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बेजुबान शायर shivkumar
..........जिंदगी......... ये जिंदगी भी महज सांसों का खेल ही नही ये जिंदगी भी महज जीने का नाम ही नहीं जिंदगी तो एक वृहद सृष्टि का एक विस्तार है जिंदगी महज सीमित दृष्टि का ही नाम नही है जिंदगी आकाश है तो पताल भी है ये जिंदगी किसी के दायरे मे कभी कैद नही है ये जिंदगी भी मौसम की तरह ही रंग बदलती है ये जिंदगी भी तभी तो किसी उद्देश्य से बंधी है ये जिंदगी तु कुछ ऐसा कर की ये खत्म ही न हो ये जिंदगी भी किसी के देह जाने के बाद भी तो फलती है इस जिन्दगी मे हम आज भी हैं ,और कल भी रहेंगे ये जिंदगी तो इसी विश्वास का नाम तो है ©Shivkumar बेजुबान शायर #zindgi #Nojoto #nojotohindi #Nojotoindia ..........जिंदगी ......... ये जिंदगी भी महज #सांसों का खेल ही नही ये #जिंदगी भी महज जीने
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White ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- यह विश्व प्रपंच उन्हीं की माया से उनमें अध्यस्त हैं। यह कभी प्रतीत होता है, तो कभी नहीं। परन्तु उनकी दृष्टि ज्यों-की-त्यों – एक सी रहती है। वे इसके साक्षी हैं, और उन दोनों को ही देखते रहते है। वे सबके मूल हैं, और अपने मूल भी वही हैं, कोई दूसरा उनका कारण नहीं हैं। वे ही समस्त कार्य और कारणों से अतीत प्रभु मेरी रक्षा करें। ©N S Yadav GoldMine #love_shayari ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब
#love_shayari ॥इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} सब #भक्ति
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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: आश्रमवासिका पर्व पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये। 📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें। 📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ
#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ #मोटिवेशनल
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मां दुर्गा का पाँचवा सबरुप.... जय माँ स्कंदमाता जय माता दी.. है मां स्कंदमाता सब पर आपनी दया दृष्टि बनाए रखना... जय माता की.. ©Rameshkumar Mehra Mehra #navratri मां दुर्गा का पाँचवा सबरुप जय मां स्कंदमाता सब पर आपनी दृष्टि बनाए रखना....जय माता दा🙏🙏
#navratri मां दुर्गा का पाँचवा सबरुप जय मां स्कंदमाता सब पर आपनी दृष्टि बनाए रखना....जय माता दा🙏🙏
read moreSethi Ji
White 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 💞 मोहब्बत का परिंदा , मोहब्बत का ज़िंदा 💞 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 बेवफाई करने वाला कभी शर्मिंदा नहीं होता मोहब्बत निभाने वाला कभी ज़िंदा नहीं होता जो सोचता हैं अपना फायदा दूसरों के नुकसान में वोह कभी आसमान में उड़ने वाला परिंदा नहीं होता 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sethi Ji 🌹🌹 जय माता दी 🌹🌹 🌹🌹 जय राधेश्याम 🌹🌹 आप सबको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें माता रानी आप सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखे
🌹🌹 जय माता दी 🌹🌹 🌹🌹 जय राधेश्याम 🌹🌹 आप सबको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें माता रानी आप सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखे
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