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Indian Kanoon In Hindi
White विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून :-
विद्युत अधिनियम कानून :-
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White भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :- * भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार निर्धारित स्टाम्प शुल्क से कम पर दस्तावेज बनाया जाना अपराध है। इसका सीधा अर्थ है कि 50 या 100 रु. के स्टाम्प पर बने किरायानामे गलत हैं। यदि किसी मकान का किराया 10 हजार रुपए प्रतिमाह है तो उसका सालाना कुल किराया 1 लाख 20 हजार रुपए होगा। तीन साल के लिए यदि किराया अनुबंध होता है तो इस सालाना किराए की कुल राशि का दो फीसदी यानी 2400 रुपए का स्टाम्प अनुबंध के लिए आवश्यक होगा। इसलिए उचित स्टाम्प शु्ल्क का भुगतान करें। ©Indian Kanoon In Hindi भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :-
भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :-
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White राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :- * इस अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय सरकार का यह दायित्व है कि वह ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए, नई दिल्ली में राष्ट्रीय न्यास का गठन करे। केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय न्यास को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस अधिनियम में वर्णित उद्देश्यों पूरे हों । राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें । इस अधिनियम के उपबन्ध राष्ट्रीय न्यास पर जवाबदेही, मॉनीटरिग, वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा के मामले में बाध्यकारी होंगे । ©Indian Kanoon In Hindi राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :-
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :-
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सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :- * सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2012 के अन्तर्गत लागू है। * आरटीआई शिकायत :- यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं। * अपनी अर्जी कहाँ जमा करें? :- आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे। * क्या इसके लिए कोई फीस है? इसे कैसे जमा करें? :- एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है। * क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है? :- हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
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महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम :- * दहेज निषेध अधिनियम (1961) :- इस अधिनियम के द्वारा शादी के पहले या बाद में महिलाओं से दहेज़ और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आता है। * मातृत्व लाभ अधिनियम (1961) :- यह अधिनियम महिलाओं को बच्चे के जन्म से पहले 13 सप्ताह और जन्म के बाद के 13 सप्ताह तक वैतनिक अवकाश (पेड लीव) प्रदान करता है ताकि वह बच्चे की पर्याप्त देखभाल कर सके | इस गर्भावस्था के दौरान महिला को रोजगार से बाहर निकालना कानूनन जुर्म है। * गर्भावस्था अधिनियम (1971) :- गर्भावस्था अधिनियम (1971) के द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों (जैसे बलात्कार की पीड़ित महिला या लड़की या किसी बीमारी की हालत में) में मानवीय और चिकित्सीय आधार पर 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है| सामान्य परिस्थितियों में 20 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी गयी है। * समान पारिश्रमिक अधिनियम (1976) :- यह अधिनियम कहता है कि किसी समान कार्य या समान प्रकृति के काम के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों श्रमिकों को समान पारिश्रमिक का भुगतान प्रदान किया जायेगा। साथ ही भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकता है । * महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (प्रतिषेध) अधिनियम,1986) :- यह अधिनियम महिलाओं को विज्ञापनों के माध्यम से या प्रकाशन, लेखन, पेंटिंग या किसी अन्य तरीके से महिलाओं के अभद्र प्रदर्शन को प्रतिबंधित करता है। ©Indian Kanoon In Hindi महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम
महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम
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White प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज अधिनियम कानून :- * कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि लोग सड़कों के किनारे लगे पेड़ जाने अनजाने में काट देते हैं या फिर अपने घर के कैंपस आदि से लगने वाले पेड़ मजबूरी में काटते हैं ताकि पेड़ से परेशानी न हो। लेकिन यह जानना जरूरी है कि राजधानी दिल्ली में पेड़ काटना अपराध की श्रेणी में रखा गया। * पेड़ को बचाने के लिए 1994 में एक कानून बनाया गया था जिसे दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज एक्ट 1994 का नाम दिया गया। उक्त एक्ट के तहत एक कंपिटेंट अथॉरिटी का गठन किया गया है। इसके लिए एक अधिकारी होता है जिसे ट्री ऑफिसर कहा जाता है। फॉरेस्ट ऑफिसर ही यह ट्री ऑफिसर का काम देखता है। * अगर आंधी तूफान या किसी अन्य प्राकृतिक कारणों से पेड़ की डाली टूट गई हो या फिर आधा पेड़ सड़क पर आ गया हो तो ऐसे पेड़ काटे जा सकते हैं लेकिन इसके लिए कानूनी प्रावधान यह है कि अगर समय है तो इस बारे में संबंधित अधिकारी यानी ट्री ऑफिसर को सूचित किया जाना चाहिए या इसके लिए भी समय नहीं है तो पेड़ काटने के बाद इसके बारे में तुरंत ट्री ऑफिसर को सूचित किया जाए। सामान्य तौर पर भी पेड़ काटने के पहले ट्री ऑफिसर को यह बताना होगा कि पेड़ काटना क्यों जरूरी है। कारण अगर जायज होगा तो ट्री ऑफिसर पेड़ काटने की इजाजत दे सकता है। लेकिन किसी भी परिस्थिति में काटे गए पेड़ के बदले ट्री ऑफिसर पेड़ काटने