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Parul Sharma
दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जीवन का एक मात्र यही है आधार ©Parul Sharma दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जी
दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जी
read moreVinod Mishra
IG @kavi_neetesh
White 🙏🙏🙏🙏सुविचार 🙏🙏🙏🙏 आनन में मुग्धता, मन में मत्सरादि भाव रहने पर आईना क्या करेगा? हमारे नैन रूपी दर्पण भी धोखे में आ जाएगा, परंतु एक दिन अवश्य उसका पर्दा फाश होकर ही रहेगा। दूध का दूध और पानी का पानी। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©IG @kavi_neetesh #love_shayari फ्रेंड्स कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कोट्स इन हिंदी 🙏🙏🙏🙏सुविचार
#love_shayari फ्रेंड्स कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कोट्स इन हिंदी 🙏🙏🙏🙏सुविचार
read moreDanish M
"इश्क हुआ इजहार करते दूध का दांत टूटा नहीं Zamane से टकराने की बात करते 😃💖" #danishm #dailyquotes #quotestagram
read moregudiya
Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya #NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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