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Mukesh Poonia
वो दिन, वो नजारा भी आएगा समुद्र है अगर तो किनारा भी आएगा जिंदगी की परेशानियों से हार मत जाना ऐ दोस्त तुझसे मिलने एक दिन वो सितारा भी आएगा . ©Mukesh Poonia #lakeview वो #दिन, वो #नजारा भी आएगा #समुद्र है अगर तो #किनारा भी आएगा जिंदगी की #परेशानियों से हार मत जाना ऐ #दोस्त तुझसे मिलने एक दिन वो
Saurabh pal 85
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. उस गुलाबी चांद के चेहरे पे थोड़ा सा रंग लगा देते, तुम जो पास होते तो हम भी होली मना लेते ! ©Saurabh pal 85 उस गुलाबी चांद के चेहरे पे🥀
Arora PR
वो भी क्या दिन थे. ज़ब हम भी यारों क़ी महफिल मे शिरकत करते थे फिर वक़्त क्या बदला कि सब कुछ. बदल गया आज हम अपने बिस्तर पर पड़े पड़े या तो आसमान के तारो से मुख़ातिब होते है.. याफिर अपनी मंद होती हुई साँसो क़ो गिनते है ©Arora PR वो भी क्या दिन थे
bhim ka लाडला official
Rajkumar Sahni
Life Like दिन हुआ रात भी होगी, मत हो उदास उसे कभी बात भी होगी, वह प्यार है ही इतना प्यार, जिंदगी रहेगी तो मुलाकात भी होगी ।। ©Rajkumar Sahni #Lifelike दिन हुआ है रात भी होगी
Pinki Khandelwal
विघार्थी जीवन यूं तो बेखौफ निड़र होते हैं बच्चे, अपने सपनों से अनजान अपनी ही मस्ती में मस्त रहते, जब मन करता पढ़ते और खेलते हैं, थोड़े शरारती थोड़े नौटंकीबाज भी होते हैं, ढाल दो जिस सांचे में ढल जाते हैं, प्यार अपनेपन की भाषा को वो जानते हैं, लड़ाई झगड़ा पल भर में भूल जाते हैं, ये बच्चे तो कागज के फूल है, जो मनचाही राहों पर मुड़ जाते हैं, बेशक मां बच्चो की सबसे बड़ी गुरु कहलाती है, फिर भी गुरु से मिला ज्ञान का भी उतना महत्व है, इसलिए बच्चों को विघालय में भेजा जाता है, ताकि सीख सकें शिष्टाचार अनुशासन का भी वो पाठ, आत्मविश्वासी हो बोलने में सशक्त बने, और अपनी पहचान बनाएं, शुरुआती दिनों में बच्चों को होती है मुश्किल, जाने में करते कभी कभी आनाकानी है, पर धीरे धीरे नये नये दोस्त बनाते, क ख ग बोलना भी सीख जाते, सच कहूं तो स्कूल लाइफ बेस्ट लाइफ होती है, यह बात बाद में सबको समझ आती है, और फिर, उन दिनो को याद कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, वो टाई बेल्ट दो चुटिया रिबन लगा कैसे कार्टून लगते थे, और मटक मटक कर जो हम स्कूल जाते थे, जाते जाते किसी की खिड़की पर पत्थर फैक आते थे, तो कभी स्कूल बहाने खेलने चले जाते थे, आज बड़े होकर स्कूल जाने का मन करता है, और पहले स्कूल जाने से भी डर लगता था, हम भी कितने अजीब है, जो बीत गया समय उसको याद कर मुस्कुराते हैं और जो चल रहा समय उसे रो रोकर बिताते हैं। ©Pinki Khandelwal वो दिन आज भी याद आते हैं...।
ARVIND KUMAR KASHYAP