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Dharmendra Gopatwar
🕉️ शिवस्तुति 🔱: ब्रह्माण्ड के स्वामी 🕉️ _आदि कण में चेतन मन_ अंध:कार से हों चमत्कारिक ऊर्जा ; जिनमें हो चमक अफाट ऐसे ।ओमकार स्वरुप:। शून्य से संसार उत्पत्ति का कारक ; विशाल ब्रह्माण्ड के स्वामी ।दिगम्बर। जिनकी नाट्य कंपन से ; गति प्राप्त कर सूरज घूमे प्रचंड वेग से ब्रह्माण्ड के निर्मिती का कारक ।परमात्मा। नाट्य करे ब्रह्मांड रचेता ; डमरू की ध्वनि ब्रह्माण्ड में नाद करे ; ऐसे रौद्र रुप ब्रह्मांड के स्वामी का ।नटराज। पृथ्वी चंद्रमा और अन्य ग्रहों तारों की उत्पत्ति ; जिनके डमरू के धुन से हुआ हो माथे जिनके विराजे चंद्रमा ; ऐसे नाथ ।सोमनाथ। जिनके आज्ञा मात्र से... ओम् की धुन पर ; अनंत काल से पृथ्वी समेत नवग्रह सूरज के चारों ओर ; प्रदक्षिणा कर रहे हो ; ब्रह्माण्ड रचयिता ।महेश्वर:। ब्रह्मांड में आदि चेतना ; पृथ्वी पर आदिपुरुष सृष्टि रचयिता ।आदिदेव। प्रचण्ड चमक से भरा ; ब्रह्माण्ड के स्वामी का विशाल रूप करोड़ों वर्ष तपस्या किया जिन्होंने ; संसार जिन्हें कहे ।अदियोगी। जिनके नाममात्र से शंख स्वयं नाद करे ; कहे ।शंभो। तीनों लोकों में जिनके गुण गाए जाते हों ऐसे प्रभु ।त्रैलोकेश। त्रैनैत्रधारी गले पर जिनके सर्प खेले ; हाथ लिए त्रिशूल ऐसे विशाल भुजाओं वाले ।महादेव। राक्षसों के संहारक संसार के रक्षक : ।महाकाल। विष को झेल पाने का हो सामर्थ्य जिनमे मुख नीला ।नीलकंठ। जिनके जठाओ में पवित्र मां गंगा हो विराजमान रुद्राक्ष धारी नंदी हो जिनकी सवारी ; कैलाश विराजे ।गंगाधर। ड़मरू के धुन पर समस्त आकाशगंगा को नचाए कण कण में समाए हुए : जगतद्व्यापी । अनंत ब्रह्माण्ड के स्वामी । । परमपिता परमेश्वर । । सदाशिव शंकर । । नमन: ... महादेव हर हर । _________________________________📖 रचना ..✍️📿ध. वि. गोपतवार🔖 ©Dharmendra Gopatwar #ब्रह्माण्डकेस्वामी
Arora PR
कहने को तों खुदा ने पूरा ब्रह्माण्ड मेरे हाथों मे सौंप दीया था. पर ब्रह्माण्ड के उस ओर क्या क्या है मुझे उसने कभी बताया नहीं था खुशियाँ शायद भूल गई थीं मेरे घर क़ी गली ये भी क्या इत्तीफाक रहा कि आज वो आई भी थीं पर घर मे मै मौजूद नहीं था ©Arora PR मालकियत ब्रह्माड क़ी
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
मुझे है,काम ईश्वर से, जगत रूठे तो रूठन दे मुझे है,काम ईश्वर से, जगत रूठे तो रूठन दे | कुटुम्ब परिवार सुत दारा, माल धन लाज लोकन की | हरि के भजन करने से, अगर छूटे तो छूटन दे || (१) बैठ संगत में संतन की, करूँ कल्याण में अपना | लोग दुनिया के भोगों में, मौज लूटे तो लूटन दे || (२) प्रभु का ध्यान धरने की, लगी दिल में लगन मेरे | प्रीत संसार-विषयों से, अगर टूटे तो टूटन दे ||(३) धरी सिर पाप की मटकी, मेरे गुरुदेव ने झटकी | वो "ब्रह्मानंद" ने पटकी, अगर फूटे तो फूटन दे ||(४) भजन by ब्रह्मानंद
R K Mishra " सूर्य "
ब्रह्मास्त्र संबंधों का निर्वहन मुख्य रूप से तीन विंदुओ से हो कर गुजरता है क्रिया , अंतरक्रिया, प्रतिक्रिया इन तीनों का उचित ,अनुचित प्रयोग से रिश्ता बनता बिगड़ता है ©R K Mishra " सूर्य " #ब्रह्मास्त्र
R K Mishra " सूर्य "
ब्रह्मास्त्र "जिसे बरामदे में बैठाना है उसे बेडरूम में मत बैठाओ और जिसे बेडरूम में बैठाना है उसे बरामदे में मत बैठाओ (दोनो में खतरा है) चाहे वो घर रूपी मंदिर का बरामदा , बेडरूम हो या शरीर रूपी मंदिर का " ©R K Mishra " सूर्य " ब्रह्मास्त्र