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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी प्रतीकों के प्रति लगाव लगा बैठे बेचारा पति को बनाकर अर्घ सूरज चाँद को दे बैठे उम्र उसकी बढ़ना पत्नी के हाथ मे है मगर ताना दे देकर मलीन उसका जीवन कर बैठे सजना सँवरना था उसको रिझाने के लिये मगर बाजारों में दिखाने और लुभाने के लिये डिमांडो की फेरिस्ट रख बैठे भंग शांति घर घर की है आज इज्जत आज पति की ताक पर रख बैठे है इच्छाओं की पूर्ति जरा कम हुयी नही उदाहरण दूसरो के देकर मान सम्मान उसका धूमिल कर बैठे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #karwachouth मान सम्मान उसका धूमिल कर बैठे
#karwachouth मान सम्मान उसका धूमिल कर बैठे
read moreMahesh Patel
सहेली...... उसकी एक आदत खूब थी.. मैं जब भी उससे मिलता था.. मुझे गले लगा लेती थी.. ऐसा भी क्या था मुझ में. मैं जब भी दूर रहता था.. आंखों में आंसू भर लेती थी... उसकी एक आदत खूब थी.. ना चाहते हुए भी वह मुझे मिल लेती थी.. लाला... ©Mahesh Patel सहेली... गले लगा लेती.. लाला...
सहेली... गले लगा लेती.. लाला...
read moreसंजय जालिम " आज़मगढी"
White दर्द बन के कभी भी तुम आ जाते हो"२" दर्द दे के हमें हमेशा तुम मुस्कुराते हो "२" ख़ता बस ये हमसे हुई की दिल लगा बैठे "२" "जालिम" तुमसे से ..उल्फ़त इतनी मिली खुद को भूला बैठे.... "२" दर्द बन के कभी भी तुम आ जाते हो.... ©संजय जालिम " आज़मगढी" # खुद को भुला बैठे #
# खुद को भुला बैठे #
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी जंग का मैदान जिंदगी को समझ बैठे है जोखिमो को जीवन में झोंक बैठे है सुख सुविधाओं के ईवेंट के लिये सुखद पल कुर्बान कर बैठे है धुंध में भी जिंदगी दाँव पर है खुद हादसों को निमंत्रण हम दे बैठे है कोमल मन मे पढ़ाई का जुनून भर मौसमो का कहर बच्चों पर छोड़ बैठे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Thinking जिंदगी को जंग का मैदान समझ बैठे है
#Thinking जिंदगी को जंग का मैदान समझ बैठे है
read moreVIJAY DUBEY
White दिल मे तेरे प्यार का दीपक जलाय बैठे है साथ तेरे जीने के हम सपने सजाय बैठे है निगाहे तेरे दर पर हम जमाये बैठे है होंगी कभी मेरी ये उम्मीद लगाय बैठे है ©VIJAY DUBEY #love_shayari बैठे है
#love_shayari बैठे है
read moreबदनाम
कल देखा था तुम्हे. छत पे, बाल सुखाती खुद की धुन में बहती हुई शांत खबर थी मोहल्ले को की तुम आई हो मगर गलियों में शांति बहुत थी एक दफा खिड़की से झांकती तुम नजर आई थी पलक झपकते कही गायब भी हो गई थी मेरी चाय वही मेज में रखी ठंडी हो रही थी और कलम सिर्फ तुम्हारा इंतजार कर रही थी शायद अब अगली मुलाकात ना हो तुमसे ये शहर तुम्हारे बिना अधूरे सा लगता है और घर की दीवारें, तुम्हारी यादें दिलाती है तुम्हारे हिस्से की खिचड़ी रख आया हु अगली दफा साथ में खाएंगे....... ©बदनाम अब में बूढ़ा होने लगा हु.....
अब में बूढ़ा होने लगा हु.....
read moreAryan Gupta
Unsplash जीवन में अगर ऊंचाइयों की शिखर तक पहुंचाना है, तो एक लक्ष्य बनाओ, और उसके प्रति अपना उत्साह लगन हौसले के साथ अपना जी जान लगा दो सफलता अवश्य मिलेगी। ©Aryan Gupta #Book जीवन में अगर ऊंचाइयों की शिखर तक पहुंचाना है, तो एक लक्ष्य बनाओ, और उसके प्रति अपना उत्साह लगन हौसले के साथ अपना जी जान लगा दो सफलता अ
#Book जीवन में अगर ऊंचाइयों की शिखर तक पहुंचाना है, तो एक लक्ष्य बनाओ, और उसके प्रति अपना उत्साह लगन हौसले के साथ अपना जी जान लगा दो सफलता अ
read moreF M POETRY
green-leaves कितने आराम से बैठे हो मेरा दिल लेकर.. मुझको हैरत है क़ी खामोश है दिल भी तुम भी.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #GreenLeaves कितने आराम से बैठे हो...
#GreenLeaves कितने आराम से बैठे हो...
read moreShashi Bhushan Mishra
New Year 2024-25 दिल की किताब आंखों से पढ़ने को बेक़रार, नज़रें मिलाकर देख लो तुम मुझसे एकबार, दिल में रहा क़ायम ये भ्रम है प्यार उन्हें भी, नज़रें बचाकर देखते देखा है कई बार, सूरजमुखी सा आफ़ताब देख खिल उठे, हर सुब्ह रहा करता है इस कद्र इंतज़ार, फ़ुरसत में किसी रात चांद डूबता नहीं, मिलती तो मांग लाते हम भी चांदनी उधार, हुस्न-ओ-अदा पर फ़िदा हुए राह के पत्थर, रुक जाए मुसाफ़िर भी राह चलते कई बार, महफूज़ मेरा चैन-ओ-सुकूं उनकी फ़ज़ल से, बख़्शी ख़ुदा ने दुआ की दौलत भी बेशुमार, दीदार-ए-हुस्न मुकम्मल होता नहीं कभी, होती है नुमाइश में झलक गोया क़िस्त बार, फूलों के ईर्द-गिर्द सुनूं भ्रमर का 'गुंजन', दिल पर लगा दिया खाली है का इश्तिहार, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिल पर लगा दिया#
#दिल पर लगा दिया#
read moreF M POETRY
Unsplash हमें तुमसे कोई शिक़वा नहीं है.. मगर अब तुमसे चाहत भी नहीं है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #हमें तुमसे कोई....
#हमें तुमसे कोई....
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