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Amit Singhal "Aseemit"
माँ के हाथों से बना हुआ स्वादिष्ट आम का अचार, खाते हुए लगता है जैसे मिल गया हो उनका दुलार। ©Amit Singhal "Aseemit" #आम #का #अचार
Reema Mansoori
हिन्दू ना जाने अपने आप को क्या समझते है गाय का ओर भेस का गोश्त ना खुद खाते है ओर ना ही मुसलमानो को खाने देते है इसलिए क्योंकि वो दुध देती है अगर इतने ही पंडित है तो फिर बकरी का,मुर्गी का ओर मछली का गोश्त क्यू खाते इसे भी ना खाया करे बकरी भी तो दूध देती है अगर इतने ही वो है तो meet को हाथ ही ना लगाया करे , ©Reema Mansoori गोश्त"
Veer Bhai
साथ रहकर पता पड़ा इन्सान का गोश्त - एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।'' "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूूं।'' कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा। तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।'' "ठीक है, मैं देखता हूं।'' कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया। बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा। उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?'' पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया। वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।'' कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया। उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर पड़ी। उसने अपनी पैनी चोंच से गाय के मांस का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे लेकर घोंसले पर जा पहुंचा। यह देखकर गिद्ध का बच्च एकदम से बिगड़ उठा, "पिताजी, ये तो गाय का गोश्त है। मुझे तो इन्सान का गोश्त खाना है। क्या आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकते?'' यह सुनकर गिद्ध बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने मन ही मन एक योजना बनाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकल पड़ा। गिद्ध ने सुअर के गोश्त एक बड़ा सा टुकड़ा उठाया और उसे मस्जिद की बाउंड्रीवाल के अंदर डाल दिया। उसके बाद उसने गाय का गोश्त उठाया और उसे मंदिर के पास फेंक दिया। मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों ने अपना काम किया और देखते ही पूरे शहर में आग लग गयी। रात होते-होते चारों ओर इंसानों की लाशें बिछ गयी। यह देखकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ। उसने एक इन्सान के शरीर से गोश्त का बड़ा का टुकड़ा काटा और उसे लेकर अपने घोंसले में जा पहुंचा। यह देखकर गिद्ध का पुत्र बहुत प्रसन्न हुआ। वह बोला, "पापा ये कैसे हुआ? इन्सानों का इतना ढेर सारा गोश्त आपको कहां से मिला?" गिद्ध बोला, "बेटा ये इन्सान कहने को तो खुद को बुद्धि के मामले में सबसे श्रेष्ठ समझता है, पर जरा-जरा सी बात पर 'जानवर' से भी बदतर बन जाता है और बिना सोचे-समझे मरने-मारने पर उतारू हो जाता है। इन्सानों के वेश में बैठे हुए अनेक गिद्ध ये काम सदियों से कर रहे हैं। मैंने उसी का लाभ उठाया और इन्सान को जानवर के गोश्त से जानवर से भी बद्तर बना दियाा।'' साथियो, क्या हमारे बीच बैठे हुए गिद्ध हमें कब तक अपनी उंगली पर नचाते रहेंगे? और कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे? अगर आपको यह कहानी सोचने के लिए विवश कर दे, तो प्लीज़ इसे दूसरों तक भी पहुंचाए। क्या पता आपका यह छोटा सा प्रयास इंसानों के बीच छिपे हुए किसी गिद्ध को इन्सान बनाने का कारण बन जाए। ©Gaming World इंसान का गोश्त - The story based on situation #AdhureVakya
Raja
आचार विचार घटना क्रम चक्र 😹😹*"आंसू" जता देते है, "दर्द" कैसा है?* *"बेरूखी" बता देती है, "हमदर्द" कैसा है?*🙉🙉 🙋🙋*"घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है?* *"संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है?*🙏🙏 😒😒*"बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है?* *"बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है?*🕴🕴 👣👣*"ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है?* *"नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है?*🙎🙎 💅💅*"स्पर्श" बता देता है, "नीयत" कैसी है?* *और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा है!*💔💔 *सुंदर पंक्ती* *कहीं ना कहीं कर्मों का डर है !*👨👩👧👦👫👩👩👧👦 *नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है?* 👸👸*जो कर्म को समझता है उसे* *धर्म को समझने की जरुरत ही नहीं* *पाप शरीर नहीं करता विचार करते है*🙉🙉 🐟🐟🐟और गंगा विचारों को नहीं !* *सिर्फ शरीर को धोती है |*🙆🙆 *"शब्दों का महत्व तो !*🙏🙏 🙏🙏*बोलने के भाव से पता चलता है ,* *वरना "वेलकम" तो*🙏🙏 *पायदान पर भी लिखा होता है"।*🙏🙏 (लेखक) संजीव सौंसरवार अचार /विचार