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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय गोपाष्टमी विधा मनहरण घनाक्षरी घूम रही गाँव गली , आज क्यों ये गाय सभी , कोई तो आज इनके , मालिक हो जाइये । आ रही खबर यह , कट रही गाय अब बनके गौ रक्षक गौ , कोई तो बचाइये । माता सदा मानी गई , गाय हमारे देश मे , माँ जैसा उनके संग , आप पेश आइये । बुरा न लगता तुम्हें , जानवर कहे इन्हें , कैसे सुत आप सभी , कभी तो दिखाइये ।१ गौ को ज्ञानी सभी यहाँ , बता रहें धर्म अब तो उसके प्राणो पर , ये क्यों तलवार हैं , नित करते सेवा जो , पाते निशिदिन मेवा कर उसका वंदन , भरते भंडार हैं , गाय नित्य पूज्य रही , सदा ही सनातन की , जब की अन्य धर्म भी तो , देख संसार हैं , देव तुल्य गाय माता , कर सेवा क्या है जाता , सभी पाप संताप से , करती उद्धार हैं ।।२ ०२/११/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय गोपाष्टमी विधा मनहरण घनाक्षरी घूम रही गाँव गली , आज क्यों ये गाय सभी , कोई तो आज इनके , मालिक हो जाइये
aman6.1
रूहानी मुस्कान नही देखती दर्द क्या है,,दिल से मासूम होती है जो जिंदगी नही सोचती मर्ज क्या है. दुनिया की भीड़ लगी है खुद की मयीयत सजाने में,,वो नहीं जानती शांति से जीने मे क्या है. तेजाब की बारिश सी है अब सबकी नियत,,जलाते हुए नही देखती गुनाह क्या है. अपने देश से ही काफिर हुए फिरते है लोग,,कोई नही जानता खुदा क्या है. महंगी गाड़ियों में से उतरते है भगवान के द्वार,,कोई नही जानता सच्ची दुआ क्या है. हज़ार फ़ोटो उतारते हैं एक दान देकर,,कोई नही जानता गरीब की सेवा क्या है. अमन भी डूबा पड़ा है झूठी सियाही में,,खुद भी नही जानता हक़ से लिखना क्या है। #muskurahat #nojotonews #nojotohindi #poetry #shayari लेखक--अमनदीप सिंह 💥((((((((((दर्द))))))))))💥
Ek villain
मानव या मानवता की सेवा ही वास्तविक अर्थ में ईश्वर की सेवा है मनुष्य सच्चिदानंद और अनादि परब्रह्मा की जीवित कृति है इसलिए उनकी सेवा साक्षात परमात्मा की पूजा है और यह सभी उपासना ओं से ऊपर है मानवता का अवश्य मानव मात्र के प्रति सेवा भाव सदाचारी व्यवहार और सभी जीवो के प्रति दया भाव से है महात्मा बुध के अनुसार मनुष्य में है जो क्रोध को प्रेम से बुराई को इच्छा इसे स्वार्थी को उदारता से और झूठे व्यक्ति को सच्चाई से जीत सके प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं विलासिता नहीं उनके भाव में मानवता जीवित नहीं रह सकती जिस प्रकार दरखास्त की शोभा फल से नदी की शोभा नीर से उद्यान की शोभा फूल से और मंदिर की सुबह भगवान से होती है उसी प्रकार मनुष्य की शोभा मानवता से होती है मानवता ही समस्त सद्गुणों का बीज है जो सदा हृदय में विद्यमान रहता है मानवता के बिना प्रत्येक गुण सुनने है ©Ek villain #मानव की सेवा मानवता की सेवा है इसे बनाए रखें
Arjun Sharma
आप अभी को धन्यवाद ©Arjun Sharma #short_Story #shortlife #shortlines #short_and_simple पक्षियों की सेवा दुर्लभ सेवा है ।