Find the Latest Status about mahabharat आंखों from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, mahabharat आंखों.
Ruhi
Unsplash एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी ज़माने भर से क्या मतलब.... मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी । एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,, एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों से धार बन कर बह जाऊंगी,, एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी। एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी। ©Ruhi मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।
मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।
read moreSunita Pathania
gaTTubaba
जुबां से चुप हैं आंखों से भी हो जाएं क्या ? ©gaTTubaba जुबां से चुप हैं आंखों से भी हो जाएं क्या ?
जुबां से चुप हैं आंखों से भी हो जाएं क्या ?
read moreBETAB TOSHIF
wlove shayari Hindi. हमारी आंखों में आंखें डालकर यूं ना देखा करो तुम हमें 😳😳🧐😳😳 #BetabToshif
read moreRajesh Kumar
यह न पूछो कि मैं कैसे जिया करता हूं अपने जख्मों को मैं कैसे सिया करता हूं असहनीय दर्द को मिटाने के लिए तेरी आंखों का जाम पिया करता हूं ©Rajesh Kumar तेरी आंखों का नशा
तेरी आंखों का नशा
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreविष्णु कांत
Avinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
#संशय Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
read moreHimanshu Prajapati
White आंखों में बसें हो, ख्यालों का क्या कहूं, बातों में बसे हो, सवालों का क्या कहूं, मोहब्बत में थोड़ा उलझा हुआ सा तुमसे हार जाता हूं, बवालों का क्या कहूं..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari आंखों में बसें हो, ख्यालों का क्या कहूं, बातों में बसे हो, सवालों का क्या कहूं, मोहब्बत में थोड़ा उलझा हुआ सा तुमसे हार जाता ह
#love_shayari आंखों में बसें हो, ख्यालों का क्या कहूं, बातों में बसे हो, सवालों का क्या कहूं, मोहब्बत में थोड़ा उलझा हुआ सा तुमसे हार जाता ह
read more