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Dilbag Creator
Meetesh Mishra
Our Pride, Our Love 🇮🇳 ऐ मेरी ज़मीं, महबूब मेरी मेरी नस-नस में तेरा इश्क़ बहे "फीका ना पड़े कभी रंग तेरा, " जिस्मों से निकल के खून कहे #nojot
Lipsa..👰
He died our death to keep us alive To win our freedom, he lost himself to life He had promised his woman to return as soon as the war is over He kept his promise, returned before time by wearing saffron colour He was a son, every mother would crave to have He was a soldier, will be cherished forever ऐ मेरी ज़मीं, महबूब मेरी मेरी नस-नस में तेरा इश्क़ बहे "फीका ना पड़े कभी रंग तेरा, " जिस्मों से निकल के खून कहे 🎼🇮🇳❤️ #handwara #yqbaba #yqd
AJAY VERMA
ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे पीका ना पड़े कभी रंग तेरा जिस्म से निकल के खून कहे ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा
Aridam Anup
~हर महबूब मेरी जान बेवफ़ा नहीं होती...~ "बाहें बिस्तर और जी बहलाये जाते हैं, पर अब और किसी से वफ़ा नहीं होती, इस उदासी को रूह से मोहब्बत है
Darshan Blon
कोई शिकवा नहीं ऐ रब तुझसे! जितना मिला खूब मिला मुझे, कोई रंजिश नहीं ऐ खुदा तुझसे! जितना मिला खूब मिला तुझसे, एक थी महबूब मेरी छीन लिया तूने उसे भी मुझसे जनता हूँ मैं तू मनमर्ज़ी करता हैं गिला करूँ भी तो अब क्या करूँ मैं तुझसे, खफ़ा रहूँ भी तो मैं फ़र्क पड़ेगा क्या तुझे इस से? कोई शिकवा नहीं ऐ रब तुझसे! जितना मिला खूब मिला मुझे, कोई रंजिश नहीं ऐ खुदा तुझसे! जितना मिला खूब मिला तुझसे, एक थी महबूब मेरी छीन लिया तूने
#काव्यार्पण
Sea water हम मिले थे तुम्हें पल दो पल के लिए, ना साथ अपना था ये उम्र भर के लिए। दे रहा हूं दुआएं सदा खुश रहो हो, गई तुम पराई सदा के लिए।। १) मेरे दिल पे हुकूमत रहेगी तेरी, जब तलक सांस है तू रहेगी मेरी, जब तलक ये फलक, चांद हैं, तारे हैं, मैं तेरा श्याम हूं तू है राधा मेरी। २) ये हाथ मेहंदी लगे चूड़ियों से सजे, हैं लिपटकर कहे हम जुदा हो रहे ये मांग सिंदूर की मुझसे है कह रही, क्यों रो कर भला अब दामन भिगो रहे। ३) ये रंग होली का मुझको बड़ा सतायेगा, अब कौन कान्हा कह कर मुझे बुलाएगा, तेरे जैसी मोहब्बत जहां में नहीं, अब कौन चाय झूठी मुझे पिलायेगा। ४) रो रहा है समा, रो रहे हैं दिये, मेरे महबूब, मेरी सखा, हे प्रिये! कल ही तो मेरी बाहों के घेरे में थे, आज दामन छुड़ाकर कहां चल दिए। ५) जा रही हो तुम्हारी वफा चाहिए, अब तुम्हारे शहर से विदा चाहिए, भर चुका है मोहब्बत से अब दिल मेरा, ऐ सनम! मुझको अब बस कज़ा चाहिए। कवयित्री:- प्रज्ञा शुक्ला ' सीतापुर ©#काव्यार्पण हम मिले थे तुम्हें पल दो पल के लिए, ना साथ अपना था ये उम्र भर के लिए। दे रहा हूं दुआएं सदा खुश रहो हो, गई तुम पराई सदा के लिए।। १) मेरे
Divyanshu Pathak
हम दिवाने है इश्क़ करते हैं बेक़रारी में जीते मरते है ! हम मिले गुल खिले आशियाना बना दोस्ती का नया इक फ़साना बना ! इस जमाने को हम भुलाएंगे दिल के दरिया में डूब जाएंगे ! क्या हंसी दिलनशीं अब ये आलम लगे प्यार के वास्ते जिंदगी कम लगे ! किसी गीत के मधुर स्पंदन जब हृदय में अनुभूत होते है तो अनगिनत कलियाँ खिल उठती है और मन कहता है कि-- : मेरे दिल को क़रार आजाये तू जो हस दे बहार