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Self Made Shayar
मेहनत की उम्र मे मोहब्बत हो रही है , ना जाने बुढापा किस उलझन मे बितेगी मजबूरियाँ मुॕह फुलाएँगी या फिर गरीबी कोड़ो से पीटेगी | Dedicated to Student life ©Self Made Shayar #मेहनत की उम्र मे मोहब्बत हो रही है ना जाने बुढापा किस उलझन मे बितेगी मजबूरियाँ मुॕह फुलाएँगी या फिर गरीबी कोड़े से पीटेगी प्रशांत की डाय
Vikesh 12
सुसि ग़ाफ़िल
किसी को मैं क्या बताने जाऊं किसी से मैं क्या छुपाने जाऊं हर बार रहता है फुल मेरे हाथ में कोई जहर कहे इसे तो कैसे छुपाने जाऊं पूछ लेती है दीवारें मुझसे तेरा नाम अब उनसे गुमनाम होकर कहां मुंह छुपाने जाऊं तेरी याद में आ रहे है कोड़े भेंट बनकर मैं किस किस से अपनी पीठ छुपाने जाऊं तू है की समझता नहीं है मेरी बात को या तुम इशारा कर रही हो मैं गम छुपाने जाऊं "ग़ाफ़िल" से नहीं होता बर्दाश्त ये सितम "मरहम" तुम ही तरकीब बताओ कैसे आंखें छुपाने जाऊं | किसी को मैं क्या बताने जाऊं किसी से मैं क्या छुपाने जाऊं हर बार रहता है फुल मेरे हाथ में कोई जहर कहे इसे तो कैसे छुपाने जाऊं पूछ लेती है
सुसि ग़ाफ़िल
हम भी कैसे खुश रहते हर एक रास्ते में रोड़े थे ! हमने भी कई नादानों के अनजाने में दिल तोड़े थे ! क्या करते कुछ भी तो नहीं हम पर भी दर्द के कोड़े थे ! चल रहा सुन इश्क़ तुमसे हम भी अनजान थोड़े थे ! चल रहे हैं दर्द के भंवर में पाक रिश्ते बहुत ही थोड़े थे! "सुशील" लिख रहा है खत तुम भी अनजान थोड़े थे ! तुमने तो कह दी दिल की बात हमने अभी कहां दर्द निचोड़े थे! हम भी कैसे खुश रहते हर एक रास्ते में रोड़े थे ! हमने भी कई नादानों के अनजाने में दिल तोड़े थे ! क्या करते कुछ भी तो नहीं हम प
Vandana
,,,,, क्या मांगा है और मांग भी क्या सकते हैं किसी से और कोई दे भी क्या सकता है देने वाला लेने वाला मिलाने वाला बिछड़वाने वाला वह परवरदिगार है जब
Vandana
जब जब देखूं तुझको तब तब मैं सब बिसरत जाऊं। तुझको पा के जैसे मैं एहसास ए जन्नत पा जाऊँ। तू ना मिले उदासी मैं घिर जाऊं। तुझको पाने के लिए मैं सौ सौ कोड़े भी खा जाऊं। जब मिल जाए तू तो,दुनियाँ की हर दौलत मैं पा जाऊं, तेरे पास आ जाने से मैं चंपल चंचला बन जाऊं। तुझको देख के मुंह के रस रसगंगा बन जातें । खुशियां बनके रोम रोम में बहत जातें। मीठा सा स्वाद मुंह में घोलकर मदहोश कर जातें । आप पूरा कैप्शन में जरूर पढ़ें,, फनी पोयम, बहुत सारे मजेदार किस्सों को लिए हुए, चुनिंदा एहसासों से भरी,,, जब जब देखूं तुझको तब तब मैं सब बि
NY
जिंदगी के एक ओर पर खड़े हैं दूसरी ओर जाना चाहते हैं अपनी परेशानियों को भुला कर खुशियों को बुलाना चाहते हैं कुछ पन्ने हैं कोड़े जिन्दगी के इसे अपनी कहानियों से भरना चाहते हैं कुछ सपने हैं उसे अपनी मेहनत से पुरा करना चाहते हैं सब कुछ भुला कर एक नई शुरुआत करना चाहते हैं जिंदगी के एक ओर पर खड़े हैं दूसरी ओर जाना चाहते हैं अपनी परेशानियों को भुला कर खुशियों को बुलाना चाहते हैं कुछ पन्ने हैं कोड़े जिन्दगी के
Paramjeet kaur Mehra
Vivek Kumar Yadav
कोड़े की मार और प्यार की बात हर किसी को समझ नहीं आती, और जिसे आ जाती हैं, वो एक मिसाल कायम करते हैं। ©Vivek Kumar Yadav कोड़े की मार और प्यार की बात हर किसी को समझ नहीं आती, और जिसे आ जाती हैं, वो एक मिसाल कायम करते हैं। #Health #Nojoto #Hindi #Life
Vikas Sharma Shivaaya'
इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे, सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा । अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह आवाज सुनते ही संत इब्राहिम की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्हें लगा कि बादशाहत के दौरान अपने को बड़ा मानकर उन्होंने बहुत गुनाह किया है। वे ईश्वर से उन गुनाहों की माफी माँगने लगे। एक दिन वे राजपाट त्यागकर चल दिए । निशापुर की गुफा में एकांत साधना कर उन्होंने काम, क्रोध, लोभ आदि आंतरिक दुश्मनों पर विजय पाई। वे हज यात्रा पर भी गए और मक्का में भी पहुँचे हुए फकीरों का सत्संग करते रहे। एक दिन वे किसी नगर में जा रहे थे कि चौकीदार ने पूछा, ‘तू कौन है?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘गुलाम । ‘ उस चौकीदार ने फिर पूछा, ‘तू कहाँ रहता है, तो इस बार जवाब मिला, ‘कब्रिस्तान में ।’ सिपाही ने उन्हें मसखरा समझकर कोड़े लगा दिए, पर जैसे ही उसे पता चला कि वे पहुँचे हुए संत इब्राहिम हैं, तो वह उनके पैरों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। संत ने कहा, ‘इसमें आखिर क्षमा माँगने की क्या बात है? तूने ऐसे शरीर को कोड़े लगाए हैं, जिसने बहुत वर्षों तक गुनाह किए हैं। ‘ कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘सारे मनुष्य खुदा के गुलाम हैं और गुलामों का अंतिम घर तो कब्रिस्तान ही होता है।’ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 945 से 956 नाम ) 945 रुचिरांगदः जिनकी अंगद(भुजबन्द) कल्याणस्वरूप हैं 946 जननः जंतुओं को उत्पन्न करने वाले हैं 947 जनजन्मादिः जन्म लेनेवाले जीव की उत्पत्ति के कारण हैं 948 भीमः भय के कारण हैं 949 भीमपराक्रमः जिनका पराक्रम असुरों के भय का कारण होता है 950 आधारनिलयः पृथ्वी आदि पंचभूत आधारों के भी आधार है 951 अधाता जिनका कोई धाता(बनाने वाला) नहीं है 952 पुष्पहासः पुष्पों के हास (खिलने)के समान जिनका प्रपंचरूप से विकास होता है 953 प्रजागरः प्रकर्षरूप से जागने वाले हैं 954 ऊर्ध्वगः सबसे ऊपर हैं 955 सत्पथाचारः जो सत्पथ का आचरण करते हैं 956 प्राणदः जो मरे हुओं को जीवित कर सकते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे, सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन