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Stories related to चमकीले दिया कलियां

- Arun Aarya

#moonlight #रो दिया है

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उसे इतना तवज्जों दिया है 

      तभी तो उसे खो दिया है !

     पत्थर सा एक लड़के ने 

          आज अचानक ही रो दिया है..!!

                    - अरुन आर्या

©- Arun Aarya #moonlight #रो दिया है

jameel Khan

# चमकीले #

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White आसमान छूने लगे है खोटे सिक्कों के दाम 
अंधों की नज़रों मै पत्थर चमकीले हो गए 


जमील

©jameel Khan # चमकीले #

unique writer

अपनों ने ही ठुकरा दिया

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unique writer

अपनों ने ही ठुकरा दिया

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unique writer

कहना छोड़ दिया

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M Gour

#love_shayari ये कलियां ये फुल और ये शायरी हिंदी शायरी हिंदी में शायरी लव रोमांटिक

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White ये कलिया ये फुल और ये बाहार
य नदियां ये झरने है हजार 
और मुझे तुम याद आते 
हो बे सुमार

©M Gour #love_shayari ये कलियां ये फुल और ये  शायरी हिंदी शायरी हिंदी में शायरी लव रोमांटिक

अनिल कसेर "उजाला"

रोने न दिया

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unique writer

बदल दिया हमने

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Shashi Bhushan Mishra

#दिल पर लगा दिया#

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New Year 2024-25 दिल की किताब आंखों से पढ़ने को बेक़रार,
नज़रें मिलाकर देख लो तुम मुझसे एकबार,

दिल में रहा  क़ायम ये भ्रम  है प्यार उन्हें भी,
नज़रें  बचाकर   देखते   देखा  है  कई  बार,

सूरजमुखी  सा  आफ़ताब  देख  खिल उठे,
हर सुब्ह  रहा करता है  इस कद्र  इंतज़ार,

फ़ुरसत  में  किसी  रात  चांद  डूबता  नहीं,
मिलती तो मांग लाते हम भी चांदनी उधार,

हुस्न-ओ-अदा पर फ़िदा हुए  राह के पत्थर,
रुक जाए मुसाफ़िर भी राह चलते कई बार,

महफूज़ मेरा चैन-ओ-सुकूं उनकी फ़ज़ल से,
बख़्शी ख़ुदा ने  दुआ की दौलत भी बेशुमार,

दीदार-ए-हुस्न   मुकम्मल  होता नहीं कभी,
होती है नुमाइश में झलक गोया क़िस्त बार,

फूलों  के  ईर्द-गिर्द  सुनूं  भ्रमर का 'गुंजन',
दिल पर लगा दिया खाली है का इश्तिहार,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' 
            प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दिल पर लगा दिया#

Satish Kumar Meena

कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां

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कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां,

विपदा जन्म से पाई है।

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।


शूल बने अपने ही घर के,

मातम पसरा है उस दर पे,

जिस घर में नारी लक्ष्मी हो,

उस पर ही दोषारोपण हो,


फिर सब संपन्न संपदा की चाबियां,

अपने कमर लटकाई है। 

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।


जब प्रारंभ ही शुभ जानो,

सारा लाभ बेटी को मानो,

अंतर क्यों इनमें जानों,

अपने को गर्व से तानो,


ये बेटियां प्रारंभ है कोई अंत नहीं है,

इसने घर की शान बनाई है।

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।

©Satish Kumar Meena कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां
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