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Harsh Dubey
White एल्बम से, डायरी से, ग़ज़ल से व याद से बे दख़्ल कर रहा हूँ तुम्हें जायदाद से मिक़दार को बढ़ाने में मे यार गिर गया लज़्ज़त ख़राब हो गयी फ़स्लों की, खाद से हम में जो रब्त था वो बहुत दर्दनाक था होता है जैसे ज़ख़्म का रिश्ता मवाद से मैं वो हूँ जिसका क़र्ज़ से होता गुज़र बसर तुम वो हो जिसका काम चले हैं मफ़ाद से अपनी मुराद होगी किसी और की हयात हम देखते रहेंगे खड़े ना - मुराद से मातम मना रहे हैं यहाँ शाइरी से हम ढांढस बंधा रहे हैं हमें लोग दाद से ©Harsh Dubey एल्बम से, डायरी से, ग़ज़ल से व याद से , बे दख़्ल कर रहा हूँ तुम्हें जायदाद से !! urdu poetry love poetry for her sad urdu poetry hindi poet
एल्बम से, डायरी से, ग़ज़ल से व याद से , बे दख़्ल कर रहा हूँ तुम्हें जायदाद से !! urdu poetry love poetry for her sad urdu poetry hindi poet
read moreIndian Kanoon In Hindi
पत्नी सास-ससुर से अलग रहने की जिद करे तो पति दे सकता है तलाक :- * सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला अपने पति को बूढ़े मां-बाप से अलग रहने को मजबूर करती है तो उसे उसका पति तलाक दे सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि हिन्दू लॉ के मुताबिक कोई भी महिला किसी भी बेटे को उसके मां-बाप के प्रति पवित्र दायित्वों के निर्वहन से मना नहीं कर सकती है। जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने कहा कि एक महिला शादी के बाद पति के परिवार की सदस्य बन जाती है। वह इस आधार पर उस परिवार से अपने पति को अलग नहीं कर सकती है कि वो अपने पति की आय का पूरा उपभोग नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि माता-पिता से अलग रहने की पश्चिमी सोच हमारी सभ्यता-संस्कृति और मूल्यों के खिलाफ है। कोर्ट ने कर्नाटक की एक दंपत्ति के तलाक की अर्जी को मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की है। * सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में लिखा है, “भारत में हिन्दू परिवारों में न तो यह सामान्य बात है और न ही प्रचलन में है कि कोई भी बेटा अपनी पत्नी के कहने पर शादी के बाद बूढ़े मां-बाप को छोड़ दे। खासकर तब, जब बेटा ही परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य हो। एक बेटे को उसके मां-बाप ने न केवल जन्म दिया बल्कि पाल-पोसकर उसे बड़ा किया, पढ़ाया, लिखाया। अब उसकी नौतिक और कानूनी जिम्मेवारी बनती है कि वह बूढ़े मां-बाप की देखभाल करे। खासकर तब जब उनकी आय या तो बंद हो गई है या कम हो गई है।” * कोर्ट ने टिप्पणी की कि हिन्दू लॉ के मुताबिक कोई भी महिला किसी भी बेटे को उसके मां-बाप के प्रति पवित्र दायित्वों के निर्वहन से मना नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई पत्नी, पति को उसके परिवार से अलग रहने पर मज़बूर करती है तो ये तलाक पाने का एक आधार हो सकता है. इस फैसले के अनुसार जीवनसाथी का खुदकुशी करने की धमकी देना और एक-दूसरे पर झूठे आरोप लगाना भी तलाक के लिए आधार बन सकता है. ©Indian Kanoon In Hindi पत्नी सास-ससुर से अलग रहने की जिद करे तो पति दे सकता है तलाक
पत्नी सास-ससुर से अलग रहने की जिद करे तो पति दे सकता है तलाक
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} वो बहुत बड़ा तमासा ही था, जो तेरा इजहार करना हमसे बे-hatsaaa था।। ©N S Yadav GoldMine #love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} वो बहुत बड़ा तमासा ही था, जो तेरा इजहार करना हमसे बे-hatsaaa था।।
#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} वो बहुत बड़ा तमासा ही था, जो तेरा इजहार करना हमसे बे-hatsaaa था।।
read morejameel Khan
White मुझे ज़ख़्म देने वाले मेरे ज़ख़्म की दवा हो गए वो बे-वफ़ा बे-वफ़ाई करके फ़िर ब-वफ़ा हो गए जमील ©jameel Khan # बे वफ़ा #
# बे वफ़ा #
read morejameel Khan
White गरज रहा है बादल उसे गरज लेने दो मौसम है उस का उसे बरस लेने दो जमील ©jameel Khan # बे मौसम #
# बे मौसम #
read moreSr Amar Babu
green-leaves यूं ही नहीं आप के लिए तड़पते हैं_आप ही है जो हर सांस के साथ मेरे दिल में धड़कते ©Sr Amar Babu #GreenLeaves यूं ही नहीं आपके लिए तड़पते हैं जो हर सास के साथ मेरे दिल धड़कते हैं शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी' शायरी
#GreenLeaves यूं ही नहीं आपके लिए तड़पते हैं जो हर सास के साथ मेरे दिल धड़कते हैं शायरी दर्द 'दर्द भरी शायरी' शायरी
read moreKulvant Kumar
White "Love 💕 "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है " ©Kulvant Kumar #LOATips "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है
#LOATips "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है
read moreUnknown Shayar
Unsplash झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं ©Unknown Shayar #Book झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं shayari love
#Book झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं shayari love
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
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