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Ashok Verma "Hamdard"
White अभी मिट्टी से जुदा हुआ नहीं हूँ, थका हूँ पर कहीं रुका नहीं हूँ। गिराया वक्त ने, संभलता गया मैं, हारा जरूर हूँ, मगर झुका नहीं हूँ। तेरी राहों का राही बनूं कैसे, मैं कारवां हूँ, मगर रास्ता नहीं हूँ। बिखरने की सज़ा वक्त ने दी है, मगर ख़ुद में मैं अब तक मिटा नहीं हूँ। पिता का अक्स हूँ, पहचान यही है, पर अब तक खुद को तराशा नहीं हूँ। मंजिल मेरी भी होगी एक दिन, सफ़र में हूँ, पर अभी ठहरा नहीं हूँ। भूखा हूँ पर गैर का लूटूं ये मुमकिन नहीं, मैं मेहनत का हूँ, सौदा सस्ता नहीं हूँ। तुम संग हूँ, पर दिल से दूर हूँ शायद, खुद का भी हूँ, तेरा भी पूरा नहीं हूँ। अशोक वर्मा "हमदर्द " ©Ashok Verma "Hamdard" मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं मैं
मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं मैं
read moreKiran Chaudhary
मैं कोई एक बहुत अच्छी ज़िन्दगी नहीं चाहती, मैं बस एक ज़िन्दगी चाहती हूँ, शांति वाली।। ©Kiran Chaudhary मैं बस एक ज़िन्दगी चाहती हूं..
मैं बस एक ज़िन्दगी चाहती हूं..
read moreIrfan Saeed
White इंसानियत के दौर में बाटा गया हूं मैं दुनियां के हर एब से दागा गया हूं मैं ग़ैरत है मेरे पास गर शोहरत नही है तो बे-गैरतों के हाथ सताया गया हूं मैं मजलूम हू तो मेरा मुकद्दर यही है कि रिश्तों के दायरों से हटाया गया हूं मैं ©Irfan Saeed इंसानियत के दौर में बाटा गया हूं मैं दुनियां के हर एब से दागा गया हूं मैं ग़ैरत है मेरे पास गर शोहरत नही है तो बे-गैरतों के हाथ सताया गया
इंसानियत के दौर में बाटा गया हूं मैं दुनियां के हर एब से दागा गया हूं मैं ग़ैरत है मेरे पास गर शोहरत नही है तो बे-गैरतों के हाथ सताया गया
read moreHimanshu Prajapati
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जहां नाव भी अपना रास्ता बदल लेता है, बस वैसा ही लहर हूं मैं, अपनों के लिए जादूगर दुश्मनों के लिए कहर हूं मैं..! ©Himanshu Prajapati #SunSet जहां नाव भी अपना रास्ता बदल लेता है, बस वैसा ही लहर हूं मैं, अपनों के लिए जादूगर दुश्मनों के लिए कहर हूं मैं..! #36gyan #hpstrange
#SunSet जहां नाव भी अपना रास्ता बदल लेता है, बस वैसा ही लहर हूं मैं, अपनों के लिए जादूगर दुश्मनों के लिए कहर हूं मैं..! #36gyan #hpstrange
read moreAjay Tanwar Mehrana
पागल हूं क्योंकि प्यार पाया है मैंने तुम सयाने तो बहुत कुछ खो बैठे । शौला हूं क्योंकि शौर्य पाया है मैंने तुम शीतल बर्फ बेवजह पिघल बैठे । गंवार हूं क्योंकि शहर गंवाया है मैंने तुम तो गांव को छोड़ शहर जा बैठे । रुग्ण हूं क्योंकि वो रोग पाया है मैंने जिसे सब लोग अपराध कह बैठे । जिद्दी हूं क्योंकि जिस्म पाया है मैंने तुम सहज शील खुद को ही खो बैठे । ©Ajay Tanwar Mehrana poetry in hindi पागल हूं मैं
poetry in hindi पागल हूं मैं
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