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N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक, इस तरह हुआ था जन्म :- एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वह #पौराणिककथा
read morePriya Kumari Niharika
(कैप्शन में पढ़े) नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में मेरी कलम पूछती है..... आखिर कब..... आखिर कब समाज में जयशंकर प्रसाद जी के ये विचार सार्थक होंगे । क्या कभी वह दिन आएगा भी ?, जब नारी के अधिकारो को कुचला नहीं जाए? भेदभाव, शोषण, विषमता और अत्याचार से परे स्वतंत्र होकर क्या कभी वह अपने अनमोल जीवन के चंद पलो का बेहतरीन स्वाद को चख पायेगी ? क्या कभी उसके मत में भी समाज की सहमति हो पायेगी? या सदियों जैसा आज के दौर में भी समाज के मतानुसार उसे अपने जीवन की दिशा बदलनी होंगी क्या आज भी वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं नहीं कर सकती? क्या इतनी असहाय है वो, की समाज के थोपे गए फैसले का अनुकरण कर उसी भेड़ चाल में चलेगी बिना ये जाने की समाज का मत उसके लिए आखिर किस हद तक सार्थक है, और सार्थक है भी या नही? आखिर कब तक.......? क्या प्रतिबंधित और नियंत्रित होने के बावजूद भी उसे ये समाजिक नियम अनुचित और पीड़ादायक नहीं लगते? ये कहना अनुचित नहीं होगा कि ये समाज, सम्बन्धी और संस्थान ने नारी के जीवन को फोरव्हीलर, और स्वयं को ड्राइवर समझ रखा है, तभी तो अपने विचारों की गति से उसे नियंत्रित कर रहा है या नई दिशा में मोड़ रहा है, जिस दिशा से उसका जीवन स्वयं भी अनजान है, यदि समाज रूपी ड्राइवर के विचार जिस दिशा में जा रही है वो राह कितनी भी जटिल क्यू ना हो उबड़ खाबड़ क्यू न हो, नारी जीवन रूपी फोरव्हीलर को उसी राह से गुजरना होगा, तो जाहिर सी बात है.....फोरव्हीलर को जोखिमों का सामना करना पड़ेगा जिससे फोरव्हीलर रूपी नारी जीवन काफी प्रभावित और परिवर्तित भी होगा आखिर कैसा समाज है ये....? जिसने जगत रचैया को ही कठपुतली बना डाला आखिर कब समाज की दृष्टि बदलेगी.....? क्योंकि जब समाज की दृष्टि बदलेगी, तभी ये सृष्टि बदलेगी " नदियों को थाम न पाओगे, ना बारिश रोक सकोगे तुम न आंधी काबू में होगी, न सागर शोख सकोगे तुम जब बिजली कड़केगी तुमपर,और बादल सिंह से गरजेंगे तो खौफ के साए से डरकर उसको न टोक सकोगे तुम " " देवी का स्वरूप हो तुम,तुम्हीं बहन,तुम माता हो जगत रचैया तुम हो देवी, तुम ही सर्व सुख दाता हो तुम्हीं मनुज में सर्वश्रेष्ठ हो, अतुल प्रेम का गागर हो ह्रदय तेरा प्रेम वाटिका, तुम ममता की सागर हो अत्याचारी जगत है देवी, पुरुषों का वर्चस्व यहां निर्बल तुमको समझ रही ये, फैला है अंधत्व यहां" ©verma priya नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में मेरी कलम पूछती है..... आखिर कब..... आखिर
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक, इस तरह हुआ था जन्म :- एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहां पर भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे। उसी समय पार्वती ने पीछे से आकर अपने हाथों से भगवान शिव की आंखों को बंद कर दिया। ऐसा करने पर उस पल के लिए पूरे संसार में अंधेरा छा गया। दुनिया को बचाने के लिए शिव ने अपनी तीसरी आँख खोल दी, जिससे संसार में पुनः रोशनी बहाल हो गई। लेकिन उसकी गर्मी से पार्वती को पसीना आ गया। उन पसीने की बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ। उस बालक का मुंह बहुत बड़ा था और भंयकर था। उस बालक को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी उत्पत्ति के बारे में पूछा। भगवान शिव ने पसीने से उत्पन्न होने के कारण उसे अपना पुत्र बताया। अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से उसका नाम अंधक रखा गया। कुछ समय बाद दैत्य हिरण्याक्ष के पुत्र प्राप्ति का वर मागंने पर भगवान शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में प्रदान कर दिया। अंधक असुरों के बीच ही पला बढ़ा और आगे चलकर असुरों का राजा बना। अंधक ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया था की वो तभी मरे जब वो यौन लालसा से अपनी माँ की और देखे। अंधक ने सोचा था की ऐसा कभी नहीं होगा क्योकि उसकी कोई माँ नहीं है। वरदान मिलने के बाद अंधक देवताओं को परास्त करके तीनो लोकों का राजा बन गया। फिर उसे लगा की अब उसके पास सब कुछ है इसलिए उसे शादी कर लेनी चाहिए। उसने तय किया की वो तीनो लोकों की सबसे सुन्दर स्त्री से शादी करेगा। जब उसने पता किया तो उसे पता चला की तीनो लोकों में पर्वतों की राजकुमारी पार्वती से सुन्दर कोई नहीं है। जिसने अपने पिता का वैभव त्याग कर शिव से शादी कर ली है। वो तुरंत पार्वती के पास गया और उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। पार्वती के मना करने पर वो उसे जबरदस्ती ले जाने लगा तो पार्वती ने शिव का आह्वान किया। पार्वती के आह्वान पर शिव वहां उपस्थित हुए और उसने अंधक को बताय की तुम पार्वती के ही पुत्र हो। ऐसा कहकर उन्होंने अंधक का वध कर दिया। विशेष : वामन पुराण में अंधक को शिव-पार्वती का पुत्र बताया गया है जिसका वध शिव करते है जबकि एक अन्य मतानुसार अंधक, कश्यप ऋषि और दिति का पुत्र था जिसका वध भगवन शिव ने किया था। ©N S Yadav GoldMine #City {Bolo Ji Radhey Radhey} शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक, इस तरह हुआ था जन्म :- एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच
#City {Bolo Ji Radhey Radhey} शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक, इस तरह हुआ था जन्म :- एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच #पौराणिककथा
read moreआयुष पंचोली
कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बार
जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बार #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch #dashavtaar
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