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gauranshi chauhan
sudheer_sitapuri07
वो पेड़ पौधें और वो मेरे गांव, शहर मे तो जलते है मेरे पांव। शहर ने तरक्की मे काटे पेड़ पौधें, इस कड़कती धूप मे ढूडते है छांव।। वो मेरे गांव..... 😔😔 ©sudheer_sitapuri07 #sad_shayari Satyaprem Upadhyay Rakhi Singh Jeevan gamerz Tsbist Mohit Sharma
#sad_shayari Satyaprem Upadhyay Rakhi Singh Jeevan gamerz Tsbist Mohit Sharma #शायरी
read moresiddhartha singh
some lines.....Varsha Internet Jockey ✍️ Mohit Merotha SEJU Mukesh Poonia #Motivational
read moreAD Grk
White वो मोहब्बत पाना चाहता हूँ जो इस धरती पे है नही.. आजतक इसलिए मैंने मुझे तुमसे मोहब्बत है.. किसी लड़की से ये line बोली ही नही. 😜😜😜😜😜 ©AD Grk #City #nojotoADGrk Roop Golan Madhu dayal Himaani KK क्षत्राणी Mohit Gupta
#City #NojotoADGrk Roop Golan Madhu dayal Himaani KK क्षत्राणी Mohit Gupta #Life
read moreJashvant
White एक वा'दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वर्ना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं जी में आता है उलट दें उन के चेहरे से नक़ाब हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं शम्अ जिस की आबरू पर जान दे दे झूम कर वो पतिंगा जल तो जाता है फ़ना होता नहीं अब तो मुद्दत से रह-ओ-रस्म-ए-नज़ारा बंद है अब तो उन का तूर पर भी सामना होता नहीं हर शनावर को नहीं मिलता तलातुम से ख़िराज हर सफ़ीने का मुहाफ़िज़ नाख़ुदा होता नहीं हर भिकारी पा नहीं सकता मक़ाम-ए-ख़्वाजगी हर कस-ओ-ना-कस को तेरा ग़म अता होता नहीं हाए ये बेगानगी अपनी नहीं मुझ को ख़बर हाए ये आलम कि तू दिल से जुदा होता नहीं बारहा देखा है 'साग़र' रहगुज़ार-ए-इश्क़ में कारवाँ के साथ अक्सर रहनुमा होता नहीं ©Jashvant एक वायदा Ek Alfaaz Shayri ज़हर Lalit Saxena Arun Raina Niranthara Publication
एक वायदा Ek Alfaaz Shayri ज़हर Lalit Saxena Arun Raina Niranthara Publication #Life
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सब के लिए ना-पसंदीदा उड़ती मक्खी कितनी आज़ादी से मेरे मुँह और मेरे हाथों पर बैठती है और इस रोज़-मर्रा से आज़ाद है जिस में मैं क़ैद हूँ मैं तो सुब्ह को घर भर की ख़ाक समेटती जाती हूँ और मेरा चेहरा ख़ाक पहनता जाता है दोपहर को धूप और चूल्हे की आग ये दोनों मिल कर वार करती हैं गर्दन पे छुरी और अँगारा आँखें ये मेरा शाम का रोज़-मर्रा है रात भर शौहर की ख़्वाहिश की मशक़्क़त मेरी नींद है मेरा अंदर तुम्हारा ज़हर हर तीन महीने ब'अद निकाल फेंकता है तुम बाप नहीं बन सके मेरा भी जी नहीं करता कि तुम मेरे बच्चे के बाप बनो मिरा बदन मेरी ख़्वाहिश का एहतिराम करता है मैं अपने नीलो नील बदन से प्यार करती हूँ मगर मुझे मक्खी जितनी आज़ादी भी तुम कहाँ दे सकोगे तुम ने औरत को मक्खी बना कर बोतल में बंद करना सीखा है ©Jashvant कैद में रक्स Ravina jpr. Anjali Sharma Arun Raina –Varsha Shukla Nandani patel
कैद में रक्स Ravina jpr. Anjali Sharma Arun Raina –Varsha Shukla Nandani patel #Life
read moreJashvant
Life Like हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का निहायत ग़म है इस क़तरे को दरिया की जुदाई का असीर ऐ दोस्त तेरे आशिक़ ओ माशूक़ दोनों हैं गिरफ़्तार आहनी ज़ंजीर का ये वो तिलाई का त'अल्लुक़ रूह से मुझ को जसद का ना-गवारा है ज़माने में चलन है चार दिन की आश्नाई का फ़िराक़-ए-यार में मर मर के आख़िर ज़िंदगानी के रहा सदमा हमेशा रूह ओ क़ालिब की जुदाई का हुई मंज़ूर मुहताजी न तुझ को अपनी साइल की बनाया कासा-ए-सर वाज़गूँ कासा गदाई का नज़र आती हैं हर-सू सूरतें ही सूरतें मुझ को कोई आईना-ख़ाना कार-ख़ाना है जुदाई का विसाल-ए-यार का वा'दा है फ़र्दा-ए-क़यामत पर यक़ीं मुझ को नहीं है गोर तक अपनी रसाई का भरोसा आह पर हरगिज़ नहीं ऐ यार आशिक़ को शिकार अब तक कहीं देखा नहीं तीर-ए-हवाई का दिखाया हुस्न से एजाज़-ए-मूसी किल्क-ए-क़ुदरत ने यद-ए-बैज़ा बनाया चूर अंगुश्त-ए-हिनाई का नहीं मिटती है पत्थर की लकीर अहबाब कहते हैं रहेगा पा-ए-बुत पर नक़्श अपनी जब्हा-साई का शिकस्त-ए-ख़ातिर-ए-अहबाब होती है दुरुस्त इस से तवज्जोह में तिरी ऐ यार असर है मोम्याई का दिल अपना आईना सा साफ़ इश्क़-ए-पाक रखता है तमाशा देखता है हुस्न इस में ख़ुद-नुमाई का कफ़-ए-अफ़्सोस मलवाती है तेरी पाक-दामानी पिन्हा कर शाहिद-ए-इस्मत को जामा पारसाई का नहीं देखा है लेकिन तुझ को पहचाना है 'आतिश' ने बजा है ऐ सनम जो तुझ को दावा है ख़ुदाई का ©Jashvant Gazal Raj Guru Arun Raina ADV.काव्या मझधार Jaimal Singh Rajput Mahira Khan. shayri lover
Gazal Raj Guru Arun Raina ADV.काव्या मझधार Jaimal Singh Rajput Mahira Khan. shayri lover #Life
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