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Shahab
मुल्क में सरकारी अस्पताल का मतलब है जान से हाथ धोना और प्राइवेट अस्पताल का मतलब है ज़ायदाद से हाथ धोना इसीलिए घर पर ही हाथ धोते रहे और दोनों जगह से बचें रहें !! ©Shahab #अस्पताल
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
बिमारी मिली नहीं और इलाज चल रहां हैं... अस्पताल में लाशो का रिवाज़ चल रहा हैं..। अस्पताल
sanjay Chaudhary
हम अस्पताल के लिए लड़े ही कब थे, हम तो मंदिर मस्जिद के लिए लड़े थे। जो आज बंद है, अस्पतालों के लिए लड़ते तो आज तस्वीर शायद कुछ और होती। हम यह नहीं कह रहें हैं, की मंदिर मस्जिद न बनाएं, हमारे कहने का यह अर्थ है की जिस तरह हम लोग सबसे बड़ा मंदिर मस्जिद के लिए सरकार से लड़ते हैं। उसी तरह हम अपने गांव शहर में बड़े अस्पतालों के लिए भी सरकार से लड़े। ©Sanjay chaudhary अस्पताल
Sabir Khan
अक्सर हम जिन शासकीय अस्पतालों में जाकर इलाज नहीं कराते, देश आज उन्हीं शासकीय अस्पतालों में सुरक्षित है। #कोरोना अस्पताल
मोहन लाल सींवर
जब अस्पताल में रहना होता है। जज्बात,आंसुओं को कहना होता है। डाॅ. खुदाई लिबास पहना होता है। सत्कर्म खुदा को सहना होता है।। OT में,मरीज संग डॉ.जब होते हैं। परिवारजन देवता को,सब ढोते हैं। बहते आंसू को बाहर,कब रोते हैं? हो सफल शल्य,अर्द्ध तब सोते हैं।। उच्च लाभ लेने जब,रेफर होते है। एंबुलेंस में सांस,फर फर होते है। सुन सायरन आवाज,थर थर होते हैं। पहुंचते ठिकाने तब,मनभर होते हैं।। वेंटीलेटर के अंक,ऊपर नीचे चलते है। परिजनों के सांस_तार नीचे ढलते है। O2,पल्स रेट,Bp अपना नृत्य करते हैं। देख निगाहों से,गम भाव सब भरते हैं।। कैथेटर से,तरल पदार्थ पिलाते हैं। गटके बूंद तब,मन मन हर्षाते हैं। इनपुट_आउटपुट रोज मिलाते हैं। देख उन्हें डॉ. दिलाशा दिलाते हैं।। जब मरीज,हलचल पैदा करता है। तब वह,पुनर्जन्म सा भाव भरता है। आंखों से लगे देखने,तब गम हरता है। अस्पताल का जीवन,चक्र सा चलता है।। कल्चर रिपोर्ट इन्फेक्शन जताती है। खुशी सारी तब,गम में बदल जाती है। तब एंटीबायोटिक,असर दिखाती है। लैब रिपोर्ट, तरह तरह से नचाती है।। NK गोरा,नरेंद्र जी जैसे चिकित्सक। लगता है,जैसे ये भगवान हैं बेशक। मरीज सेवा हेतु तत्पर रहते,देर तक। खुदा उनपर मेहरबान रहे,जीने तक।। भाई जिसने,बचपन में मुझे गोद उठाया। घुमाया,फिराया,पढ़ाया,सिर सहलाया। ऋण से उऋण होना,असमय वक्त आया। भरेंगे किलकारी दोनों,भरोसा मुझे आया।। मोहन लाल सींवर ©मोहन लाल सींवर अस्पताल का जीवन
मोहन लाल सींवर
जब अस्पताल में रहना होता है। जज्बात,आंसुओं को कहना होता है। डाॅ. खुदाई लिबास पहना होता है। सत्कर्म खुदा को सहना होता है।। OT में,मरीज संग डॉ.जब होते हैं। परिवारजन देवता को,सब ढोते हैं। बहते आंसू को बाहर,कब रोते हैं? हो सफल शल्य,अर्द्ध तब सोते हैं।। उच्च लाभ लेने जब,रेफर होते है। एंबुलेंस में सांस,फर फर होते है। सुन सायरन आवाज,थर थर होते हैं। पहुंचते ठिकाने तब,मनभर होते हैं।। वेंटीलेटर के अंक,ऊपर नीचे चलते है। परिजनों के सांस_तार नीचे ढलते है। O2,पल्स रेट,Bp अपना नृत्य करते हैं। देख निगाहों से,गम भाव सब भरते हैं।। कैथेटर से,तरल पदार्थ पिलाते हैं। गटके बूंद तब,मन मन हर्षाते हैं। इनपुट_आउटपुट रोज मिलाते हैं। देख उन्हें डॉ. दिलाशा दिलाते हैं।। जब मरीज,हलचल पैदा करता है। तब वह,पुनर्जन्म सा भाव भरता है। आंखों से लगे देखने,तब गम हरता है। अस्पताल का जीवन,चक्र सा चलता है।। कल्चर रिपोर्ट इन्फेक्शन जताती है। खुशी सारी तब,गम में बदल जाती है। तब एंटीबायोटिक,असर दिखाती है। लैब रिपोर्ट, तरह तरह से नचाती है।। NK गोरा,नरेंद्र जी जैसे चिकित्सक। लगता है,जैसे ये भगवान हैं बेशक। मरीज सेवा हेतु तत्पर रहते,देर तक। खुदा उनपर मेहरबान रहे,जीने तक।। भाई जिसने,बचपन में मुझे गोद उठाया। घुमाया,फिराया,पढ़ाया,सिर सहलाया। ऋण से उऋण होना,असमय वक्त आया। भरेंगे किलकारी दोनों,भरोसा मुझे आया।। मोहन लाल सींवर ©मोहन लाल सींवर अस्पताल का जीवन
Aditya Kumar Bharti
हम अस्पतालों के लिए अगर शिद्दत से लड़ें होते। यकिन मानिए शमशान में हमारे अपने इतनी तादाद में न पड़ें होते।। ©Aditya Kumar Bharti #अस्पताल के लिए
Aditya Kumar Bharti
सम्मान हमेशा अस्पतालों की सांस भी खुद उखड़ रही है। और आदमी को अस्पताल से पहले ही मौत पकड़ रही है।। ©Aditya Kumar Bharti #अस्पताल की हालत