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Aditi mannulalji Agrawal
इंसान के स्वभाव में भक्ति होती है इंसान भगवान की भक्ति भी करता है इंसान इंसान की भक्ति भी करता है इंसान अपनी लालसाओं की भी भक्ति करता है इंसान अपनी वासनाओं की भी भक्ति करता है इंसान तकरीबन हर उस चीज़ की भक्ति करता है जिसका या तो उसे लालच होता है या डर। बातें अधिपत्य की करता है पर दरअसल अपनी अधीनता से अनजान है। - अदिती कपीश अग्रवाल लालसा की ,वासना की भक्ति तामसी लोग करते है। भगवान की भक्ति सतोगुणी करते है। व्यक्ति की भक्ति रजोगुणी करते है। #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqa
Shravan Goud
भूतप्रेत, तांत्रिक विद्या तमो गुणी पर ज्यादा असर करती है रजोगुणी पर बहुत कम और सतोगुणी पर बिल्कुल नहीं। अब आप ही निर्णय कीजिए कि आपको कैसे रहना है। भूतप्रेत, तांत्रिक विद्या तमो गुणी पर ज्यादा असर करती है रजोगुणी पर बहुत कम और सतोगुणी पर बिल्कुल नहीं। अब आप ही निर्णय कीजिए कि आपको कैसे र
KRISHNADEV BHAGAT
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey. 🎇 ब्रह्माजी ने कहा- महाभाग्यशाली श्रेष्ठ महर्षियों! अब मैं तुम लोगों से रजो गुण के स्वरूप और उसके कार्य भूत गुणों का यथार्थ वर्णन करूँगा। 🎇 ध्यान देकर सुनो संताप, रूप, आयास, सुख दु:ख, सर्दी, गर्मी, ऐश्वर्य, विग्रह, सन्धि, हेतुवाद, मन का प्रसन्न न रहना, सहनशक्ति, बल, शूरता, मद, रोष, व्यायाम, कलह, ईर्ष्या, इच्छा, चुगली खाना, युद्ध करना, ममता, कुटुम्ब का पालन, वध, बन्धन, क्लेश, क्रय-विक्रय, छेदन, भेदन और विदारण का प्रयत्न, दूसरों के मर्म को विदीर्ण कर डालने की चेष्टा, उग्रता, निष्ठुरता, चिल्लाना, दूसरों के छिद्र बताना, 🎇 लौकिक बातों की चिन्ता करना, पश्चात्ताप, मत्सरता, नाना प्रकार के सांसारिक भावों से भावित होना, असत्य भाषण, मिथ्या दान, संशयपूर्ण विचार, तिरस्कार पूर्वक बोलना, निन्दा, स्तुति, प्रशंसा, प्रताप, बलात्कार, स्वार्थ बुद्धि से रोगी की परिचर्या और बड़ों की शुश्रूषा एवं सेवावृत्ति, तृष्णा, दूसरों के आश्रित रहना, व्यवहार कुशलता, नीति, प्रमाद (अपव्यय), परिवाद और परिग्रह ये सभी रजोगुण के कार्य हैं। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey. 🎇 ब्रह्माजी ने कहा- महाभाग्यशाली श्रेष्ठ महर्षियों! अब मैं तुम लोगों से रजो गुण के स्वरूप और उसके कार्य भूत गुणों का
Madhav Jha
वैराज्ञात्प्रकृतिलयः संसारो भवति राजसाद्रागात् । ऐश्वर्यादविघातो विपर्ययात्तद्विपर्यासः ।। 45 ।। It directly means : From dispassion results absorption into Prakriti; from the passion of Rajas results transmigration; from power results unimpediment and from the reverse results the contrary. 【◆●SEE CAPTION●◆】 Those who are free from but are ignorant of the true nature of Purusha(पुरुष), become absorbed in prakriti(प्रकृति). Here Prakriti includes
Divyanshu Pathak
आ पास तेरा दीदार करूँ दिल में रखलूँ तुझे प्यार करूँ ! Good morning ji 💕☕☕☕🍉🍉🍫🍫😄😋🙏🙏🙏☘🍉🍉🍫💕💕🍨👨🍀🍀🍎 हर व्यक्ति चार स्तर पर जीवन जीता है। ये स्तर हैं—शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा। व्यवहार में इनको अलग-अल
Divyanshu Pathak
अपनी अदाओं के तिलिस्म को समेट ले यारा अपने हुश्न ओ शबाब की जादूगरी तू मुझपे न चला ! तू मुझे बर्फ़ सी ठंडी आग लगती है पिघल जाएगी मुझे शबनम ही बना रहने दे हवाएं देकर इसे शोला न बना ! :💕👨🍀🌱☕☕☕🙋🙋🍫💕💕🍧🍨🍨🍨☕☕☕☕ Good morning ji ! : बन दीया मैं अंधेरा निगल जाऊंगा यू मुझे तू चाहत की शमां न बना ! मैं मोहब्बत की रोशनी को शाथ लिए चलत
Divyanshu Pathak
7. देवी कालरात्रि और संख्या - 3 पर मेरा मत ----- नवदुर्गाओं के 9 रूपों में से 6 रूपों को क्रमशः 9- अंक से लेकर 4 अंकों तक जीवन, पोषण, संसार के कौतूहल, ब्रह्माण्ड की रचना, प्रकृति की माँ और प्रेम के साकार स्वरूप कात्यायनी के बारे में बात की। आज 7 वां दिन माँ कालरात्रि का है। मेरा अपना मनना है कि उनके नाम से ही मालूम होता है कि वे समय की रचना से पूर्व की दुनिया हैं।हम उसे प्रलय काल भी कह सकते हैं। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से पूर्व सम्पूर्ण सृष्टि अंधकार मय ही तो होती है। उसी अंधकार का नाम कालरात्रि है। वे 3 आँखों वाली देवी हैं।ये 3 आँखें संसार के तीन गुण हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। इन तीन गुणों से ही त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। वैदिककाल के ऋषियों ने त्रैतवाद से संसार की व्याख्या की। त्रैतवाद के अनुसार दुनिया 3 के योग से बनी। वे परमात्मा, प्रकृति और जीवात्मा के रूप में दुनिया का अस्तित्व मानते हैं। समय के भी 3 भाग (भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्यकाल) हैं। आओ देवी कालरात्रि के दर्शन करने के लिए कैप्शन पढ़ें--- 7. देवी कालरात्रि और संख्या - 3 पर मेरा मत ----- नवदुर्गाओं के 9 रूपों में से 6 रूपों को क्रमशः 9- अंक से लेकर 4 अंकों तक जीवन, पोषण, संसार