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Jeetu Singh
 कविता कोश मोबाइल एप्प कविता कोश से जुड़ें कृष्ण का अलौकिकत्व / सुजान-रसखान रसखान » सुजान-रसखान » Script सवैया संकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं। नैंक हियें जिहि आनत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावैं। जा पर देव अदेव भू-अंगना वारत प्रानन प्रानन पावैं। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।7।। सेष, गनेस, महेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं। जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुबेद बतावैं। नारद से सुक ब्यास रहैं पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।8।। गावैं सुनि गनिका गंधरब्ब और सारद सेष सबै गुन गावत। नाम अनंत गनंत गनेस ज्यौं ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावत। जोगी जती तपसी अरु सिद्ध निरंतर जाहि समायि लगावत। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत।।9।। लाय समाधि रहे ब्रह्मादिक योगी भये पर अंत न पावैं। साँझ ते भोरहिं भोर ते साँझति सेस सदा नित नाम जपावैं। ढूँढ़ फिरै तिरलोक में साख सुनारद लै कर बीन बजावैं। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।10।। गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। साँवरो नंदकुमार सबै ब्रजमंडली में ब्रजराज कहावै। साज समाज सबै सिरताज औ लाज की बात नहीं कहि आवै। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै।।11।। ब्रह्म मैं ढूँढ़्यौ पुरानन गानन बेद-रिचा सुनि चौगुन चायन। देख्यौ सुन्यौ कबहूँ न कितूँ वह सरूप औ कैसे सुभायन। टेरत हेरत हारि पर्यौ रसखानि बतायौ न लोग लुगायन। देखौ दुरौ वह कुंज-कुटीर में बैठी पलोटत राधिका-पायन।।12।। कंस कुढ़्यौ सुन बानी आकास की ज्यावनहारहिं मारन धायौ। भादव साँवरी आठई कों रसखान महाप्रभु देवकी जायौ। रैनि अँधेरी में लै बसुदेव महायन में अरगै धरि आयौ। काहु न चौजुग जागत पायौ सो राति जसोमति सोवत पायौ।।13।। कवित्त संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब, तातें न महान और दूसर अवरेख्यौ मैं। कहै दसखान वही बालक सरूप धरै, जाको कछु रूप रंग अद्भुत अवलेख्यौ मैं। कहा कहूँ आली कछु कहती बनै न दसा, नंद जी के अंगना में कौतुक एक देख्यौ मैं। जगत को ठाटी महापुरुष विराटी जो, निरंजन निराटी ताहि माटी खात देख्यौ मैं।।14।। वेई ब्रह्म ब्रह्मा जाहि सेवत हैं रैन-दिन, सदासिव सदा ही धरत ध्यान गाढ़े हैं। वेई विष्नु जाके काज मानी मूढ़ राजा रंक, जोगी जती ह्वै कै सीत सह्यौ अंग डाढ़े हैं। वेई ब्रजचंद रसखानि प्रान प्रानन के, जाके अभिलाख लाख-लाख भाँति बाढ़े हैं। जसुधा के आगे बसुधा के मान-मौचन से, तामरस-लोचन खरोचन को ठाढ़े हैं।।15।। ©Jeetu Singh #saath #Raskhan #savaiya #kshand
sikandar Raza
मैंने खुद को भी पढ़ कर देखा है .....,, सिवाए मोहब्बत के कोई गुनाह न था !! ©sikandar Raza mene khud ko pad ke dekha hai
mene khud ko pad ke dekha hai #Shayari
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