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Vic@tory

#कैद परिंदे

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Arshu....

सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान #Shayari

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सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , 

गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू ,


पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , 

जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं ....

©Arshu.... सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , 
गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू ,
पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , 
जीने के लिए खुला आसमान

Anand Kumar Ashodhiya

#Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

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निर्भया - नई हरयाणवी रागणी 

वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं 
करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं 

मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया 
मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या  गया 
मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया 
बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया 
इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं 

दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै 
लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै 
कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै 
घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै 
लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं

बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे
सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे 
हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे  
पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे  
आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं 

हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै 
औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै 
सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै 
तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै 
गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी  हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

Bazirao Ashish

#Sad_Status आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत #Poetry

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आसान नहीं है दरखत होना
परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने
उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ
रह जाता है दरखत अकेला
आसान नहीं है दरखत होना।

-आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish #Sad_Status 
आसान नहीं है दरखत होना
परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने
उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने
रह जाता है दरखत अकेला
आसान नहीं है दरखत

Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण  कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

AshuAkela

#jajbat सफर पे निकले तो यह बात जानी प्यार सब्र लगन किस्मत कितना कुछ लगता है परिंदे को अपना बनाने में #कविता

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क्या तुम्हे कुछ भी नहीं याद ,

वो लम्हे वो जज्बात,। 

जो अक्सर ही करते हैं परेशान,

हरकुछ एक सजीव वस्तु

और हर किसी के कई सवाल। 

था कौन, वो कहां गया,

जिससे अक्सर ही मिलना होता,

बे मौसम सर्दी गर्मी या बरसात।

©AshuAkela #jajbat सफर पे निकले तो यह बात जानी प्यार सब्र लगन किस्मत कितना कुछ लगता है परिंदे को अपना बनाने में

Saurabh Raj Sauri

बेघर परिंदे बन जाते है☺️ #Shayari

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White जख्मों को छुपाते फिरते हैं, जो इश्क मे ठोकरें खाते हैं
खामोश हो कर नजरों से, वो सबकी ओझल हो जाते हैं
कि हर सूरत मे महबूब को तलाशना आसान नहीं "राज"
आँधियों कि मार से थके , वो सूफ़ी बेघर परिंदे हो जाते हैं

©Saurabh Raj Sauri बेघर परिंदे बन जाते है☺️

Arjun Rawat

#परिंदे #पिंजरे #आसमान #पहाड़ #सूरज #गोद #रेत Subhashree Sahu Nirankar Trivedi Santosh Narwar Aligarh Aman Singh Aanshi queen गम भरी श #शायरी

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Anjali Singhal

"सच्चे जज़्बात किसी के कौन समझ पाते हैं, मिट्टी के घरों का दर्द कहाँ सावन के बादल समझ पाते हैं! ये अनकहे अनसुने जज़्बात जो होते हैं, कुछ जम #Poetry #AnjaliSinghal

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poonam atrey

#परिंदे #पूनमकीकलमसे #नोजोटोराइटर्स Ashutosh Mishra Ravi Ranjan Kumar Kausik Anshu writer Sunita Pathania Andy Mann Niaz (Harf) हिं #कविता

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