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#काव्यार्पण

श्मशान तक क्या चल सकोगे? प्रज्ञा शुक्ला #काव्यार्पण #Kavyarpan poetry #Sad_Status Naved Sircastic Saurabh Gautam Pyare ji वरुण तिवारी Kumar Shaurya shayari on life Extraterrestrial life 2 line love shayari in english Islam attitude shayari

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White 

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गर सजा दूं मौन होकर प्राण तरुवर को धरा पर

गर धुला आंगन हो आँसू के बिछौने बिछ रहे हों

गर तुम्हारे प्रेम को अभिव्यक्त करना आ गया हो

गर हमारे बीच में उन्मुक्त हो अंबर खड़ा हो 

तो हमारी देह को तुम श्वेत आंचल दे सकोगे ?

आखिरी बारात में श्मशान तक क्या चल सकोगे  ?

प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण श्मशान तक क्या चल सकोगे?
प्रज्ञा शुक्ला
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#काव्यार्पण

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प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण muktak by pragya Shukla
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#काव्यार्पण

तुम्हारे कदमों में जानम:- प्रज्ञा शुक्ला #sad_quotes #Kavyarpan #pragyapoetry #काव्यार्पण Sushant Kumar Shaurya Er Aryan Tiwari शिवम् सिंह भूमि Sircastic Saurabh Yash Mehta poetry lovers punjabi poetry poetry in hindi hindi poetry on life poetry quotes

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White तुम्हारे कदमों में जानम मैं ये अंबर झुका दूं क्या ?
इंस्टा पे हुई चैटिंग तो अब नंबर बता दूं क्या ?
यूं तो दोस्ती का मैं हवाला रोज देती हूं,
तुम्हें अपनी भतीजी का मैं अब फूफा बना दूं क्या ?

शर्म और लाज तो होता है हर औरत का एक गहना,
तुम्हें एतराज ना हो तो मैं ये पर्दा गिरा दूं क्या ?

बहुत हैं चाहने वाले एक तुम ही नहीं लट्टू,
तुम्हें इंट्रेस्ट हो तो मैं तुम्हें सबसे मिला दूं क्या ?
मेरे हार्ट में है सेव सीतापुर का वो लड़का
तुम्हारे कहने पर अब मैं उसे रिप्लेस कर दूं क्या?

बढ़ी नजदीकियां तुमसे तो फिर अब ये भी सुन लो तुम
जो प्यारी हो तुम्हें ऐसी कोई मिस्टेक कर दूं क्या ?
कि अब पैनकार्ड पर शुक्ला मुझे अच्छा नहीं लगता
कि अपने नाम के आगे तेरा सरनेम लिख दूं क्या ?

जो तेरा है वही मेरा यही गर रूल है तो फिर
अपने बैंक खाते को मैं अब ज्वाइंट कर दूं क्या ?
मिटा दूं फासले जो तेरे मेरे दर्मियां ठहरे
आधार पर अपने तेरा एड्रेस कर दूं क्या ?

कि मेरे लफ्जों में है दम नहीं फिर भी कहो गर तुम
एक कविता लिखूं तुम पर तुम्हें नि:शब्द कर दूं क्या?
है गर मंजूर तो ना चुप रहो मुझसे यही कह दो
"तुम्हारी मांग सूनी है मैं अब सिंदूर भर दूं क्या?"

प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण तुम्हारे कदमों में जानम:- प्रज्ञा शुक्ला 

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#काव्यार्पण

मुझी से प्यार करना चाहते हो!! by pragya Shukla sitapur #Kavyarpan #Poetry #काव्यार्पण #good_night #शून्य राणा शिवम् सिंह भूमि Yash Mehta Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे' Sushant sad poetry Hinduism deep poetry in urdu Islam love poetry in hindi

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White मुझी से प्यार करना चाहते हो
मुझे ही आजमाना चाहते हो।

अपनी जान की बाज़ी लगा कर
क्यों मुझ से हार जाना चाहते हो।

यूं ही तुम जाग कर रातों में अक्सर
मेरे सपने सजाना चाहते हो।

तुम्हारी गोद में सर रख के रो लूं 
मोहब्बत में यही तुम चाहते हो।

ये दिल कब से पड़ा है बंद मेरा
इसे क्यों खटखटाना चाहते हो।

नहीं होता मुझे महसूस कुछ भी
क्यों जबरन दिल में आना चाहते हो।

यकीं है मुझको एक उसकी वफ़ा पर
क्यों मुझको सच बताना चाहते हो।

यकीनन मैं तो एक बुझता दिया हूं 
मुझे क्यों फिर जलाना चाहते हो ।

वो मेरा श्याम है मैं उसकी राधा
क्यों उसकी छवि मिटाना चाहते हो।


प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण मुझी से प्यार करना चाहते हो!!
by pragya Shukla sitapur
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#काव्यार्पण

अव्वली इश्क: प्रज्ञा शुक्ला #Kavyarpan #काव्यार्पण #हिंदी_शायरी #pragyapoetry #प्रज्ञाशुक्ला #love_shayari one sided love quotes sad for him fake love wallpaper sad love shayari quotes on love love status

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White अव्वली इश्क के एहसास नहीं आयेगे
नए अय्याम तुम्हे रास नहीं आयेगे
हमें जो लग गई आदत यूं खुदपरस्ती की
तबाह होंगे मगर पास नहीं आयेगे।


