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Sharad Kamble

# आंबेडकरी चळवळ #ऐक्य

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 # आंबेडकरी चळवळ
#ऐक्य

Shilpa yadav

# नोजोटो हिन्दी जलाशय Sunil Azad HOLOCAUST #कविता

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जलाशय का रजनी श्रंगार करती है
रजतधार को अपने नाम करती है
चाँद सितारों की फैलाकर चादर राज करती है
जलाशय का रजनी श्रंगार करती है

अंधकार का वितान ललाम करती है
सुमन्द हवा का आह्वान करती है
सुबह होगी तम हटेगा प्रचार कती है
जलाशय का रजनी श्रंगार करती है

अमन देने का रजनी काम करती है
फैलाकर आँचल सुलाने का काम करती है
फेरकर टहनियाँ जलाशय पर हाथ रखती है
जलाशय का रजनी श्रंगार करती है

जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है 
फैलाकर दीप्ति जगत का कल्याण करता है
उमडते तूफान को एक कगार करता है
जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है

जलाशय किरणपुंज से नित्य स्नान करता है
जिन्दगी की कश्ती खेने का काम करता है
 देकर खैरात जल लोगों का कल्याण करता है
जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है

शिल्पा यादव # नोजोटो हिन्दी जलाशय  Sunil Azad HOLOCAUST

Muhammad Safar (M.S Baba)

प्राकृतिक सुंदरता खरखरा जलाशय डौंडी लोहारा छत्तीसगढ़।।। #जानकारी

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Dhanraj Gamare

युवा प्रबोधन साहित्य मंच , मावळ आयोजित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या १३३ व्या जयंतीनिमित्त... आंबेडकरी रिल्स स्टार फेस्टिव्हल #hunarbaaz

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Rohan Roy

छोटी-छोटी नदियां ही, बड़े जलाशय का कारण बनती है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover #Life

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Preeti Karn

#मेघ बरसो (दूसरी किश्त) #yqhindi #yqhindikavtia सर: तालाब , कूप : कुआं, वापी: छोटे जलाशय , जलचरी: मछली , पीयूष: अमृत , अवगुंठित:। चारों ओर

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सूखते सर कूप वापी
जलचरी कुंठित विकल है
प्राण अवगुंठित हृदय में
पीयूष रस छलकाओ तुम
झिहिर बरसो मेघ  निर्झर
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम।

त्योरियां माथे चढ़ी हैं
वेदना अति व्याप्त जीवन
बीज नभ  के द्वार ताके
कृषक मन हर्षाओ अब तुम
झिहिर बदरा बूंद बरसो
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम !

             प्रीति #मेघ बरसो (दूसरी किश्त)
#yqhindi #yqhindikavtia 
सर: तालाब , कूप : कुआं, वापी: छोटे जलाशय  , जलचरी: मछली , पीयूष: अमृत , अवगुंठित:। चारों ओर

kunwar siddhant Awasthi

जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत, ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत, ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है, उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रं

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जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत,
ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत,
ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है,
उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रंगत,

कुँवर सिद्धांत जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत,
ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत,
ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है,
उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रं

aryan srivastava

अबतो फुर्सत ही हमारी पहचान हो गई है ख्वाहिशें किसी जलाशय सी गुमनाम हो गई हैं हमभी मशरूफ थे कभी किसी कम में अबतो ये शिद्दतें भी इन फुरकतों से

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अबतो फुर्सत ही हमारी पहचान हो गई है
ख्वाहिशें किसी जलाशय सी गुमनाम हो गई हैं
हमभी मशरूफ थे कभी किसी कम में
अबतो ये शिद्दतें भी इन फुरकतों से बदनाम हो गई हैं।
जो पास था उसे कभी तराशा नही
दूर पड़े को ढूंढने में ये ज़िन्दगी ही अंधकार हो गई है। अबतो फुर्सत ही हमारी पहचान हो गई है
ख्वाहिशें किसी जलाशय सी गुमनाम हो गई हैं
हमभी मशरूफ थे कभी किसी कम में
अबतो ये शिद्दतें भी इन फुरकतों से

Deepak Kanoujia

ज़रा सोचो कैसे पथराई, सूखी, झूठी मुस्कुराती आँखें लिए घूम रहा हूंगा मैं अब...सुनो नयी नयी खुशबुएं बन जो महकते रहते हो मुझमें, कभी कभी नए नए र #mahadev #eyelover #eyesquotes #shivparvati #gaurishankar #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik

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तुझे नहीं पता
एक जलाशय है मेरी आँखों में,
तुझे नहीं पता
ना देखूं तुझे कुछ दिन तो ये सूख जाता है... ज़रा सोचो कैसे पथराई, सूखी, झूठी मुस्कुराती आँखें लिए घूम रहा हूंगा मैं अब...सुनो नयी नयी खुशबुएं बन जो महकते रहते हो मुझमें, कभी कभी नए नए र

R.S. Meena

#rsmalwar 🇮🇳🙏🙏🇮🇳 पानी को संचित करने के साथ-साथ, दुषित होने से बचाने का भी प्रयास किया जावे ताकि सभी को स्वच्छ जल मिल सके।🙏🙏 पानी खून का

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पानी
खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी।
इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।।

सबसे 'सामान्य तरल पदार्थ' ये अपने आपको बताएँ,
इसको दुषित करके लोग, अपना जीवन दुखी बनाएँ।
आसमाँ में छोड़ रसायन, वर्षा जल भी होता जहरीला,
मुल तत्वों का नाश करके, बंद बोतल में लगे चमकीला।

दुषित पानी पी कर, बुढ़ापे में बदल रही पच्चीस की जवानी।
खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी।
इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।।

घरों से निकलता गंदा पानी, बहता जाएँ तालाब में,
इसी पानी को कुछ लोग, पीते है मिलाकर शराब में।
जलाशय को गंदा करके, जीवों का ना विनाश करें,
कुछ है रहते उसमें और कुछ वहाँ जाकर पानी भरे।

रखो मुझे स्वच्छ, कहता हर जलाशय अपनी जुबानी।
खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी।
इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।।

प्रकृति का उपहार, व्यापारियों का व्यापार बनने को मज़बुर है,
जल के आगे व्यापार ही नहीं, सबका अहंकार चकनाचूर है ।

ऊँच-नीच की भेंट चढ़ती जाएँ, बिन पानी तृष्णा की नानी।
खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी।
इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।। #rsmalwar 

🇮🇳🙏🙏🇮🇳

पानी को संचित करने के साथ-साथ, दुषित होने से बचाने का भी प्रयास किया जावे ताकि सभी को स्वच्छ जल मिल सके।🙏🙏

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खून का
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