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Urmeela Raikwar (parihar)
White कितनी मिलती है इससे, अपनी कहानी ,,,.. written by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #Sad_Status कहानी
#Sad_Status कहानी
read moreSTRK
White तुमसे ज़्यादा मुहब्बत हमें शायरी से, ये कहने से क्यों तुम बिगड़ जाते हो। कोई शायर नहीं हम तुम्हारी कसम, कुछ भी लिखते हैं तुम ही उतर जाते हो।। इतना पढ़ते ही फ़िर मुस्कुराओगे तुम, चुन्नी उंगली घुमाके लजाओगे तुम। हमसे रुसवा हो ऐसा दिखाओगे फ़िर, बिन मनाए ही फ़िर मान जाओगे तुम।। -Nishant Pandit ©STRK फ़िर मान जाओगे तुम...❣️ #लव #ishq #प्रेम #gussa #Dhoka #Zindagi #pyaar #love_shayari #कविता
Parasram Arora
White पुराने गमो को जो अभी भी स्थाई अतिथि बन कर मेरे साथ मेरे भीतर रह रहे है और जिनसे मै काफ़ी ऊब भी चुका हूँ मुझे अगर नए गमो को अपने भीतर प्रवेश कराना हो तो ये जरुरी है पुराने गमो को अलविदा कह दूँ ©Parasram Arora स्थाई अतिथि
स्थाई अतिथि
read moreVikas sharma
White ख़ुद को पेश करते रहे कहानी के रूप में पढ़ते रहे..लोग चलते रहे.. लोग ©Vikas sharma #Thinking कहानी
#Thinking कहानी
read moreSharif Shaikh
White ये ढलता सुरज , क्या सुहानी शाम है. ये जिंदगी भी मेरी , कहीं गुमनाम है. ©Sharif Shaikh #GoodMorningमेरी कहानी
#GoodMorningमेरी कहानी
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
Radhe Radhe
White ऐ दर्द का आलम बताओ ना और ऐ तो समझाओ ना तुम वियोग में जल रहे तो मैं वियोगिता सी बात उसूल पे आ गयी तो हा अब कहानी दोहराओ ना। जय श्री राधे ©Radhe Radhe कहानी
कहानी
read moreMahesh Patel
green-leaves सहेली.... उनके आने की आहट से.. दिल मेरा धड़कने लगा.. ऐसी तो क्या बात थी.. जो दिल मेरा तड़पने लगा.. बहुत हो चुकी दूरियां सहेली से.. मिलकर मुझ मेरी ही कहानी बताने लगा.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... कहानी... लाला...
सहेली... कहानी... लाला...
read moreआधुनिक कवयित्री
मेरे शब्दों को समझने में वक्त लगता हैं जनाब, क्योंकि कहानी ख़ुद की हैं, किस्से ओरो के नहीं सुनाते हैं हम ©आधुनिक कवयित्री अपनी कहानी...
अपनी कहानी...
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
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