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Rani Yadav
कुछ कहते हैं, यूॅॅ॑ रातों को जग जैसे कलम चलाती हो दिमाग चला लेती तो कुछ बन जाती सुन सको तो सुनो.. कलम उठाने पर आप कैसे मजबूर किए हर समय चुप करवाए चुप रहने की ना कोई सीमा तय किए इसलिए मैं कलम चलाती हूॅ॑ मैं जीवित हूॅ॑ इसका प्रमाण हर दिन देती हूॅ॑ इसलिए मैं कलम चलाती हूॅ॑ मुझे अपने देश समाज, अपने तथा गैरों , और आने वाली पीढ़ियों की फिक्र है इसलिए कलम चलाती हूॅ॑ शहीदों की शहादत, गरीबों की रोटी, किसानों की खेती, युवाओं की बेरोजगारी माॅ॑ की खाली झोली, पिता की पसीने से टी-शर्ट भीगी बेटियों की आजादी और बच्चों की लोरी ना कोई भूल जाए इसलिए कलम चलाती हूॅ॑ दिमाग से जो अपंग बन चुके हैं सही, गलत का फर्क भूल चुके हैं जैसा चल रहा है चलते हुए देखने की जिन्हें आदत लग चुकी है सरकारें कोई भी हो उनसे अपने वोट का हिसाब नहीं मांगते कोई योजना कितनी सफल है कभी झांकने की कोशिश नहीं करते कुछ नया करने से हैं डरते जिनके कदम है लड़खड़ाने लगे उनके अंदर भी साहस का बिगुल बजे इसलिए कलम चलाती हूॅ॑ धर्म-जाति, अंधविश्वास और झूठ का बीज ना बोया जाए इसलिए कलम चलाती हूॅ॑ गलती समाज की है जो अपराधियों को विधायक, नेता ,सांसद, हिरो और विकास दुबे बनाते हैं हमारे जैसे इंसानों को हाशिए पर रखते हैं सबको सच्चाई की खुराक पिला सकूॅ॑ इसलिए कलम चलाती हूॅ॑ सबसे बड़ी बात लोगों के दिलों को सुनती हूॅ॑ उनके दर्द को महसूस करती हूॅ॑ गलत के लिए अपनी कलम से आवाज़ उठाती हूॅ॑ सबके हौसलों को बुलंद करती हूॅ॑ इसलिए रातों को जगकर कलम चलाती हूॅ॑ अब बोलो क्या मैं अभी भी कुछ नहीं बनी हूॅ॑... कुछ ना बनी तो ना सही कम से कम लोगों के दिल-दिमाग को तो पवित्र करती हूॅ॑ इसलिए मैं कलम चलाती हूॅ॑ -रानी यादव #इसलिए मैं कलम चलाती हूॅ॑
बादल सिंह 'कलमगार'
Marutishankar Udasi
कितना है बेवफा वो रुलाया है कितना मेरे ज़िन्दगी को हमने दिया है उम्र किसी पत्थर को उसने लूट लिए मेरे हर खुशी को अब कहा से निकाल दु मै उदासी उसको जब वही चलाती हैं मेरे सासों को ©Marutishankar Udasi जब वही चलाती है मेरे सासों को #Stars
Bidyashree Panda
समय का भी शायद कुछ सौदा है तुझसे, बस कुछ तेरी फिक्र में, और कुछ तेरी जिक्र में गुज़रती हैं...। तेरी यादें ही तो है..जो सासें चलाती है मेरी...। #yqbaba
pramod malakar
पर्दे के पीछे से नजरों का तीर क्यों चलाती हो, सामने आकर आईने में तनिक मुस्कुरा कर देखो! मुझे छोड़ो, तुम्हारी आंखें भी चकाचौंध हो जाएगी!! कोयल सी काली हो फिर भी इतना क्यों इठलाती हो, तनिक एक सुरीली राग छेड़ कर तो देखो, मुझे छोड़ो, तुम्हारे कान भी शर्मा जाएगी !! """""""'"""""""""""""""""""""""""""""""" प्रमोद मालाकार की कलम से 14.07.2021...71 **************** ©pramod malakar #lotus 71.. पर्दे के पीछे नजरों का तीर क्यों चलाती हो...
Ajay Bishwas
पिता! तेरी दुआओं के साये मन को होने नहीं देते मैला परेशानी की धूल से फीका पड़ता नहीं रंग भरोसे का हमारी कश्ती चलती है मगर पतवार है तेरी दुआओं की # पिता! मेरी ज़रूरत की कश्ती तेरी दुआओं की पतवार चलाती है
PoOjA TripAthi..
सरकार कोई भी हो, ये बात अच्छे से समझती है की, लोगो की कमजोरी क्या है, समस्या कोई भी हो धर्म के नाम से उसे जोड़ना कोई इनसे सीखे और जनता मूर्खो की तरह कभी धर्म पर और कभी सरकार के नाम पर आपस मे ही लड़ती रहती है। समझ मे नही आ रहा कि सरकार हमें चलाती है या हम सरकार को।