प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण अव्वली इश्क: प्रज्ञा शुक्ला
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#काव्यार्पण

मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #काव्यार्पण #Kavyarpan #हिंदी #Poetry #gazal #good_night hindi poetry Sushant Singh Rajput poetry for kids Kartik Aaryan love poetry in hindi Singh hanny Sushant #शून्य राणा Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे'

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White 1222 1222 122

मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी
दिखी औकात अब असली हमारी
मेरे आँसू छुपा लेता है बिस्तर
हँसी है यार अब नकली हमारी।

हमें ही मान बैठे हो खुदा तुम
मगर करते हो फिर चुगली हमारी।

जजीरें तोड़ दी मैंने जहां की
सभी ने टागे फिर काटी हमारी।

पुरुष ही शेष है नारी के भीतर
कहीं अब खो गई नारी हमारी।

अकड़ ही रह गई इंसान में अब
सिकुड़ती जा रही रस्सी हमारी।

नहीं चलती हूं मैं उस राह पे अब
जहां से उठ गई अर्थी हमारी।

पड़ी रहती हूं मैं कमरे के भीतर
हमें ही भा गई सुस्ती हमारी।

दरो दीवार पर चेहरा है उसका
नजर ही हो गई अंधी हमारी। 

सभा में मौन बैठे ही रहे सब
रही थी द्रौपदी लुटती हमारी।

कभी भी याद उसकी आ गई जो
कि हालत ही नहीं सभली हमारी।

मेरी बाहों से हिजरत करने वाले
क्या तुमको याद है चुप्पी हमारी।

©#काव्यार्पण मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर 

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#काव्यार्पण

दुपट्टा है मगर दामन नहीं है : प्रज्ञा शुक्ला #गजल #Kavyarpan #काव्यार्पण #Sad_Status poetry for kids Extraterrestrial life urdu poetry hindi poetry on life punjabi poetry

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White 

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है आलीशान घर आँगन नहीं है , दुपट्टा है मगर दामन नहीं है ।
पहुँचना चाहती हूं उस खुदा तक ,पहुँचने का कोई साधन नहीं है।

हमें बाहों में लेने से क्या होगा, जिसम तो है हमारा मन नहीं है।

महज सिंदूर ही तो भर रखा है, सुहागन कर दे जो साजन नहीं है।

हमें यूं देख कर तन्हा वो जालिम, सुकूं से है कोई शिकवन नहीं है।

सिले हैं होंठ मैंने जब से अपने, किसी से अब कोई अनबन नहीं है।

बड़े चैन- ओ- सुकूं से रहती हूं अब,है दिल लेकिन मेरी धड़कन नहीं है।

उसे शर्माना अब आता कहां है ,तवायफ है कोई दुल्हन नहीं है।

मेरी तकदीर में ही वो लिखा है , जिसे पाने का कोई मन नहीं है।

रकीबों की कहानी तुम कहो बस,वो बहना है मेरी सौतन नहीं है।

हमारे पास हैं जज्बात केवल, हमारे पास काला धन नहीं है।

वो कैसा है बता पाना है मुश्किल ,जुबां तो है मगर वरनन नहीं है।

हमारे प्यार के हम ही हैं दुश्मन, अऔर दूजी कोई अर्चन नहीं है ।

दुआओं की तलब होती है अक्सर, दुआओं से भरा दामन नहीं है।

प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण दुपट्टा है मगर दामन नहीं है : प्रज्ञा शुक्ला
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#काव्यार्पण

नहीं मालूम है कैसे गुजारा कर रही हूं #Kavyarpan #लव #प्यार #said #हिंदी #love_shayari नंदी Er Aryan Tiwari Pyare ji Kumar Shaurya Sircastic Saurabh गौरव आनन्द श्रीवास्तव Yash Mehta Kajal Singh [ ज़िंदगी ] शिवम् सिंह भूमि Niaz (Harf)

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#काव्यार्पण

हमार पिया by pragya Shukla #Kavyarpan #काव्यार्पण #Hindi #piya #अवधी #love_shayari Anshu writer Sircastic Saurabh कमेंट्स में कोट्स विचारों में सुविचार Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Pyare ji नंदी

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White जियरा हमरा जुड़ईहई हमार पिया
अंखियां तोसे जो मिलिहई हमार पिया।

तुम तऊ लाएउ हमरी सौतनिया
दुलहा हमरऊ तऊअई हई हमार पिया।

बात मा सौ की ना तुम आयेउ 
तुमका वा भरमई हई हमार पिया। 

लरिका तुमरा तुम सई नाकिस
बुआ हमका कहति हई हमार पिया।

दिलवा हमरा जब दुखि जईहई 
तुमका ही गोहरई हई हमार पिया।

हमरी खातिर रतिया जगती हउ
निदिया हमकऊ ना अईहई हमार पिया।

एक दिन हमरी अईहई बरतिया
परदेसी हुई जईहई हमार पिया।

जब हमरे लरिका हुई जई हईं 
मामा हम कहिके बोलई हईं हमार पिया।

जी दिन हमरी अर्थी उठि हई 
को तुमरा रहि जईहई हमार पिया।
प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर

©#काव्यार्पण
  हमार पिया by pragya Shukla
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