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Ritik gajbhe
White कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी. ©Ritik #sad_quotes कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी.
#sad_quotes कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी.
read moreGokul Ingale
White आपली दहा चांगली कामे लक्षात नाही राहणार पण एक काम नाही केले तर ते सदैव लक्षात ठेवणार . ©Gokul Ingale #Sad_Status आपली दहा चांगली कामे लक्षात नाही राहणार पण एक काम नाही केले तर ते सदैव लक्षात ठेवणार .
#Sad_Status आपली दहा चांगली कामे लक्षात नाही राहणार पण एक काम नाही केले तर ते सदैव लक्षात ठेवणार .
read moreroyal_shetkari
Unsplash नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा. ©royal_shetkari #snow नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा.
#snow नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा.
read moreroyal_shetkari
White नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणालाही दुःख नाहीं 🌱 ©royal_shetkari नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणा
नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणा
read moreनवनीत ठाकुर
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
read moreM.K Meet
दिल को पत्थर बनाने की कशमकश में हूं! के वह बार-बार तोड़े,और मुझे दर्द भी न हो . ©M.K Meet दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
read moreMotivation Nation
गमावलेलं परत मिळत नाही, पण मिळालेलं जपता येतं..! 💯❤️ जीवनात आता फक्त मिळवण्यावर भर द्या आणि जिथे हरलात, तिथे नवी ऊर्जा निर्माण करा. ✨
read moreMotivation Mystery
गमावलेलं परत मिळत नाही, पण मिळालेलं जपता येतं..! 💯❤️ जीवनात आता फक्त मिळवण्यावर भर द्या आणि जिथे हरलात, तिथे नवी ऊर्जा निर्माण करा. ✨
read moreनवनीत ठाकुर
White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी। मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे, हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी। हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही, अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
read moreनवनीत ठाकुर
White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
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