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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वातावरण दूषित, व्यबस्था मन को कसौटती है आपाधापी मची है जीवन मे खुराक मिलावटी और जहरीली मिलती है खिले है व्यसन के द्वार इनकी लतो से जीडीपी सरकारों की बढ़ती है डिप्रेशन और निराशा के अधीन जीवन जो रोगो को आमंत्रण देती है स्वस्थ रहना अब दूर की कौड़ी हो गया बीमारियों से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
#Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
read moreSumit Kumar
कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
read moreAsarlal Dhiku
White कोरकू भाषा Hello! Sir, समस्त दर्शकों से ये बात बोलता हूं कि कोरकू भाषा कैसे बोलते हैं। आदिवासी कोरकू मवासी भाषा कैसे बोलें जाते हैं। और मैं स्वयं कोरकू जाती वर्ग का हूं। वीडियो में बोलके बताऊंगा,या लाइव में बोलकर बताऊंगा। यदि आप लोग सहमत हो तो, हां या ना कहें। आप लोग भी कोरकू / मवासी भाषा बोलना सीख सकते हैं, आपस में आप लोग भी बात करके सीख सकते हैं। ©Asarlal Dhiku #कोरकू_भाषा कोरकू भाषा कैसे बोले जाते हैं।🤔🤔🤔
#कोरकू_भाषा कोरकू भाषा कैसे बोले जाते हैं।🤔🤔🤔
read moreनवनीत ठाकुर
White तेरी अदाओं से जो लिखी थी मोहब्बत की दास्तां, आज उसी किताब का अधूरा पन्ना याद आया। तेरी पलकों की स्याही से जो लिखे थे जज़्बात, उन ख्वाबों का सिमटा हुआ फसाना याद आया। तेरे लम्स की तपिश में जो पिघला था वजूद, वो टूटते सितारों का सुहाना गुमां याद आया। तेरी जुल्फों में छुपा था जो शाम का सुकून, आज उसी ढलते सूरज का अंजुमन याद आया। तेरी बातों के फूल जो खिलते थे चमन में, उनकी खुशबू का बिखरा हर जाम याद आया। तेरा नाम जुबां पर आते ही रोशन हुए, हर उस हसीन पल का गुलिस्तां याद आया। हुस्न की महफ़िल में जब तेरे हुस्न का ज़िक्र हुआ, जैसे वीरानों में किसी का सलाम याद आया। तेरे दीदार की हसरत में जो गुज़रे थे लम्हे, उन लम्हों का हर अधूरा ख्वाब याद आया।"** ©नवनीत ठाकुर #हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
#हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
#good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मुँह चिढ़ाती योजनाएं नीतियां कब्र खोद रही मुद्रा का स्तर डांवाडोल हो गया मंहगाई का दम रुपया अब चौरासी में एक डॉलर को चुनता है सरकारे चुनने का परिणाम जनता को हर दम भुगतना पड़ता है समस्याओं का कारण, सियासतें है जो विभाजन कौमो और धर्मो में करती है निर्भरता जनता की,सरकारों पर बढ़ा दी भर भर कर लूटा जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning मुद्रा का स्तर डावाडोल हो गया
#GoodMorning मुद्रा का स्तर डावाडोल हो गया
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