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Sonali Ghosh
Autumn आसक्ति से मुक्ति इस जीवन के खेल से अलग आज सौंदर्य में है सबका ध्यान जानत है बुढ़ापे की ओर चले मिटाने प्राण प्रतिस्पर्धा पहचान। ये तो मोह माया का खेल है परम सत्य से है हम विचलित रूप धन की महिमा हलाहल है परमात्मा में ही अमृत सा शांति हित। हसी में छुपी है प्राचीन गहराई विनोद से है सम्पूर्ण सत्कार संसार की मोह माया से परे निःसंगता में ही है उपकार। ©Sonali Ghosh #autumn
अनिल कसेर "उजाला"
Autumn कोई नहीं ..कोई नहीं कोई नहीं हैं अपने फिर भी सजाये हुए हैं सपने हँसना जानू न मैं रोना दिल का है खाली हर इक कोना मिलने की चाहत न बिछुड़ने के डर बस चलते जाना चाहे हो कोई डगर कोई नहीं ...कोई नहीं कोई नहीं हैं अपने ©अनिल कसेर "उजाला" #autumn
Mili
Autumn शब्द यूं ही नहीं होते कभी प्यार से छू जाते हैं कभी घायल कर जाते है कड़वे शब्द तीर के जैसे होते हैं वहीं किसी के प्यार भरे शब्द सावन की पहली बारिश जैसे होते हैं जो अंतर्मन तक को भीगो जाते हैं...♥️♥️ ©मिली #autumn #rainbowglimpse #Nojoto
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read moreAdv Rudra varshney
Autumn उसे राम मंदिर सा चाहा हमनें वो अयोध्या वालों सा बेवफ़ा निकला..!! ©Adv Rudra varshney #autumn उसे राम मंदिर सा चाहा हमनें वो #अयोध्या वालों सा बेवफ़ा निकला..!! #new #viarl #thought #Poetry #alone #bjp #varshneyrudra #Life
Mr. Eram
Autumn تیری انکھوں کا نظارہ کرنا ہے مجھے رفتہ رفتہ دل میں اترنا ہے مجھے یہ سفر کتنا طویل ہے معلوم نہیں پر ایک دن تجھ سے اغاز کرنا ہے مجھے نواز . ©Mr. Eram #autumn
Sanjana Hada
Autumn प्रेम.... कितना अद्भुत शब्द है ना ये प्रेम _ जब - जब भी ये शब्द सुना या कहा जाता है, सब के मन में एक ही छवि बनती है प्रेमी और प्रेमिका की.. क्योंकि शायद इससे आगे हमने प्रेम को जाना ही नहीं वो कहते हैं ना जो दिखता है वही बिकता है.. तो शायद मुझे लगता है जो वर्तमान परिस्थितियों वाला प्रेम है वो बहुत ही तुच्छ है, जिसमें केवल आवश्यकता की पूर्ति मात्र है भावनाओं की संतुष्टि नहीं.. एहसासों का अनंत सागर नहीं अन्तर्मन परिशुद्ध नहीं.. मर्यादाओं की कोई सिमा नहीं खैर बात अगर प्रेम की है तो श्रीकृष्ण को कोई कहता कि प्रेम पर लिखिए तो शायद वो लिखते अपनी बांसुरी पर , सुदामा के चरित्र पर, श्रीराम लिखते अपनी अयोध्या पर , हनुमान जी लिखते श्री राम पर शिवजी लिखते वाराणसी पर , ठुकराई हुई हर वस्तु पर एक देशभक्त लिखता भारत की दुर्दशा पर.. प्रेम कितना सिमित लगता है जबकि ये तो असिमित है, प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण मां जो बच्चों को अपने खुन से सिंचित करती है 9 महिने तक हर पीड़ा को सहकर सबसे बड़ा सुख पाती है प्रेम क्षण - क्षण में हैं प्रेम प्रकृति के कण - कण में है, सही मायने में अगर इस संसार में किसी से निःस्वार्थ भाव से प्रेम किया जा सकता है तो वो है सिर्फ प्रकृति,धरा क्योंकि सिर्फ यही है जो हर प्रकार से श्रृंगारित कर रही है... प्रकृति प्रेमी...🌺🌿🌴☘️ ©Sanjana Hada #autumn
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
Autumn तख़्त पर बैठे हुओं को, तख़्त का अभिमान है। उन सभी को क्या पता ये, चंद दिन की शान है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #autumn #कविता_संगम
Narendra kumar
Autumn उर्वशी का अभिशाप। अभिशाप भी आर्शीवाद बन गया। भविष्य में आया काम,काम बन गया। विश्वास टुटा ,दिल टुटा , मन पर पड़ा आघात। मनोकामना उर्वशी का पूर्ण न हुआ तो, अर्जुन को दी अभिशाप। अर्जुन व्यथित, दुखित हुआ। दोष ढुढने का किया प्रयास। प्रयास विफल हुआ ,मन विकल हुआ। आंखों के आगे प्रकाश निष्फल हुआ। अर्जुन कुछ समझ न पाया। कहां हुआ हमसे पाप ,सहज न पाया। किस कर्म तृटि के कारण, मिला ऐसा अभिशाप। सोच- सोच कर अर्जुन हार गया। स्वीकार किया,शिश हार किया। अभिशाप को ही आर्शीवाद समझा। मिला कर्म का प्रसाद समझा। मन ही मन विचार रहा था। कुछ अच्छा ही होगा , सब स्वीकार रहा था। शिश झुकाकर किया प्रणाम, अलविदा कहा ,कहा प्रणाम। ©Narendra kumar #autumn
Mr. Eram
Autumn جو انسوں بھی ان انکھوں سے رواں ہے میرے جذبات کا وہ ہم زباں ہے عرش صہبائی . ©Mr. Eram #autumn.
Narendra kumar
Autumn दशरथ खुश थे दो वचन देके। प्राणों से प्यारी कैकेई को प्रण देके। कहां पता था राम देना होगा। प्रण के बदले प्राण देना होगा। पता होता तो ये धर्म न करते। चाहे कितना भी पूण्य मिलें ये कर्म न करते। होनी अटल है टल नहीं सकता है। जो होना है होगा, वो बदल नहीं सकता है। होना था इसी कारण वचन का परीक्षा। करना था पूर्ण राम का ईच्छा। देवताओं ने भी जोर लगा रखा था। महलों से हो बाहर राम शोर मचा रखा था। हो राम का वनवास आरंभ। दुष्टों का हो विनाश आरंभ। संत जनों का, संताप मिटे। भक्तों का हो रक्षा, धरा से पाप मिटे। ©Narendra kumar #autumn