरूर होता है पर खुद की अहमियत को खत्म कर के नही।तुम्हारे अपने अलग ही उसूल थे जीवन के जिसमें तुम किसी तरह की भी कोई रियायत नही करते थे। हम बिछड़ गये पर तुम अपनी जिद पे रहे, यूं कह लो तुम्हारे लिए प्यार से अधिक तुम्हारी झूठी शान जरूरी थी। एक वो वक़्त था और एक आज का वक़्त है तुम अब अपने शान, उसूलों तक को दरकिनार कर आते हो पर हमारे अंदर प्यार ही नहीं बचा....! मैं भी मजबूर हूं....हो सके तो माफ करना...! ©SamEeR “Sam" KhAn #मेरी_कहानी
Shivendra Gupta 'शिव'
#मेरी_कहानी... मैं अपनी कहानी लिखूं क्या करूं शुरू मैं कहां से, आज सोचा लिखूं खुद को कितना सही कितना गलत, कहां तक मैं खुद को ले जा पाऊंगा,या थक हार कर मैं, यहीं किसी कोने में अंधेरे में खो जाऊंगा।। हूं तो वैसे मैं वो भाव सूची जिसका कोई मोल नहीं, बिका हमेशा ऐसा ही तोला प्यार में भी गया नहीं, ना जाने कितनी तन्हाइयों का रहा गवाह मैं ऐसा ही, जैसे हो वो किताब जो कभी खोली गई नहीं।। हर आंसू को बस मैंने अंदर ही तो रखा है, ना जाने कितने समुंदरों को इन आंखों में संभाले रखा है, अपनेपन को बांट बांट मैं देखो पराया ही रहा, ना जाने कितनो को सहारा देके भी मैं कितना लाचार रहा।। रिश्तों की दुनिया बसाने गया और खुद भीड़ में अकेला हूं, कि हां मैं एक सरल सा अर्थ हूं उन शब्दों का, जो मुंह से कभी कहे गए नहीं, जीवन भर सबको खुश करने की चाह रख कर, मैं खुद ही खुल कर कभी हंसा नहीं, एक ऐसा सा मैं बादल हूं, जिसमे पानी तो अपरंपार है, पर कभी खुल कर बरसा नहीं।। हां मैं आज के आधुनिक दिमाग वालों के युग में, दिल और भावनाओं से काम लेने वाला,एक पागल सा इंसान हूं।।🥰 #सादर_अभार 🙏 #मन_में_एकाएक #शिव ©Shivendra Gupta #AloneInCity
VIKAS" VKB #DEARJINDAGI
उनकी याद # महोब्बत का दर्द क्या होता है वो इससे अंजान थी, बिछड़ कर वो मुझसे पहली दफ़ा परेसान थी हो कर दर्द से रूबरू वो आंखों से आँशु गिरा रही थी ये मेरी महोब्बत में जलते तपिस का एहसास था या महोब्बत की अंगीठी में वो जल रही थी। ✍VKB….🎙 , ©VIKAS" VKB #DEARJINDAGI #PoetInYou #Dear_jindagi #जिंदगी #तुम #मेरी_कहानी
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