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Stories related to जमीं कैलकुलेटर

theABHAYSINGH_BIPIN

#Newyear2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह

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New Year 2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती।

हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे,
तुम्हारे संग चलते हर चाह जैसे।
जो तुम सुनती दिल की हलचल मेरी,
तो दिलों में ये तन्हाई नहीं होती।

बस एक नज़र, बस एक बात होती,
शिकवे-गिले सबकी वहीं मात होती।
जो तुम समझती दिल के जज़्बात मेरे,
तो आज दिलों में ये दूरी नहीं होती।

ख़ता अगर थी, तो उसे भूल जाना,
मोहब्बत को हर इल्ज़ाम से छुड़ाना।
गर रिश्ते की डोर को तुम थाम लेती,
तो दिलों में ये वीरानी नहीं होती।

जो वक्त थम जाता उस मोड़ पर कहीं,
जहाँ खड़ी थी खुशियों की एक जमीं।
तुम कदम बढ़ाती अगर साथ मेरे,
तो तक़दीर भी यूँ बेवफ़ा नहीं होती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #NewYear2024-25 

तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नह

Sushma

#Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

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Unsplash शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में, कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं? उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से ,
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद।

©Sushma #Ladki  शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ

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जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता,
अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता।

फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ,
हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता।

न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का,
हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता।

परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी,
हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता।

अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के,
हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता।

तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस,
हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता,
अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता।

फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ

Banarasi..

#lovelife गर तू मेरी जमीं होती तो आसमां मैं तेरा होता। जहां जहां तेरे पैर ठहरते वो चमन गुलिस्तां होता। सूरज की तपिश मुझसे होके सुनहरी धूप क

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Unsplash गर तू मेरी जमीं होती 
तो आसमां मैं तेरा होता।
जहां जहां तेरे पैर ठहरते
वो चमन गुलिस्तां होता।
सूरज की तपिश मुझसे होके
सुनहरी धूप का आशियां होता।
गर तू मेरी जमीं होती 
तो आसमां मैं तेरा होता।

©Banarasi.. #lovelife गर तू मेरी जमीं होती 
तो आसमां मैं तेरा होता।
जहां जहां तेरे पैर ठहरते
वो चमन गुलिस्तां होता।
सूरज की तपिश मुझसे होके
सुनहरी धूप क

Ajay Tanwar Mehrana

जमीं पर नहीं तो आसमां सही sad poetry hindi poetry on life

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ढूंढ लेंगे तुझको कहीं ना कहीं 
जमीं पर नहीं तो आसमां सही 
जाने ना देंगे यूं मुंह मोड़ कर 
तन्हा मुझको अकेले छोड़ कर 

 लगी है अगन तो बुझाएंगे भी 
जगी प्यास तो पिलाएंगे भी ।
 दुःख हुआ अगर तो जालिमा 
कतरा कहर का कर देंगे जमा ।

फैले हुए हाथों को भी जोड़कर 
इच्छा जवानी की सब फोड़कर
मिलेगी तू मुझे कहीं ना कहीं 
जमीं पर नहीं तो आसमां सही ।

©Ajay Tanwar Mehrana जमीं पर नहीं तो आसमां सही  sad poetry hindi poetry on life

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 https://www.instagram.com/reel/DCl9Pvlt624/?igsh=Nm9yYzJhMjB5emds #हिंदी #उर्दू #शायर #अशफ़ाकहुसैन

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

तेरी जमीं पे,मेरे खुदा, दज्जाल बैठे हें तख्त पर,वो जहर भरे कई जाम है,यहाँ बुतकदो के निजाम है//१ बना निशाना गरीबो को,घर ढहाते चाव से

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