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निर्भय निरपुरिया
White जैसे आती है दुआ लब पे है ऐसे आई वह तेरा नाम तेरी याद और तन्हाई तेरे दिल में कमोबेश रह गया हूं मैं या मेरे दिल से यूं ही कोई सदा आई। रात को उठ के हिचिकिया तू भी लेता है सुबह तलक फिर तुझको भी नींद ना आई बस इसी चाह में औरत बनी रही औरत जुबां पे बच्चों की पहली पहल है मां आई आग है निकली अभी बेसाख्ता दरिया से सफेद साड़ी में लड़की कोई नहा आई कोई लड़का खुली किताब है जिसके लिए फाड़ के पन्ने वही नाव है बना लाई। अब तो शादी के पहले हुए सारे लफड़े दूसरी शादी हुआ करती थी कभी सगाई चारों कांधे कम पड़ने लगे घर के लिए पूरी पड़ती रही है बस बाप की कमाई मिन्नतें करके ओयो में लाने के बाद लड़का बोल पड़ा लड़की से बेहया आई ©निर्भय निरपुरिया #Hope एक Mohabbati विधार्थी Rakhee ki kalam se Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Madhusudan Shrivastava
निर्भय निरपुरिया
White दर्द की दवा भी मरीज़ बतावे। यह हकीम कौन तरीज़ बतावे।। एक तरफा रास्ता है ये दिल का। बेवफा इसे भी अरीज़ बतावे।। दिल किसी नबाब का नोचने को है। मूल्ला हरम कु हरीज़ बतावे। क्या गजल कहूं बोल उस बदन पर अंधा जिसका हुस्न करीज़ बतावे। ©निर्भय चौहान #GoodMorning Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Nazar
#GoodMorning Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Nazar #शायरी
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White विरह वेदना की जो सारी दहन हो। पतित चेतना का यही आचमन हो। बने चाह का फूल जब प्रेम का फल। हमारा हो अनुनय तुम्हारा भी मन हो।। ©निर्भय चौहान #Moon #Muktak #trust Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Nazar Madhusudan Shrivastava
निर्भय निरपुरिया
White वो पतझड़ बाद जो आता है मौसम। गई खुशियां कहां लाता है मौसम। नए सब फूल पत्ते फल है निकले नई नजरों को ही भाता है मौसम।। मैं जब चाहूं तुम्हें मैं भूल जाऊं । तुम्हारी याद ले आता है मौसम। यूं दिल के सारे ताले बंद है फिर। भला क्यों लौट कर आता है मौसम । पहाड़ों से है ठोकर खा के आया। मुंडेरों पे बरस जाता है मौसम ।। बुढ़ापे में जवानी याद करके। निगाहों में ठहर जाता है मौसम ज़हन में जब बदलने लगता है तो। बदन पर भी उभर आता है मौसम।। सियासत आदमी को खाए लेकिन । सियासत को भी खा जाता है मौसम। मुझे अपना बताता है ये निर्भय उसे कितना सता जाता है मौसम। ©निर्भय चौहान #SAD Shiv Narayan Saxena Kumar Shaurya Dhyaan mira Snehi Uks Rakhee ki kalam se
निर्भय निरपुरिया
Beautiful Moon Night कैसे तेरी गली से जाएं हम। बोलो मर जाओ तो मर जाएं हम ।। तूने हम को है निकाला दिल से । अब बता कौन से घर जाएं हम। चाहती हो नए गुल खुद के लिए । यानी शाखों से भी झड़ जाएं हम। हमने तुम सा ही अदब सीखा था। और अब कितना सुधर जाएं हम। गम को अपने न दो तुम नाम मेरा। चाहती क्या हो क्या कर जाएं हम। ©निर्भय चौहान #beautifulmoon Anshu writer Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se USTAD ISMAIL WASIF Madhusudan Shrivastava
#beautifulmoon Anshu writer Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se USTAD ISMAIL WASIF Madhusudan Shrivastava #शायरी
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याद रहता है सबको अपना गुनाह। दोष दूसरों को देने के लिए।। तुमको भी मैं याद तो होऊंगा।। ©निर्भय चौहान #boatclub एक Mohabbati विधार्थी Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Anup Joshi
Dr Anoop
"न किस्सों मे है और न किस्तों मे है" "जिंदगी की खूबसूरती चंद सच्चे रिश्तों मे है" ©Dr Anoop #skylining 2 good morning Kajal Sunita Pathania Rakhee ki kalam se Sita Prasad Dr SONI
#skylining 2 good morning Kajal Sunita Pathania Rakhee ki kalam se Sita Prasad Dr SONI
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चार दिन बीत गए, चार लोगों के लिए।। रीत से प्रीत गए, चार लोगों के लिए।। जिंदगी जंग सही, हम नही लड़ पाए। हार कर जीत गए, चार लोगों के लिए।। चैन और नींद गई, दुख गए सुख गए। मन के सब मीत गए, चार लोगों के लिए।। शेर गजलें सभी, नज़्म कताएं गई। स्वर व संगीत गए, चार लोगों के लिए।। तुम गए,वो गए। स्वप्न भी खो गए। प्रेम के गीत गए, चार लोगो के लिए।। दिल गया सांस गई, खुद से थी,आस गई। रस्मों के भीत गए, चार लोगों के लिए।। चार दिन बीत गए, चार लोगों के लिए। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #longdrive Snehi Uks Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Sudha Tripathi Anup Joshi
#longdrive Snehi Uks Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Sudha Tripathi Anup Joshi #कविता
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Autumn वो मां को याद करके रो रहे थे। नए लड़के सड़क पे सो रहे थे।। वो अपने गांव के सब चांद तारे । श–हर की भीड़ में वो खो रहे थे।। थे पक्के खेत फिर कंटीला दफ्तर। जहाँ पर वो उ म्मीदें बो रहे थे।। बहन के ख्वाब जोड़े जा रहे हैं । दवाई बाप की वो ढो रहे थे ।। वो बस मजदूर बन के रह गए हैं। वो कॉलेजों में जो अफसर रहे थे ।। कोई निर्भय मरा था दिल लगा कर। सभी अपना कलेजा टो रहे थे।। निर्भय चौहान १२२२ १२२२ १२२ ©निर्भय चौहान #autumn Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Nazar Sukoon Ki Baat
निर्भय निरपुरिया
Meri Mati Mera Desh वो ही सीखे दोस्ती का तौर , गलियां मुंह पे दिया करे। शौक से वो उलझे तारों से फिर न इल्तज़ा किया करे। ©निर्भय चौहान #MeriMatiMeraDesh Anshu writer Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Yogendra Ji Nath
#MeriMatiMeraDesh Anshu writer Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Yogendra Ji Nath #शायरी
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