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PRIYA SINHA
White 🫂"बस तुम हो" 🫂 जीवन के गीत में ; हार या जीत में ; बस तुम हो ! सूनेपन की भीत में ; प्रहार या प्रीत में ; बस तुम हो ! समर्पण के रीत में ; बेकार या कृत में ; बस तुम हो ! प्रिया सिन्हा 𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. (शनिवार). ©PRIYA SINHA #बस #तुम #हो
Vinod Mishra
नवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
read moreNehu Dee.kalam
White तुम खुश रहो... मैं उदास ही ठीक हूं,,, तुम लुटाओ अपना प्यार सब पर,, मैं तुम्हारे पीछे बर्बाद ही ठीक हूं,,,, शायद मेरे नशीब में ना तुम्हारी परवाह है,,, ना ही प्यार ,, ना दोस्ती ,,,,है .... पर क्या बताऊं? मैं तरस गई तुम्हारे लिए,, तुम आते हो तो ऐंसा लगता है ,, जैंसें भगवान साथ है मेरे,,,, और जब तुम जाते हो तो लगता है ,,, मर गई मैं,,, जिन्दा लास बन जाती हूं। मुझे चाहिए थे तुम , तुम्हारा साथ , तुम्हारा हाथ,, बहुत रोई अकेले मैं,, बस रो ही पाती हूं,, और कुछ नहीं कर पाती,,, इससे अच्छा तो मर जाऊं मैं ,,,, किसके लिए जीऊं???? मुझे अच्छा नही लगता इस दुनिया में तुम्हारे बिना जीना,, कैंसे समझाऊं तुम्हें? तुम नही समझते कुछ तुम्हे सब मजाक लगता है,, शायद मेरी मौत पर समझो तुम की मैं कहती क्या थी,, मन करता है संसार से लड़लूं , तुमसे लड़लूं ,, और बस तुम्हारा साथ बस मिल जाये ,,, पर नामुमकिन कोशिश,,,, लेकिन प्यार मेरा बस तुम्हारा है अब हमेशा बस।।।। ©Nehu Dee.kalam सबकुछ तुम हो।
सबकुछ तुम हो।
read moreनवनीत ठाकुर
White बस्ती हो और मकान न हो। महफिल हो और शराब न हो। तेरे हुस्न की चर्चा रहे हर लम्हा, फिर भी तेरा दीदार न हो। तेरे हुस्न का जादू, जैसे नसीब का खेल, वरना तेरे बिना महफिल भी, सुनसान हो। तू हो पास, तो हर दिल में बहार हो, तू जैसे रेत पर खड़ी, ख्वाबों की दीवार हो। हर ग़ज़ल में जिक्र तेरा, तेरे बिना हर लफ्ज़ बेकार हो। तेरी यादों का नशा, हर लम्हा ताज़गी बक्शे, तेरे बिना कोई जश्न, जैसे बंजर कोई बाग़ हो। तू ही राहत, तू ही सुकून, तेरे बिना अधूरा जैसे हर ख्वाब हो। महफिल हो और शराब न हो, तेरा चर्चा रहे बस तेरा दीदार न हो। ©Navneet Thakur बस्ती हो और कोई मकान न हो#
बस्ती हो और कोई मकान न हो#
read moremanipratap
तुम जो नही है तो जिंदगी अधूरी है मेरी तुम मेरी जिंदगी हो तुम मेरी साँसे हो ©manipratap तुम मेरी हो
तुम मेरी हो
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