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Rabindra Kumar Ram

" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ." #Shayari

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" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , 
चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , 
मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा ,
इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ." 

                            --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , 
चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , 
मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा ,
इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ."

Rabindra Kumar Ram

" यूं रातों का जागना कमाल का हैं , उसके बेखुदी का कुछ अंदाजा हो चला हैं , फुरकते हायात जाहिर हैं अपना , जाने कितनों को इस हाल में छोड़ा है त #शायरी

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" यूं रातों का जागना कमाल का हैं ,
उसके बेखुदी का कुछ अंदाजा हो चला हैं ,
फुरकते हायात जाहिर हैं अपना ,
जाने कितनों को इस हाल में छोड़ा है तुमने . " 

                 --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " यूं रातों का जागना कमाल का हैं ,
उसके बेखुदी का कुछ अंदाजा हो चला हैं ,
फुरकते हायात जाहिर हैं अपना ,
जाने कितनों को इस हाल में छोड़ा है त

Rabindra Kumar Ram

" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ."

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" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , 
चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , 
मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा ,
इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ." 

                            --- रबिन्द्र राम— % & " बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना‌ , 
चुप क्यों हो ज़बाब दो‌ ना , 
मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा ,
इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ."

Sonu Delhi

आज फिर बेखुदी का आलम है आज फिर खुद से बेखुद है हम ये तो खुदा का रहम है कि अबतक चमन में है हम तू चाहे कितना भी कर ले सितम क्या फर्क पड़ता है

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आज फिर बेखुदी का आलम है
आज फिर खुद से बेखुद है हम
ये तो खुदा का रहम है कि
अबतक चमन में है हम
तू चाहे कितना भी कर ले सितम 
क्या फर्क पड़ता है

Sunita Bishnolia

ये आलम बेखुदी का है रात रोकर बिताई हैं, हमारे प्यार की बातें सबको गाकर बताई है, रात भर याद में तेरी सजाए साज सरगम के आधी गाकर बिताई है आधी #Hindi

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ये आलम बेखुदी का है रात रोकर बिताई हैं, 
हमारे प्यार की बातें सबको गाकर बताई है, 
रात भर याद में तेरी सजाए साज सरगम के
आधी गाकर बिताई है आधी रोकर बिताई है। 
सुनीता बिश्नोलिया ©®


 ये आलम बेखुदी का है रात रोकर बिताई हैं, 
हमारे प्यार की बातें सबको गाकर बताई है, 
रात भर याद में तेरी सजाए साज सरगम के
आधी गाकर बिताई है आधी

Odysseus

अभी मत रोक ऐ साक़ी ये गम की रात ढलने दे ये पैमाना छलकने दे ये टूटा दिल बहलने दे पिला दे और थोड़ी सी अभी तो होश है बाक़ी दुआओं में तुझे हरदम #Song #HeartBreak

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है| हमने लबों पे मुस्कुर #Life_experience

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खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है,
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|

मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम,
तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

धुऐं से चुभते हैं मरासिम खोकले,
बेबस आंखें रात भर बहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

इल्म होता मेरी बेखुदी का उसे,
क्यों ज़रूरी हर बात कहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

बयां ना कर खलिश ‘,
दुनिया जो है वही रहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

MADMAN खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है,
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|

मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम,
तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुर

Odysseus

तुमने नज़रों से ये क्या पिलाया हमें क्यों हमारे कदम लड़खड़ाने लगे तुम्ही दे दो सहारा, संभालो हमें देखो हम होश अपने गंवाने लगे मैकदे का कभ #Song #Love #romance #Qawali

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मु

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हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|


खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है,
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|

मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम,
तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

धुऐं से चुभते हैं मरासिम खोकले,
बेबस आंखें रात भर बहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

इल्म होता मेरी बेखुदी का उसे,
क्यों ज़रूरी हर बात कहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

बयां ना कर खलिश ‘अंकुर’,
दुनिया जो है वही रहनी है|
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है…

Madman हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|


खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है,
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है|

मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम,
तकलीफ मेरी मु

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

मैं कब का जा चूका हूँ मुझे आवाज़ ना दे, इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे| कोई भी सिरा खुला ना छोड़ फ़साने का, अंजाम की शक्ल में मुझे आगाज़ ना #Life_experience

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मैं कब का जा चूका हूँ मुझे आवाज़ ना दे,
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे|

कोई भी सिरा खुला ना छोड़ फ़साने का,
अंजाम की शक्ल में मुझे आगाज़ ना दे|
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे…

मुझे गवारा हो गयी तुम्हारी ख़ामोशी,
सवाल को सवाल रहने दे अब जवाब ना दे|
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे…

इतना सब्र कहाँ से मिला तुझे हमनफस,
उम्र भर पूछता रहा भले कोई जवाब ना दे|
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे…

अपनी तनहाई से भी क्या पर्दा ‘अंकुर,
इस सूनेपन को बेखुदी का नकाब ना दे|
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे…


     अंकुर की अनकही रचना। मैं कब का जा चूका हूँ मुझे आवाज़ ना दे,
इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे|

कोई भी सिरा खुला ना छोड़ फ़साने का,
अंजाम की शक्ल में मुझे आगाज़ ना
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