वालों को यह आदेश दे सकता है कि एक पेड़ के बदले उन्हें इतने पेड़ लगाने होंगे। ट्री ऑफिसर प्रत्येक पेड़ का हिसाब रखता है और पेड़ सुरक्षित कैसे रहे इसके लिए काम करता है। अगर बिना इजाजत और तय नियम का उल्लंघन करते हुए कोई पेड़ काटता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। * कानून का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ इस मामले में गिरफ्तारी भी हो सकती है। अगर किसी ने बिना इजाजत पेड़ काट दिए हों और इसकी शिकायत ट्री ऑफिसर को किए जाने पर ट्री ऑफिसर चाहे तो खुद या पुलिस की मदद से उस शख्स को गिरफ्तार करवा सकता है। ट्री ऑफिसर की शिकायत पर ही इस एक्ट के तहत केस चलता है और दोषी पाए जाने पर एक साल तक कैद और एक हजार रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। ©Indian Kanoon In Hindi प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज अधिनियम कानून :-
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विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून
विद्युत अधिनियम कानून
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भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :- * भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार निर्धारित स्टाम्प शुल्क से कम पर दस्तावेज बनाया जाना अपराध है। इसका सीधा अर्थ है कि 50 या 100 रु. के स्टाम्प पर बने किरायानामे गलत हैं। यदि किसी मकान का किराया 10 हजार रुपए प्रतिमाह है तो उसका सालाना कुल किराया 1 लाख 20 हजार रुपए होगा। तीन साल के लिए यदि किराया अनुबंध होता है तो इस सालाना किराए की कुल राशि का दो फीसदी यानी 2400 रुपए का स्टाम्प अनुबंध के लिए आवश्यक होगा। इसलिए उचित स्टाम्प शु्ल्क का भुगतान करें। ©Indian Kanoon In Hindi भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून
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राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :- * इस अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय सरकार का यह दायित्व है कि वह ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए, नई दिल्ली में राष्ट्रीय न्यास का गठन करे। केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय न्यास को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस अधिनियम में वर्णित उद्देश्यों पूरे हों । राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें । इस अधिनियम के उपबन्ध राष्ट्रीय न्यास पर जवाबदेही, मॉनीटरिग, वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा के मामले में बाध्यकारी होंगे । ©Indian Kanoon In Hindi राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून
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खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम कानून :- * खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं विनियम 2011 के अंतर्गत ऐसे सभी खाद्य कारोबारकर्ता जो खाद्य पदार्थ का विनिर्माण प्रसंस्करण, छटाई, श्रेणीकरण आदि सहित दुग्ध संग्रह, ठंडा करना, विलायक निष्कर्षण इकाई तेल बीजों की पूर्व सफाई तेल पेराई युक्त विलायक निष्कर्ष संयंत्र, तेल शोधक संयंत्र पैकेजिंग पुन: लेबलिंग भंडारण वेयर हाउस, कोल्ड स्टोर्स फुटकर व्यापार थोक व्यापार अन्य कारोबारकर्ता जिसे कि खाद्य पंजीयन, अनुज्ञप्ति आवश्यक है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अभिहीत अधिकारी डा. एनएल साहू ने बताया कि बगैर पंजीयन के खाद्य कारोबार करते हुए पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत 25 हजार तक जुर्माना एवं बगैर अनुज्ञप्ति के खाद्य कारोबार करते पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत 63 माह तक सजा वं 83 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम कानून :- * खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं विनियम 2011 के अंतर्गत ऐसे सभी खाद्य कारोबारकर्ता जो खाद्य पदार्थ का विनिर्माण प्रसंस्करण, छटाई, श्रेणीकरण आदि सहित दुग्ध संग्रह, ठंडा करना, विलायक निष्कर्षण इकाई तेल बीजों की पूर्व सफाई तेल पेराई युक्त विलायक निष्कर्ष संयंत्र, तेल शोधक संयंत्र पैकेजिंग पुन: लेबलिंग भंडारण वेयर हाउस, कोल्ड स्टोर्स फुटकर व्यापार थोक व्यापार अन्य कारोबारकर्ता जिसे कि खाद्य पंजीयन, अनुज्ञप्ति आवश्यक है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अभिहीत अधिकारी डा. एनएल साहू ने बताया कि बगैर पंजीयन के खाद्य कारोबार करते हुए पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत 25 हजार तक जुर्माना एवं बगैर अनुज्ञप्ति के खाद्य कारोबार करते पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत 63 माह तक सजा वं 83 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। Food Safety and Standards Act Law :- * Under the Food Safety and Standards Act 2006 and Regulations 2011, all such food businessmen who are involved in food manufacturing, processing, sorting, grading etc. including milk collection, cooling, solvent extraction unit, pre-cleaning of oil seeds, oil crushing and solvent extraction plant, oil Refining Plants Packaging Re-Labeling Storage Warehouses, Cold Stores Retail Trade Wholesale Trade Other Businessmen who require Food Registration, License. Designated Officer of Food and Drug Administration, Dr. NL Sahu said that if found doing food business without registration, a fine of up to Rs 25,000 can be imposed under the Food Safety and Standards Act 2006 and if found doing food business without a license, Food Safety and Standards Act 2006. Under the Act 2006, there is a provision of imprisonment up to 63 months and fine up to Rs 83 lakh. ©Indian Kanoon In Hindi #leafbook खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम कानून
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