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- Arun Aarya
Autumn एक दुनियाँ में सबकी दुनियाँ अलग अलग है , मग़र मिलती - जुलती लगभग - लगभग है ! कहाँ तक भागोगे तुम अपनी जिम्मेदारी से ,, "आर्या " मिलना-जुलना तो सबको इसी जग में है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #autumn #जग में है
Himanshu Prajapati
White खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! ©Himanshu Prajapati #Couple खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! #36gyan #hpstrange
#Couple खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! #36gyan #hpstrange
read moreKiran Chaudhary
White कश्मकश में है जिंदगी, जीत से दामन छूटा-छूटा सा है, और हार मुझे मंजूर नहीं।। ©Kiran Chaudhary कश्मकश में है जिंदगी..
कश्मकश में है जिंदगी..
read moreF M POETRY
White मैं तो हैरत में हूँ किसको देखूँ.. चाँद बादल में है छत पर भी है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #चाँद बादल में है....
#चाँद बादल में है....
read moreगुरु देव[Alone Shayar]
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset Hey 👋 frd how's you today 👋 ©गुरु देव[Alone Shayar] #SunSet शायरी हिंदी में शायरी दर्द Sanju Slathia संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु Vikram vicky 3.0 Neel KK क्षत्राणी
#SunSet शायरी हिंदी में शायरी दर्द Sanju Slathia संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु Vikram vicky 3.0 Neel KK क्षत्राणी
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
आज हिन्दी अनुवाद का उच्चारण करना भूल गई😔 रचना अपलोड होने के बाद याद आया पता नहीं सब उल्टा पुल्टा हो रहा है,😔 हमारी वास्तविक आवाज भाषा शैली
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक मन बाॅंवरा विधा मन के विचार भाव वास्तविक अस्तु नभो यत्र तरुस्य हृदयपक्षिणः निवसन्
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक विचित्रः प्रतिद्वन्द्वी . . विधा गहन विचार भाव वास्तविक
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