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New हर शाम आखो पर Quotes, Status, Photo, Video

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BANDHETIYA OFFICIAL

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया,
लेके जाम ढल ही गया।
ढल भी जाए आई रात,
अंधेरे गम जज्बात ,
हो लहजे -आम ढल ही गया।
खाली हो जाता  मैखाना भी,
टूट यहां जाता पैमाना भी,
क्या इंतजाम ,ढल ही गया !

©BANDHETIYA OFFICIAL #SunSet #शाम

queen

शाम कि चाये

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बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕

©Sanaya शाम कि चाये

Chandan Mishra

हर हर महादेव

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Ritik

हर हर महादेव

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RUPESH Kr SINHA

सही वक्त पर साथ हर कोई नहीं देता

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Lotus Mali

#sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो

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White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो 
कभी उस टहन्नी पर घुमा 

शाम तो शाम ढल गई कबकी 
मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।"

-LotusMali
https://lotusshayari.blogspot.com/

©Lotus Mali #sad_quotes 
"शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो

RUPESH Kr SINHA

#नफ़रत के मर्ग पर है हर इंसान

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Poet Maddy

अब हर शाम उसकी दहलीज़ पर, सजदा करने के लिए जाते हैं हम......... #evening#Doorstep#Prostrate#Mention#GATHERING#Smile#Night#Dream#Die#drowning.

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अब हर शाम उसकी दहलीज़ पर,
सजदा करने के लिए जाते हैं हम.........
होता है ज़िक्र उसका महफ़िल में,
जाने क्यों बेइंतहा मुस्कुराते हैं हम.........
हर रात होता है कुछ यूं हमारे साथ,
आज-कल न जाने क्यों मेरे यारों...........
सोते वक्त रात को उसके ख़्वाबों में,
डूबकर अक्सर मर ही जाते हैं हम..........

©Poet Maddy अब हर शाम उसकी दहलीज़ पर,
सजदा करने के लिए जाते हैं हम.........
#Evening#Doorstep#Prostrate#Mention#Gathering#Smile#Night#Dream#Die#Drowning.

Avinash Jha

White याद आती है वो शाम

याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था,
आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था।
हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी,
हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी।

गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल,
उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल।
दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं,
वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं।

सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे,
हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे।
खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून,
जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून।

वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था,
हर बात में बस अपनापन था।
मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था,
कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था।

अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है,
उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है।
याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन,
जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम।

©Avinash Jha #याद #शाम
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