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Bobby(Broken heart)
mk_lover_writes
वतन वतन वतन ओ मेरे वतन आ हिला दे आज ये गगन बन के शोला आज हम चलेंगे दुश्मन पे गाज बनके हम गिरेंगे ना तो हम रुकेंगे ना झुकेंगे क्या हैं हम जहां से हम कहेंगे रुकावटें है तोड़ देनी सारी आज हम पड़ेंगे सब पे भारी कदम कदम मिशाल सा रखेंगे और तोड़ देंगे तोड़ देंगे तोड़ देंगे..... ..... सारी दुनियां का भरम वतन वतन ......... आ हिला दे आज ये गगन अंश क्या है वंश भी मिटादे ख़ाक में मिलाके तू सुलादे बूंद बूंद लहू का हिसाब ले जवाब उनको गोलियों की आग दे चला चल चला चल तू चला चल हो आसमान या हो धरातल वर्तमान में तू ऐसा करके बदल दे आने वाला कल सीमाओं के बाग पड़े उजड़े खिला दे उनमें आज तू कमल तिरंगे की शान को बढ़ाके बढाके बढ़ाके ........ दुश्मन को आज करदे तू दफन वतन वतन वतन ........ आ हिला दे आज ये गगन सीमा पे तू जलजला वहादे तिरंगा आसमान में फैहरादे सारी तू शियासते भुला दे बुनियाद दुश्मनों की तुम हिला दे मां के सीने का दर्द है कम करना तू इंच इंच का हिसाब करना आंखों को जो उठाके बात करते उनके दिलों में डर है आज भरना ये रात फैसले की आज आयी दम भरके आज निकलो तुम शिपाही अरे आज हमसे आज हमसे आज हमसे ....... दुश्मन भी यहां आके करेगा नमन वतन वतन वतन आ हिला दे आज ये गगन जय हिन्द वतन वतन वतन
SHIVAM SINGH TOMAR
आप चाहे करो सबकी भावनाओं की कद्र, लेकिन आपकी भावनाओं की कद्र कोई न करेगा। आप भर भी दो दुनिया के हर जख्म , इस मतलब परस्त दुनिया में, आपके घाव कोई न भरेगा। ©Shivam Tomar मतलब परस्ती, नमक छिड़कता जमाना
Ashok Sah
कुछ अनकही कुनबापरस्ती दास्तां ... कभी किसी के आंसू धोखा दे जाए, कभी छल कर जाए किसी की मुस्कान, काश हर किसी को कोई समझ जाए, कोई और नहीं, आइने में ही है वो इंसान। खुशी और गम के तराजू में ज़िन्दगी झूल रही, सफलता और संघर्ष की सियाही भी अब सूख रही, ज़िन्दगी के ये कोरे कागज़ अब संभाले नहीं संभल रही, और कुनबापरस्ती की आंग में भस्म हो रही । मानसिक तनाव और चिंता से हर कोई जूझ रहा, आंसू और पसीने से इंसान अपनी मंज़िल सींच रहा, खुशियों का बगीचा भी अब सूना सा है, तनावग्रस्त जीवन में यही एक आशियाना सा है । वर्षा और तूफान का भी विचित्र संगम है, आंसू और पसीने तो धो देती है, पर आगे बढ़ते कदमों को भी रोक देती है। रोड़े तो आएंगे, पथ भी दुर्गम होते जाएंगे, दशरथ मांझी सा ठोस तो कर इरादों को, पर्वत के गर्भ से भी नए राह बनते जाएंगे, और गैरों की महफ़िल में एक पहचान बना कर जाएंगे । ©अशोक साह #SushantSinghRajput कुछ अनकही कुनबा-परस्ती दास्तां
Rajni Vijay singla
मां भारती हम सब की मां दुश्मन ना डालने देंगे तुझे निगाह तिरंगा है शान देश में बसते प्राण ©Rajni Vijay singla हम वतन से वतन हमसे