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Vishal Garg Visarg
विदेशों से मदद आ रही है, हम लोगों को बचाने के लिए। अपने ही नकली दवा, इंजेक्शन बना रहे हैं, देश को डुबाने के लिए। शर्मनाक ©Vishal Garg Visarg शर्म आती है गद्दारों पर #Hopeless #IndiaFightsCorona #Help
vpsingh22rj
इंतजार कर मौके का हिसाब होगा हर एक धोके का ©vpsingh22rj गद्दारों के खिलाफ
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
गद्दारों को मारना तब बहुत जरूरी है जब दीप को सताये तम की मजबूरी है सामने आपके गर साँप है,उसे छोड़ दो, पहले गद्दारों पर लाठी मारना जरूरी है साँप तो एक बार ही हमको डसता है, एक गद्दार,अगणित सांपों का हुजूरी है तिरंगे को भी देते है,ऐसे लोग गाली, क्या ऐसे गद्दारों को रखना जरूरी है? मुक्त करो भारत मां को इन गद्दारों से, इनके दमन से खिलेगी बगिया पूरी है शूल होते तो में इन्हें माफ भी कर देता, नासूर को जड़ से हटाना बेहद जरूरी है हिंद की धरती तब ही बनेगी कोहिनूरी है, जब गद्दारों पे तलवार चलेगी पूरी है देश के सिपाहियों को जिन्होंने न छोड़ा, क्या वो किसान आंदोलन की धुरी है? मिटा दो नामोनिशान ऐसे देशद्रोहियों का, जिनसे कृष्ण हो मां का चोला सिंदूरी है किसान आंदोलन आड़ में रोटी सेक रहे, वो सुने तुम्हे मिलेगी सज़ा बहुत बुरी है असल किसान है,वो देश का अभिमान है, वो शांति से हल करेंगे समस्या पूरी है पर गद्दारों को अपने बीच न आने दो, ये पूरे कुँए में जहर घोल देंगे खूनी है सर्तक रहे मेरे देश के सभी किसान, कोई न ताने,तेरे कंधे पे बंदूक खालिस्तान मत आने दो उन गद्दारों को आंदोलन में, जिनसे रो रही मेरी भारत माँ बहुत बुरी है अंत मे सब देशवासियों से मेरी प्रार्थना है, गद्दारों को मत दो कभी तुम पनाह है जहां दिखे उन्हें समूल ही मिटा दो, इन्हें तनिक भी मत दो हिंद में बांह है देशद्रोहियों से मुक्त होने पर ही हिंद जमीं, फिर से बनेगी राम-राज्य जैसी सुनहरी है दिल से विजय गद्दारों को मारना जरूरी
Sandeep Lucky Guru
मोहब्बत हो गयी हैं, मोदी तेरे नाम से दीवाने हो गए हैं, मोदी तेरे काम से वोट क्या चीज हैं,जान भी दे देंगे मोदी तेरे लिए शान से.. जलाने वाले जलते रहेंगे हम जलजला नहीं रूकने देंगे पर घर्म का अपमान करने वाले गद्दारों ने कट्टर हिन्दू बनने पर मजबूर कर दिया...!
Ajay Kumar Dwivedi
मेहनत से कमाया पैसा मैने, फिर सरकार को टैक्स दिया। और सरकार ने मेरे पैसों को, गद्दारों पर खर्च किया। मुझे मंजूर नहीं कोई मेरी कमाई, इस तरह बर्बाद करें। जेएनयू के गद्दारों का घर, मेरे पैसे से आबाद करें। पूरी दिल्ली में कहीं बताओं, दस रूपए का रूम हैं क्या। जो देश को गाली देता हो, वो भी कोई मजलूंम हैं क्या। प्रति क्षात्र साढ़े चार लाख, हर वर्ष खर्च कर देतें हैं। पर अन्नदाता की बारी आए, सबके सब मौन धर लेतें हैं। हैं मुझको एतराज अगर, मेरा एक पैसा भी व्यर्थ हो। उन गद्दारों पर खर्च न होने दूंगा, जिनका मेरे लिए कोई अर्थ न हो। यदि देना हैं मेरे टैक्स का पैसा, तो देश के किसानों को दो। सरहद पर खड़ें जो हमारी रक्षा में, उन देश के जवानों को दो। हैं गर्व मुझे मैं भारत माँ की, गोद में खेला बड़ा हुआ। इस मिट्टी से ताकत मिलीं मुझे, मैं अपने पैरों पर खड़ा हुआ। फिर अपमान भला कैसे सह लूँ, उस माँ का जिसने पाला हैं। अपनी छाती से लगाकर मुझको, जिसने दिया निवाला हैं। बस बहुत हो चुका और नहीं, माँ का अपमान अब बहुत हुआ। अब और नहीं सह सकते अभिव्यक्ति की, आजादी का सम्मान बहुत हुआ। अजय कुमार व्दिवेदी #अजयकुमारव्दिवेदी मेरे टैक्स का पैसा गद्दारों पर खर्च हो मुझे मंजूर नहीं।
Poetry with Avdhesh Kanojia
Janta jawab janna chahti hai ki चमचों और गुलामों को समर्पित - - - - - - - - - - - - - - इशरत को हैं मानते बेटी दाऊद जैसे को भाई। कन्हैया जैसे को कहते बेटा गुरु अफ़ज़ल सा कसाई।। भारत ही है स्वर्ग इनका ऐसे गद्दार न मिलेंगे कहीं।। गाँधी को राष्ट्रपिता तो मानते मानते पर भारत को माता नहीं।। ✍️अवधेश कनौजिया© #NojotoQuote चमचों व गद्दारों को समर्पित
Chand Bhai
गद्दारों से सावधान ... कितना भी तुम गले लगाओ, लाख निभा लो यारी ,बदल नहीं सकते वह जिनकी फितरत में है! गद्दारी... ©Chand Bhai गद्दारों की गद्दारी नहीं बदल सकती