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vibrant.writer
किसी अधमरे रिश्ते को, दिमाग से निभाया जा सकता है, दिल से उसे जिया नहीं जा सकता। दोस्त, जब इंसान भिखमंगो की तरह किसी रिश्ते को बचाने के लिए किसी के पैरों में गिरकर गिड-गिडाने लगे तो समझो कि वह भीखमंगा व्यक्ति वो रिश्ता और उसकी गरिमा दोनों खो चुका है। तुम सम्राट हो, तुम्हारे अंदर सम्राटों का सम्राट है। - ओशो #vibrant_writer #friends #lovers #couples #rishtey #bhikh #yqdidi #hindi
सम्राट देवेन्द्र कुमार कुशवाहा
हो भी क्यों ना इस धरती से मोहब्बत, ये तो हमारे पूर्वजो का हिस्सा है। ( काल्पनिक नही हम शौर्य है - हाँ हम वही मौर्य है ) ©सम्राट देवेन्द्र कुमार कुशवाहा सम्राटों की देन अखण्ड भारत और राजाओं की देन छोटी छोटी रियासतों और रजवाड़ों में बंटा भारत जयतु भारत
Lakhvir Singh Rathore"LKV"
मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं धनानंद ! मैं शिक्षक हूं यदि मेरी शिक्षा में सामर्थ्य है तो मैं अपने पोषण करने वाले सम्राटों का निर्माण कर लूंगा ।। ∆विश्व आचार्य चाणक्य के कथन मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं धनानंद ! मैं शिक्षक हूं यदि मेरी शिक्षा में सामर्थ्य है तो मैं अपने पोषण करने वाले सम्राटों का निर्माण क
siddheshwar ojha
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
माँ की गोद मे बैठना बडे नसीब की बात होती है,उनसे पुछो जरा,जिनके माँ नही होती है,,,omj माँ की गोद ,,,,,,बडे नसीब वालो को मिलती है,,,,,उनको पुछो जिनके माँ नही होती है,,,,,,,,,,,हर बच्चा अपनी माँ की गोद मे राजा होता है,,,,,उसे लग
Manku Allahabadi
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः। तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥ मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता, जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि, घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति, सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति, सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति? शिव तांडव स्त्रोत (श्लोक-12) ©Manku Allahabadi शिव तांडव स्त्रोत(भाग-12) ........................................ दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्ष
Sumeet Pathak
एक ख़्वाब ने आँखें खोली है , एक चेहरा बसा है आँखों में , जुल्फों के इन काले घेरों ने हमे तड़पाया है रातों में ! DQ : 441 " एक ख्वाब ने आँखें खोली हैं क्या मोड़ आया है कहानी में वो भीग रही है बारिश में और आग लगी है पानी में रब लब्भा पापियां नु
Sahaj Sabharwal
डुग्गर दी शान ते पन्छान जम्मू ऐ जान साढ़ी, डोगरी गै शान साढ़ी। डुग्गर देश दी नींह् साढ़ी, अस डुग्गर, बजूद डोगरी गै पन्छान साढ़ी। जम्मू दे महाराजा हरी सिंह देई गे असेंगी कर्म ऐ आखदे न्यांs गै मेरा धर्म ऐ जेह्ड़ा साढ़े हक्क च ऐ डोगरे जित्ने च करदे नी शरम ऐ इस्सै करी जम्मू आहलें गी मिली हक्क दी सरकारी छुट्टी मनाया उं'दा जन्मदिन ऐ खंड मिट्ठे लोक डोगरे, मुच्छां रक्खी शान कन्नै डोगरे नी होंदे दोगले। इज्ज़त करदे हर इक धर्म दी खाने पीने च नेईं रखदे कमी किसै दी चार या खंडू कन्नै घियूर खंदे जदूं बी बरखा पवै राजमा चोल ते दम आलू उ'त्थें देसी घ्योs ते हर हफ्ते आम बने दा रवै माँ बावे आहली दी किरपा साढ़े ते म्हेशां बनी रवै माँ वैष्णो देवी सारें'गी म्हेशां सुखी रक्खै अमरनाथ दी जात्तरा सब्बनें दी सफल होऐ पीर खोह् ते आप शम्बू मंदर जाईयै सब्बनें दा मन प्रसन्न होऐ रघुनाथ मंदर जाईयै सदा उं'दी मनोकामना पूरी होऐ बचपन च मुबारख मंडी जंदे बड्डे होए अस बाग-ए-बाहु ते पत्निताप पिकनिक मनांदे रेह् अस भारत देश दा हर एक नागरिक इसगी स्वर्ग आखदा रवै साढ़ा जम्मू कश्मीर म्हेशां शांति ते सदभाव कन्नै जन्नत रवै ©Sahaj Sabharwal डुग्गर दी शान ते पन्छान जम्मू ऐ जान साढ़ी, डोगरी गै शान साढ़ी। डुग्गर देश दी नींह् साढ़ी, अस डुग्गर, बजूद डोगरी गै पन्छान साढ़ी। जम्मू दे
Pravesh Kumar
शीर्षक - त्राहिमाम हे दयानिधि। हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव, तुम ही हो भगवान स्वयम्। दो माताओं का सुख भोगो, तुमने लिखा विधान स्वयं। पूरा गीत कैप्शन में पढ़ें।🙏 हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव तुम ही हो भगवान स्वयम
Pravesh Kumar
हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव,तुम ही हो भगवान स्वयम्। दो माताओं का सुख भोगो,तुमने लिखा विधान स्वयं। पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें।🙏🙏🙏 हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव तुम ही हो भगवान स्वयम्