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Vandana Rana
White धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब जान रहे हैं.....कि कहां हमें वर्षा जल सा है बरसना, और कहां पतझड़ में शाखाओं सा गिरना! ©Vandana Rana धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब जान रहे हैं........कि कहां हमें वर्षा जल सा है बरसना, और कहां पतझड़ में शाखाओं सा गिरना!
रणजीत राही देवास
Black आप मेरे प्यार में मुसलाधार वर्षा हो जाओ, मैं भी तुम्हारी मुहब्बत में अभिषेक हो जाऊं! ©रणजीत राही देवास #Thinking #वर्षा #अभिषेक #कविता #शायरी
Sudha Tripathi
White आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।। न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम। नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।। दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान। चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।। जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो दम्भ । सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।। *सुधा त्रिपाठी* ©Sudha Tripathi #ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो
Ravendra
Hisamuddeen Khan 'hisam'
11/04/2024 प्रेम वर्षा की प्रतीक्षा में हूं मैं, मेरे घर आए अहसास के बादल। तुम लिए हुए छतरी क्यों खड़ी हो, आओ छंट जाने दो सन्यास के बादल। नितांत अकेला मैं विरह के जंगल में, शांत मगर उद्विग्न कोई विघ्न मंगल में। तुम्हारी राह पर क्या कोई मुश्किल है, तुम्हारी आहट दे रहे मुझे विश्वास के बादल। जन्मों की वेदना छेदती हैं हृदय को मेरे, अंतरिक्ष में गूंजते हैं मंत्र आत्माओं के फेरे। उपहास करते हैं मेरा ये धरती ये गगन, सांसे रोक न लें कहीं 'हिसाम' ये श्वांस के बादल। ©Hisamuddeen Khan 'hisam' प्रेम वर्षा की प्रतीक्षा..... हिसाम #प्रेम #Love #Nojoto #Poetry #poetrywithhisamuddeenkhanhisam #MountainPeak Sethi Ji Jagsir Singh अज्ञात
Ravendra
राजकारण
सोलापुरातील तीन वरिष्ठ पोलीस निरीक्षकांच्या बदल्या ©राजकारण सोलापूर : राज्याच्या पोलिस महासंचालकांनी १२९ पोलिस निरीक्षकांसह तब्बल २१२ उपनिरीक्षकांच्या बदल्यांचे आदेश काढले आहेत. त्यात सोलापूर शहरातील
Ravendra
bhim ka लाडला official