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AJAY NAYAK
जरूरी नहीं है इफ्तारी करने बैठे सभी लोग सहरी के बाद कुछ भी खाए पिए न हो। बस दिखाना रहता है कि रमजान माह चल रहा है ! और हम भी मुस्लिम ही हैं! ©AJAY NAYAK #रमजान #इफ्तार जरूरी नहीं है इफ्तारी करने बैठे सभी लोग सहरी के बाद कुछ भी खाए पिए न हो। बस दिखाना रहता है कि रमजान माह चल रहा है ! और हम भ
bhim ka लाडला official
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Sethi Ji
दोस्तों संग यह ज़िन्दगी कितनी सुहानी लगती हैं अकेले और तन्हा चाँदनी रात भी कहाँ गुज़रती हैं लिखता हूँ एक टूटे हुए दिल की आवाज़ आपके सामने और सारी दुनिया मुझे एक " शायर " समझती हैं थक जाता हूँ हर दिन दुनिया की जस्तो-जायज़ में अपने घर की रोटी कमाने के लिए मेरी माँ के आँचल में मेरी यह ज़िन्दगी सँवारती हैं 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sethi Ji ♥️🌟 आज की दुनिया 🌟♥️ ♥️🌟 आज की पुनिया 🌟♥️ आज की दुनिया में हर कोई परेशान हैं इंसानों की बस्ती में भी कहाँ मिलता इंसान हैं ।। हमने भी खाए
facto ak47
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी उत्साह की तरंग जब हिचकोले लेती है मुरादे मन की खुशियों के रंग लेती है सीमाये तब टूटती जाति पाती की बन्धन उम्रों का नही रहता है त्योहार होली का अश्लील और उदण्डता भर नही प्रेम प्रीत के रंगों में खुशियो का मिलन होता है एक दुसरो के दिलो में झांकने का अवसर सबको होता है हमारे हर त्योहारो में मेल जोल बढ़ाने का संदेश छिपा रहता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Holi उत्साह की तरंग जब हिचकोले लेती है #nojotohindi
bhim ka लाडला official
Anuj Ray
नोजोटो और योर कोट पर, आज की तारीख़ में जितने शायर, कवि या कुछ न कुछ लिखने वाले हैं । पूछ कर देख लो,सब के सब दिलजले,इश्क़ में घायल और बर्बाद मोहब्बत के सताएऔर मारे हुए हैं। सब के सब,अपनी जागीर ,दिल की दौलत, किसी की सादगी ,किसी के भरोसे पर, दिल में ज़ख्म खाए हुए हैं। ©Anuj Ray # दिल में ज़ख्म खाए हुए हैं
sumit Jatan