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mohammad waseem razaa
آرزو ہے کہ کبھی میں بھی مدینہ دیکھوں दिल मे इश्क़ ऐ मोहम्मद नही है अगर कलमा सुनने सुनाने से क्या फायदा क़ल्ब में सोके तैबा नही है अगर मक्के में आने जाने से क्या फायदा खुश्क सजदे किये खूब माथा घिसा ओर पेशानी पे दागे सज़दा बना क़ल्ब नामे मोहम्मद से खाली रहा यूँही माथा घिसाने से क्या फायदा हुब्बे अहमद की तब्लीक तूने न कि कट गई उम्र गुस्ताकियो में तेरी नक्स ढूंढना अगर काम है तेरा यूँही बिस्तर उठाने से क्या फायदा ©mohammad waseem razaa लब्बेक या रसूल अल्लाह #Madeena
MOHAMMED AKRAM
रसूलुल्लाह ने फ़रमाया : क्या मे तुमको ऐसे लोगोके मुताल्लिक़ न बताऊ जिन पर दोज़खकी आग हराम है, और वो आग पर हराम है? हर वो शख्स जो अपने क़रीबके लोगो के लिए आसानी और सहूलत पैदा करता है (उन सब पर दोज़ख़की आग हराम है) ©MOHAMMED AKRAM रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम का फरमान
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
अप्रैल फूल और इस्लाम रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “तबाही है उस शख़्स के लिए जो बोलता है तो झूठ बोलता है ताकि उस (झूठ) से लोगों को हंसाए, तबाही है उस के लिए, तबाही है उस के लिए।” [ सुनन अबु दाऊद #4989 ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #AprilFool अप्रैल फूल और इस्लाम रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “तबाही है उस शख़्स के लिए जो बोलता है तो झूठ बोलता है ताकि उस (झूठ) से लोगों को
Mohammad Arif (WordsOfArif)
अपनी किस्मत पर क्यूं ना इतराऊ मैं या रसूल अल्लाह आप पर कुर्बान हो जाऊं मैं इतना बुलंद मर्तबा है आपका नबियों में सारी दुनिया से मर्दे मुजाहिद बनकर लड़ जाऊं मैं ©Mohammad Arif (WordsOfArif) अपनी किस्मत पर क्यूं ना इतराऊ मैं या रसूल अल्लाह आप पर कुर्बान हो जाऊं मैं इतना बुलंद मर्तबा है आपका नबियों में सारी दुनिया से मर्दे मुजाहि
Meera Ali
इसकी रूह को न खुसरो ने समझा न इसकी दीवानगी को इस दुनिया ने। अकेली थी, नुमाइश की भीड़ में, खुद खाली हाथ, वर्खो को समेटती। कुछ टूटी है~ ऐसा उसके चाहने वालों ने खूब कहा। कहती है, कुछ कमी है, पर मैं अधूरी नहीं। शायद निज़ाम-ऐ-इश्क में डूबी हैं। ऐ मौला, इस सिफर में रसूल के गुल भर दें, मन मीत पिया की, कहती है- मीरा। मोए रस का प्याला अब भाता नहीं, जो मोए इस जगत ने तोसे छीना। (शीर्षक पढ़े)— % & इसकी रूह को न खुसरो ने समझा न इसकी दीवानगी को इस दुनिया ने। अकेली थी, नुमाइश की भीड़ में, खुद खाली हाथ, वर्खो को समेटती। कुछ टूटी है~ ऐसा उस
Shobhit Chauhan
तेरी इत्र की महक मेरी इबादत का रसूल है माशा अल्लाह तेरी रहमत कुबूल है कुबूल है। रसूल है।
Kavita Bhardwaj
पैग़ाम है ये.. तस्दीक - ए रसूल का वरना बागी तो हम भी नहीं, जो सरकश पर उतर आएं। ©Kavita Bhardwaj #पैगाम# तस्दीक#रसूल
Tarik khan khokhar
मैं कयु ना करू।। इज़हारे ए इशक नबी ।। ये चंद सासे है मेरी ।। ये सदका है रसूल का। सदका आका रसूल का